पलामू: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो चुका है. इस बजट से राज्य के सभी वर्गों को काफी उम्मीदें हैं. हेमंत सरकार की पहले बजट से पलामू के युवा अपनी आकांक्षाओं को लेकर आशान्वित हैं. मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी होने के बावजूद शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य पिछड़ा है.
कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी के गठबंधन की सरकार का यह पहला बजट होगा, इसलिए इस बजट से झारखंड वासियों को काफी उम्मीदें हैं. सीएम हेमंत सोरेन ने चुनाव से पहले शिक्षा और बेरोजगारी को लेकर युवाओं से काफी कुछ वादे किए थे. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि शिक्षा और युवाओं के रोजगार की दृष्टिकोण से काफी अच्छा रहेगा. इस बजट से पलामू को भी कई बड़ी सौगात मिलने की उम्मीद है.
संसाधन का अभाव
पलामू में एक मेडिकल कॉलेज और एक यूनिवर्सिटी है, इसके बावजूद पलामू शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी पिछड़ा है. पलामू के छात्र अच्छी शिक्षा पाने के लिए बाहर पलायन करते रहे हैं, जबकि यहां के मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर रिम्स समेत दूसरे बड़े अस्पतालों में रेफर करते रहे हैं. साल 2011 की जनसंख्या के अनुसार पलामू की आबादी 19.36 लाख है. यह आकंड़ा फिलहाल 30 लाख के करीब हो चुकी है. ऐसे में इतनी बड़ी आबादी के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा के दृष्टिकोण से बहुत कम संसाधन उपलब्ध हैं.
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव
पलामू में करीब 2600 सरकारी स्कूल हैं, जबकि 400 से अधिक निजी स्कूल संचालित हैं. लेकिन पलामू गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से महरूम है. 2009 में नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी, लेकिन आज तक उसका अपना प्रशासनिक भवन बनकर तैयार नहीं हो सका है. हाल यह है कि यूनिवर्सिटी के किसी भी विभाग में प्रोफेसर नहीं हैं. यूनिवर्सिटी शिक्षकों की कमियों से जूझ रहा है. ऐसे में झारखंड बजट 2020-21 से यहां के लोगों को काफी उम्मीदें हैं.