पलामू: पलामू के दुबिया खंड में ऐतिहासिक आदिवासी महाकुंभ मेला की शुरुआत शनिवार को हुई. यह आदिवासी महाकुंभ मेला प्रत्येक वर्ष 11 और 12 फरवरी को लगता है. मेला का उद्घाटन राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने किया. कुछ माह पहले ही राज्य की सरकार ने आदिवासी महाकुंभ मेला को राजकीय मेला का दर्जा दिया था. मेला का आयोजन पर्यटन संस्कृति खेल के युवा कार्य विभाग द्वारा किया गया है. इस मेले में सरकार की योजनाओं से संबंधित कई स्टॉल लगाए गए हैं और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जा रही है. मेले के उद्घाटन के अवसर पर पलामू डीसी ए दोड्डे, एसपी चंदन कुमार सिन्हा, झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी समेत कई अधिकारी मौजूद थे.
आने वाले समय में मेला को और भी भव्य रूप दिया जाएगाः वहीं मेला में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि राज्य की सरकार योजनाओं को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है. आम लोग सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलें और सरकार की योजनाओं का लाभ उठाएं. उन्होंने कहा कि आने वाले वक्त में मेला को और भव्य रूप दिया जाएगा. वहीं इस अवसर पर पलामू डीसी ए दोड्डे ने कहा कि अगले वर्ष से मेला का प्रचार-प्रसार पूरे राज्य में किया जाएगा. आदिवासी महाकुंभ मेला में सैकड़ों लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया गया और करोड़ों की परिसंपत्ति का वितरण किया गया है.
32 वर्षो से लग रहा आदिवासी महाकुंभ मेला, लालू प्रसाद यादव ने की थी शुरुआत: दुबियाखाड़ में पिछले 32 वर्षों से आदिवासी महाकुंभ मेला का आयोजन किया जा रहा है. बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सबसे पहले इस मेले की शुरुआत की थी. दरअसल, यह मेला चेरो वंश के प्रतापी राजा मेदिनीराय की याद में लगाया जाता है. चेरो राजा के शासन काल की एक कहावत आज भी प्रचलित है. धनी धनी राजा मेदनीया घर घर बाजे मथनिया... यह कहावत चेरो वंश के महान राजा मेदिनीराय के कार्यकाल में प्रचलित थी. राजा मेदिनीराय का काल काफी समृद्धशाली रहा है. राजा मेदिनीराय ने 1658 से 1674 तक पलामू के इलाके पर शासन किया था.