पलामूः जिले में विशेष भू-अर्जन कार्यालय में 13 करोड़ रुपये गबन मामले की जांच सीआईडी ने तेज कर दी है. इस जांच में इंफोर्समेंट डिपार्टमेंट(ईडी) भी शामिल हो गई है. मामले में जल्द ही सीआईडी 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने वाली है. गबन मामले में पलामू, गुमला समेत कई इलाकों से अब तक 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. मामले में जल्द ही बड़े अधिकारियों से भी सीआईडी की टीम पूछताछ करने होने वाली है. सीआईडी की स्पेशल टीम लगातार पलामू और गुमला के इलाके में कैम्प कर रही है.
सरकार के निर्देश पर सीआईडी ने शुरू की जांच
पलामू में भू-अर्जन कार्यालय में 2017-18 में करीब 13 करोड़ रुपये का गबन हुआ है. मामले का खुलासा होने के बाद नवंबर 2019 के पहले सप्ताह में टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके बाद भू-अर्जन कार्यालय के नाजिर को गिरफ्तार किया गया था. मामले में तत्कालीन जिला भुअर्जन पदाधिकारी बंका राम, एसबीआई डालटनगंज ब्रांच के शाखा प्रबंधक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसके बाद सरकार के निर्देश पर सीआईडी ने जांच शुरू की. मामले में सीआईडी अब तक गणेश लोहरा, पंकज, मनीष जैन, मनीष पांडेय, राजकुमार तिवारी, इकबाल अंसारी समेत सात को गिरफ्तार किया है, जबकि मास्टर माइंड चंदू लाल पटेल फरार है.
उतर कोयल नहर परियोजना का पैसा कई खातों में ट्रांसफर
जून 2018 में विशेष भू-अर्जन कार्यालय के एसबीआई खाता से शीतल कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी को 4.20 करोड़ जबकि चंदूलाल पटेल के खाते में 8.40 करोड़ रुपये ट्रांसफर हुए थे. पुलिस को जांच में जो जानकारी मिली है कि भू-अर्जन कार्यालय के खाते से करोड़ों रुपये जिस चेक के माध्यम से ट्रांसफर हुआ था, वह चेक निर्गत ही नहीं हुआ था. पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि खाते में रुपयों का ट्रांसफर ऑनलाइन नहीं हो पा रहा था, बाद में कॉल कर मैनुअल रुपयों को ट्रांसफर किया गया है.
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सरकारी पैसे को बनाते है निशाना
विशेष भू-अर्जन कार्यालय में जिसने करोड़ों का गबन किया है उसका नेटवर्क बड़े पैमाने पर फैला हुआ है. इस तरह उसने देश के कई इलाकों में अपराधिक घटना को अंजाम दिया है. गिरोह में सभी उच्च शिक्षा वाले लोग शामिल हैं. सीआईडी की जांच में यह बात निकलकर सामने आई कि गिरोह सरकारी पैसे को निशाना बनाते है. गिरोह के लोग यह सोचते हैं कि अधिकारी सरकारी रुपयों के बारे में अधिक ध्यान नहीं देते है, जिस कारण उन्हें आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.
तत्कालीन अधिकारी के मोबाइल के साथ हुई छेड़छाड़
सीआईडी की जांच में यह बात निकलकर सामने आई है कि गबन के दौरान तत्कालीन भू-अर्जन अधिकारी के मोबाइल नंबर को अपराधियों ने बदल दिया था. अपराधियों ने सिम ऑपरेटर को फोन करके बताया था कि मोबाइल गुम हो गया है और सरकारी अधिकारी के फर्जी कागजात के आधार पर वही नंबर को नया सिम ले लिया. बाद में ऑपरेटर से कहा गया कि मोबाइल मिल गया है. इस पूरे खेल में दो दिनों का समय लगा और दो दिनों में ही खाते से रुपये को गायब कर दिया गया. फर्जी चेक के माध्यम से भू-अर्जन कार्यालय के पैसे को ट्रांसफर करने के दौरान बैंक अधिकारियों की भी लापरवाही सामने आई है. सीआईडी के अधिकारियों ने जांच के दौरान पाया कि जिस चेक के माध्यम से पैसों को ट्रांसफर किया गया है, वह चेक कभी जारी ही नहीं हुआ था, जबकि बैंक अधिकारियों ने ट्रांसफर के लिए वाउचर का इस्तेमाल किया था.