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पलामू: सोशल डिस्टेंसिग के साथ मनाई गई अनंत चतुर्दशी, भक्तों ने अपनी-अपनी भुजाओं पर बांधा रक्षा सूत्र - अनंत चतुर्दशी की पूजा अर्चना

झारखंड में 1 सितंबर मंगलवार को अनंत पूजा मनाई जा रही है. कोरोना काल में भक्तों ने अपने-अपने घरों में ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं. कुछ मोहल्लों में भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अनंत कथा भी सुनी.

सोशल डिस्टेंसिग के साथ मनाई गई अनंत चतुर्दशी, anant chaturdashi celebration in Palamu
पूजा करते लोग
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Published : Sep 1, 2020, 3:20 PM IST

पलामू: जिला सहित पूरे झारखंड में 1 सितंबर मंगलवार को अनंत पूजा मनाई जा रही है. इसी कड़ी में छत्तरपुर-पाटन विधानसभा क्षेत्र में भी भक्तों ने भगवान विष्णु की पूजा कर 14 गांठों वाला धागा अपनी-अपनी भुजाओं में बांधा.

अनंत चतुर्दशी की विस्तृत कथा

हालांकि कोरोना महामारी का असर इस पर्व पर भी देखने को मिला. जहां प्रत्येक साल लोग छत्तरपुर के प्रसिद्ध ठाकुरबाड़ी मंदिरों में जुटकर सामूहिक पूजा करते हैं. वहीं, कोरोना काल में भक्तों ने अपने-अपने घरों में ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं. कुछ मोहल्लों में भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अनंत कथा भी सुनी. जहां आचार्य ने अनंत चतुर्दशी की विस्तृत कथा सुनाई.

और पढ़ें - प्रणब मुखर्जी का झारखंड से था गहरा नाता, प्रदेश से जुड़ी हैं पूर्व राष्ट्रपति की यादें

मनोकामनाएं होती है पूरी

आचार्य पवन पाठक और अंगत मिश्रा ने अनंत पूजा का महत्व बताते हुए कहा कि अनंत चतुर्दशी पर्व का उल्लेख महाभारत में मिलता है. इस पूजा को पांडवों ने जंगल में रह कर किया था. इस व्रत को यदि 14 वर्षों तक किया जाए तो व्रति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. भगवान सतनारायण की तरफ ही अनंत देव भी भगवान विष्णु को ही कहते हैं. इस पूजा के करने से घरो में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. इस दिन अनंत सूत्र को पुरुष दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में धारण करती हैं.साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

पलामू: जिला सहित पूरे झारखंड में 1 सितंबर मंगलवार को अनंत पूजा मनाई जा रही है. इसी कड़ी में छत्तरपुर-पाटन विधानसभा क्षेत्र में भी भक्तों ने भगवान विष्णु की पूजा कर 14 गांठों वाला धागा अपनी-अपनी भुजाओं में बांधा.

अनंत चतुर्दशी की विस्तृत कथा

हालांकि कोरोना महामारी का असर इस पर्व पर भी देखने को मिला. जहां प्रत्येक साल लोग छत्तरपुर के प्रसिद्ध ठाकुरबाड़ी मंदिरों में जुटकर सामूहिक पूजा करते हैं. वहीं, कोरोना काल में भक्तों ने अपने-अपने घरों में ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं. कुछ मोहल्लों में भक्तों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए अनंत कथा भी सुनी. जहां आचार्य ने अनंत चतुर्दशी की विस्तृत कथा सुनाई.

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मनोकामनाएं होती है पूरी

आचार्य पवन पाठक और अंगत मिश्रा ने अनंत पूजा का महत्व बताते हुए कहा कि अनंत चतुर्दशी पर्व का उल्लेख महाभारत में मिलता है. इस पूजा को पांडवों ने जंगल में रह कर किया था. इस व्रत को यदि 14 वर्षों तक किया जाए तो व्रति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है. भगवान सतनारायण की तरफ ही अनंत देव भी भगवान विष्णु को ही कहते हैं. इस पूजा के करने से घरो में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. इस दिन अनंत सूत्र को पुरुष दाहिने हाथ में और महिलाएं अपने बाएं हाथ में धारण करती हैं.साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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