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सात सालों से लोगों को पानी का इंतजार, शासन प्रशासन की लापरवाही से हाहाकार

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Published : Sep 26, 2020, 5:34 AM IST

पाकुड़ में करोड़ों लागत से शहरी जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र में रह रहे हजारों लोगों के घरों तक सीधा शुद्ध पेयजल पहुंचाना है, लेकिन यह योजना अब तक पूरा नहीं हो सका है, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जलापूर्ति योजना का इंटकवेल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है.

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पानी के लिए हाहाकार

पाकुड़: झारखंड में लोगों को मूलभूत और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अब तक की सरकारों ने बड़ी-बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा. कई योजनाएं शासन और प्रशासन की लेट लतिफी और लापरवाही की वजह से दम तोड़ रही है और कई योजनाएं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासिनता के कारण योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. पाकुड़ जिले में करोड़ों लागत से शहरी जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र में रह रहे हजारों लोगों के घरों तक सीधा शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दावा किया गया था, जो दावा फेल हो गया.

देखें स्पेशल स्टोरी

जलापूर्ति योजना बना चुनावी मुद्दा

नगर पंचायत का चुनाव और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जीत तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद उनका इस ओर कोई ध्यान नहीं रहता है. शहरी जलापूर्ति योजना के शुरुआत हुए सात साल बीत गए, लेकिन नगर पंचायत क्षेत्र में रह रहे लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल नही पहुंच पाया है, क्योंकि इसे पूरा कराने में नगर परिषद क्षेत्र के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कार्यपालक पदाधिकारी या पेयजल स्वच्छता विभाग के अभियंता नाकाम साबित हुए हैं. योजना के संवेदक को बीच में ही काम छोड़कर भागना पड़ा. पेयजल स्वच्छता विभाग को योजना पूरा कराने की जिम्मेवारी नगर परिषद ने दी है. शहरी क्षेत्र के लगभग 9 हजार घरों तक पाइप लाइन के जरीये शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 40 करोड़ 34 लाख रूपये की राशि साल 2012 में ही स्वीकृत हुई है.


पूर्व की कंपनी को किया ब्लैकलिस्टेड, नई कंपनी को जिम्मेवारी
नगर विकास विभाग ने योजना को पूरा करने के लिए निविदा निकाली. 32 करोड़ रूपये में गुजरात की दोसियन कंपनी के साथ वित्तीय वर्ष 2013-14 में एकरारनामा किया गया. काम शुरू हुआ, लेकिन योजना समय पर पुरा नहीं किए जाने की वजह से काम कई स्थानों पर बीच में ही बंद हो गया. रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र हो या पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के समशेरगंज प्रखंड अंतर्गत चांदपुर में इंटकवेल निर्माण के लिए सहमति मिलने का मामला. सभी में लेट लतिफी हुई, जिसके कारण भी इस योजना का काम समय पर पूरा नहीं हो सका. समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण पेयजल स्वच्छता विभाग ने दोसियन कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया. दोबारा निविदा निकाली गई और मेसर्स विनोद लाल कंपनी को काम पूरा कराने की जिम्मेवारी दी गई है.

इसे भी पढ़ें:-कोरोना के बाद मौसम की मार से बेहाल किसान, सब्जियों के सड़ने से झेल रहे आर्थिक तंगी

जलापूर्ति योजना का इंटकवेल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. नगर विकास विभाग और नगर परिषद मिट्टी जांच कराने में जरूर जुटा हुआ है. वित्तीय वर्ष 2016 में पूर्ण की जाने वाली इस योजना की यदि नगर विकास विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग के अलावा स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन के ओर से मॉनिटरिंग की गई होती तो निश्चित रूप से यह काम पूरा हो गया होता. फिलहाल इंटकवेल निर्माण के लिए मिट्टी जांच का काम शुरू किया गया है. मिट्टी जांच होने के बाद इसकी रिपोर्ट आएगी तब इंटकवेल का निर्माण शुरू होगा. इसी योजना के अंतर्गत वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का काम भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है, हालांकि बनाए गए जलमिनार और शहरी क्षेत्र के कई वार्डों के मुहल्लों में बिछाई गयी पाइप लोगों को यह सकुन जरूर दे रहा है कि आज नहीं तो कल उनके घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचेगा.

पाकुड़: झारखंड में लोगों को मूलभूत और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अब तक की सरकारों ने बड़ी-बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा. कई योजनाएं शासन और प्रशासन की लेट लतिफी और लापरवाही की वजह से दम तोड़ रही है और कई योजनाएं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासिनता के कारण योजनाओं का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. पाकुड़ जिले में करोड़ों लागत से शहरी जलापूर्ति योजना की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र में रह रहे हजारों लोगों के घरों तक सीधा शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दावा किया गया था, जो दावा फेल हो गया.

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जलापूर्ति योजना बना चुनावी मुद्दा

नगर पंचायत का चुनाव और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जीत तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद उनका इस ओर कोई ध्यान नहीं रहता है. शहरी जलापूर्ति योजना के शुरुआत हुए सात साल बीत गए, लेकिन नगर पंचायत क्षेत्र में रह रहे लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल नही पहुंच पाया है, क्योंकि इसे पूरा कराने में नगर परिषद क्षेत्र के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कार्यपालक पदाधिकारी या पेयजल स्वच्छता विभाग के अभियंता नाकाम साबित हुए हैं. योजना के संवेदक को बीच में ही काम छोड़कर भागना पड़ा. पेयजल स्वच्छता विभाग को योजना पूरा कराने की जिम्मेवारी नगर परिषद ने दी है. शहरी क्षेत्र के लगभग 9 हजार घरों तक पाइप लाइन के जरीये शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 40 करोड़ 34 लाख रूपये की राशि साल 2012 में ही स्वीकृत हुई है.


पूर्व की कंपनी को किया ब्लैकलिस्टेड, नई कंपनी को जिम्मेवारी
नगर विकास विभाग ने योजना को पूरा करने के लिए निविदा निकाली. 32 करोड़ रूपये में गुजरात की दोसियन कंपनी के साथ वित्तीय वर्ष 2013-14 में एकरारनामा किया गया. काम शुरू हुआ, लेकिन योजना समय पर पुरा नहीं किए जाने की वजह से काम कई स्थानों पर बीच में ही बंद हो गया. रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र हो या पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के समशेरगंज प्रखंड अंतर्गत चांदपुर में इंटकवेल निर्माण के लिए सहमति मिलने का मामला. सभी में लेट लतिफी हुई, जिसके कारण भी इस योजना का काम समय पर पूरा नहीं हो सका. समय पर काम पूरा नहीं होने के कारण पेयजल स्वच्छता विभाग ने दोसियन कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया. दोबारा निविदा निकाली गई और मेसर्स विनोद लाल कंपनी को काम पूरा कराने की जिम्मेवारी दी गई है.

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जलापूर्ति योजना का इंटकवेल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. नगर विकास विभाग और नगर परिषद मिट्टी जांच कराने में जरूर जुटा हुआ है. वित्तीय वर्ष 2016 में पूर्ण की जाने वाली इस योजना की यदि नगर विकास विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग के अलावा स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन के ओर से मॉनिटरिंग की गई होती तो निश्चित रूप से यह काम पूरा हो गया होता. फिलहाल इंटकवेल निर्माण के लिए मिट्टी जांच का काम शुरू किया गया है. मिट्टी जांच होने के बाद इसकी रिपोर्ट आएगी तब इंटकवेल का निर्माण शुरू होगा. इसी योजना के अंतर्गत वाटर ट्रिटमेंट प्लांट का काम भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है, हालांकि बनाए गए जलमिनार और शहरी क्षेत्र के कई वार्डों के मुहल्लों में बिछाई गयी पाइप लोगों को यह सकुन जरूर दे रहा है कि आज नहीं तो कल उनके घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचेगा.

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