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पलामू में भूत मेला! जानिए, क्या है हैदरनगर देवी धाम की मान्यताएं

हर साल प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए देश भर से लोग यहां पहुंचते हैं. तस्वीरें ऐसी कि रौंगटे खड़े हो जाएं, महिलाएं सिर धून रही हैं, अपने ईष्ट देव का आह्वान करती हैं, विधि-विधान और धार्मिक रस्म अदा होती हैं. ये जगह है पलामू का हैदरनगर देवी धाम मंदिर, यहां हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र के अवसर पर भूत मेला का आयोजन होता है. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट से जानिए, कहा है यहां की मान्यताएं.

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पलामू में भूत मेला!
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Published : Apr 5, 2022, 6:08 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 6:51 PM IST

पलामूः मंदिर का प्रांगण, हवन कुंड में जलती आग, पास बैठी महिलाएं सिर धून रही हैं, पूजा हो रही है. मंदिर परिसर भक्तों से भरा पड़ा है, हर कोई यहां अपनी बाधा दूर करने के लिए आया है. लेकिन इस मंदिर में हर साल लगने वाला मेला अपने आप में अनोखा है. लोग यहां चैत्र और शारदीय नवरात्र के वक्त प्रेत बाधा से मुक्ति के आते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. ये है पलामू का हैदरनगर देवी धाम मंदिर. ऐसी मान्यता है कि देवी उनके सारे कष्ट हर लेती हैं.

इसे भी पढ़ें- पलामू: हैदरनगर नवरात्र में लगने वाले 'भूत मेले' के बदले-बदले से नजारे, कोरोना वायरस का दिखा असर

चैत नवरात्र के दौरान पलामू के हैदरनगर के इलाके में भूतों का मेला लगता है. इस आधुनिक युग में भूत और प्रेत अंधविश्वास है. लेकिन इन सब के बावजूद नवरात्र के दौरान प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए हजारों की संख्या में लोग हैदरनगर देवी धाम पहुंचते हैं. 1887 से देवी धाम मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जा रहा है. इस मेले में बिहार, यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से लोग पहुंचते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

हैदरनगर देवी धाम मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. चैत्त और शारदीय नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जाता है. भूत मेला की तस्वीरें कुछ ऐसी सामने आती है कि आपके रौंगटे को भी खड़े देगी. देवी धाम में हजारों की संख्या में लोग प्रेत बाधा से मुक्ति की कामना को लेकर पहुंचते हैं. यह इलाका झारखंड की राजधानी रांची से करीब 260 किलोमीटर दूर है. मेला परिसर में चारों तरफ टेंट और तंबू नजर आती है. इन टेंट और तंबू में देवी मां की आराधना होती है और झाड़-फूंक किया जाता है.

हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ मेला परिसर में 24 घंटे जमी रहती है. यूपी के सोनभद्र के रहने वाले बबलू प्रजापति पिछले 30 वर्ष से हैदरनगर भूत मेला में भाग ले रहे हैं, वो झाड़-फूंक का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि हैदरनगर के मंदिर परिसर में आने के बाद शांति मिलती है. वहीं छत्तीसगढ़ के उदेश पासवान ने बताया कि उनकी पत्नी के शरीर में दर्द था. जिसके लिए वो यहां पूजा के लिए पहुंचे थे, अब उनकी पत्नी को दर्द से मुक्ति मिली है.


आपसी सौहार्द की मिसाल है हैदरनगर देवी धाम मंदिरः पलामू का हैदरनगर देवी धाम आपसी सौहार्द की मिसाल पेश करता है. जिस वक्त मंदिर की स्थापना हुई थी उस वक्त से ही मंदिर परिसर में ही जिन बाबा का मजार है. लोग देवी मां की पूजा करने के बाद इस मजार पर इबादत भी करते हैं. प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग मजार पर पहुंचते. आशिक अली बताते हैं कि यहां वर्षों से जिन बाबा की इबादत हो रही, प्रतिदिन सैकड़ों लोग चादरपोशी के लिए पहुंचते हैं.


कीलो में भूतों को कैद करने की मान्यताः देवी धाम परिसर में एक प्राचीन पेड़ मौजूद है. इस पेड़ में हजारों की संख्या में कील लगे हुए हैं. मान्यता है कि इन कील में भूतों प्रेतों को कैद किया गया है. पूरे 9 दिन तक देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा रहती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मान्यता है कि पूजा करने से हर तरह की प्रेत बाधा दूर होती है. लोग प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. जानकारी के अनुसार एक जमींदार परिवार 1887 के आसपास औरंगाबाद के जम्होर से हैदरनगर पहुंचा था और उन्होंने ही मंदिर की स्थापना करायी थी.

पलामूः मंदिर का प्रांगण, हवन कुंड में जलती आग, पास बैठी महिलाएं सिर धून रही हैं, पूजा हो रही है. मंदिर परिसर भक्तों से भरा पड़ा है, हर कोई यहां अपनी बाधा दूर करने के लिए आया है. लेकिन इस मंदिर में हर साल लगने वाला मेला अपने आप में अनोखा है. लोग यहां चैत्र और शारदीय नवरात्र के वक्त प्रेत बाधा से मुक्ति के आते हैं और पूजा-पाठ करते हैं. ये है पलामू का हैदरनगर देवी धाम मंदिर. ऐसी मान्यता है कि देवी उनके सारे कष्ट हर लेती हैं.

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चैत नवरात्र के दौरान पलामू के हैदरनगर के इलाके में भूतों का मेला लगता है. इस आधुनिक युग में भूत और प्रेत अंधविश्वास है. लेकिन इन सब के बावजूद नवरात्र के दौरान प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए हजारों की संख्या में लोग हैदरनगर देवी धाम पहुंचते हैं. 1887 से देवी धाम मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जा रहा है. इस मेले में बिहार, यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से लोग पहुंचते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

हैदरनगर देवी धाम मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. चैत्त और शारदीय नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में भूत मेला का आयोजन किया जाता है. भूत मेला की तस्वीरें कुछ ऐसी सामने आती है कि आपके रौंगटे को भी खड़े देगी. देवी धाम में हजारों की संख्या में लोग प्रेत बाधा से मुक्ति की कामना को लेकर पहुंचते हैं. यह इलाका झारखंड की राजधानी रांची से करीब 260 किलोमीटर दूर है. मेला परिसर में चारों तरफ टेंट और तंबू नजर आती है. इन टेंट और तंबू में देवी मां की आराधना होती है और झाड़-फूंक किया जाता है.

हजारों की संख्या में महिलाओं की भीड़ मेला परिसर में 24 घंटे जमी रहती है. यूपी के सोनभद्र के रहने वाले बबलू प्रजापति पिछले 30 वर्ष से हैदरनगर भूत मेला में भाग ले रहे हैं, वो झाड़-फूंक का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि हैदरनगर के मंदिर परिसर में आने के बाद शांति मिलती है. वहीं छत्तीसगढ़ के उदेश पासवान ने बताया कि उनकी पत्नी के शरीर में दर्द था. जिसके लिए वो यहां पूजा के लिए पहुंचे थे, अब उनकी पत्नी को दर्द से मुक्ति मिली है.


आपसी सौहार्द की मिसाल है हैदरनगर देवी धाम मंदिरः पलामू का हैदरनगर देवी धाम आपसी सौहार्द की मिसाल पेश करता है. जिस वक्त मंदिर की स्थापना हुई थी उस वक्त से ही मंदिर परिसर में ही जिन बाबा का मजार है. लोग देवी मां की पूजा करने के बाद इस मजार पर इबादत भी करते हैं. प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग मजार पर पहुंचते. आशिक अली बताते हैं कि यहां वर्षों से जिन बाबा की इबादत हो रही, प्रतिदिन सैकड़ों लोग चादरपोशी के लिए पहुंचते हैं.


कीलो में भूतों को कैद करने की मान्यताः देवी धाम परिसर में एक प्राचीन पेड़ मौजूद है. इस पेड़ में हजारों की संख्या में कील लगे हुए हैं. मान्यता है कि इन कील में भूतों प्रेतों को कैद किया गया है. पूरे 9 दिन तक देवी धाम परिसर में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा रहती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह मान्यता है कि पूजा करने से हर तरह की प्रेत बाधा दूर होती है. लोग प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. जानकारी के अनुसार एक जमींदार परिवार 1887 के आसपास औरंगाबाद के जम्होर से हैदरनगर पहुंचा था और उन्होंने ही मंदिर की स्थापना करायी थी.

Last Updated : Apr 5, 2022, 6:51 PM IST
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