पाकुड़ः झारखंड के 24 जिलों को 5 प्रमंडल में बांटा गया है. कोरोना के सबसे ज्यादा सक्रिय मरीज दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में हैं. यहां कुल 20,019 कोरोना मरीज सक्रिय हैं. मौत के मामले में भी दक्षिणी छोटानागपुर पहले नंबर पर है. यहां 14 मई 2021 तक 1, 619 लोग कोरोना की वजह से जान गंवा चुके हैं. उत्तरी छोटानागपुर में फिलहाल 14,210 कोरोना संक्रमित हैं और 1,169 मरीजों को जान गंवानी पड़ी है. इसी तरह कोल्हान में 7,728 सक्रिय मामले हैं जबकि 1,054 मरीजों की मौत हो चुकी है. सबसे कम सक्रिय मरीज संथाल परगना में हैं. संथाल में 4,452 मरीज सक्रिय हैं. यहां अब तक 306 मरीजों की मौत हुई है. मरीजों की मौत मामले में सबसे अंतिम स्थान पर पलामू प्रमंडल है. इस प्रमंडल में अब तक 218 मरीजों की मौत हुई है.
ये भी पढ़ें- झारखंड का कोरोना रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से हुआ अधिक, 14 मई को हुई केवल 76 मौतें
संथाल में पाकुड़ की स्थिति सबसे बेहतर
झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में 6 जिले हैं. देवघर में फिलहाल 1,477 सक्रिय मरीज हैं, 95 मरीजों की मौत हो चुकी है और आठ हजार से ज्यादा लोग कोरोना को मात दे चुके हैं. दुमका जिले में 569 सक्रिय मरीज हैं. यहां 41 मरीजों को जान गंवानी पड़ी है और 3,853 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए हैं. गोड्डा में सक्रिय मरीजों की संख्या 440 है, मौत का आंकड़ा 74 और स्वस्थ हो चुके लोगों की गिनती 4,903 है. जामताड़ा जिले में 1,040 सक्रिय मामले हैं. जामताड़ा में 49 लोगों को कोरोना की वजह से जान गंवानी पड़ी और 3,901 लोग कोरोना को हरा चुके हैं. पाकुड़ में सबसे कम सात लोगों की मौत हुई है. हालांकि यहां 664 सक्रिय मरीज हैं और 1,909 लोग स्वस्थ हो गए हैं. साहिबगंज में 262 सक्रिय मरीज हैं. यहां 40 मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा लेकिन चार हजार से ज्यादा मरीजों ने कोरोना को हरा दिया है.
पाकुड़ के सबसे बड़े महेशपुर प्रखंड में काबू में हालात
पाकुड़ जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूरी पर स्थित महेशपुर प्रखंड है. इस प्रखंड की आबादी वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक 2 लाख 8 हजार 848 है. इस प्रखंड में कुल 345 गांव हैं. यहां ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं. महेशपुर राज परिवार के सदस्य कृष्णजीत सिंह ने ईटीवा भारत को बताया कि कोरोना संक्रमण के दौर में यहां के ग्रामीण सरकार के दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से कर रहे हैं, जिसके कारण यहां कोरोना अपना पांव पसार नहीं पाया. प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक बीते कुछ दिनों पूर्व महेशपुर प्रखंड में 65 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे, जो फिलहाल ठीक हैं. यहां के लोगों की मानें तो पश्चिम बंगाल से सटे रहने के कारण बाजार आने-जाने वाले कुछ लोग संक्रमित हो गए थे. लेकिन अब बेहद जरूरी होने पर ही अपने घर से बाहर निकलते हैं.
ये भी पढ़ें-कोरोना पर नियंत्रण के लिए झारखंड में 16 मई से बढ़ेगी सख्ती, अंतरराज्यीय सीमा पर बनाए गए 98 चेक पोस्ट
गांवों में विशेष जांच अभियान
ग्रामीण इलाके में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर डीसी कुलदीप चौधरी ने ईटीवी भारत को बताया कि खासकर पश्चिम बंगाल से सटे इलाकों में विशेष जांच अभियान चलाया गया है. सीमाई इलाकों में कितने लोग संक्रमित हुए हैं, कितने ठीक हो गए और किन लोगों की मृत्यु हुई है, इसका सर्वे कराया जा रहा है. डीसी ने कहा कि जल्द रिपोर्ट मिल जाएगी और इसके आधार पर प्रशासन कदम उठाएगा. डीसी ने कहा कि वर्तमान में ग्रामीण इलाके की स्थिति ठीक है और कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी कम है.
नीम-हकीम के भरोसे ग्रामीण!
गांवों में बीमार होने पर अक्सर लोग ओझा या नीम-हकीम के पास चले जाते हैं. अस्पताल और डॉक्टर तक पहुंचने से पहले उनकी हालत इतनी खराब हो जाती है कि कई बार उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जामताड़ा के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज ने नीम-हकीमों को जागरूक कर कोरोना मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी सौंप दी है. बीते रविवार को बैठक में उन्होंने कहा कि कोरोना के लक्षण वाले मरीज के आने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग, प्रखंड विकास पदाधिकारी और जिला प्रशासन को सूचना दें. गोड्डा में भी ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था अब भी झोला छाप डॉक्टर के भरोसे है. कोरोना से लड़ाई ग्रामीणों की खुद की जागरूकता और मुखिया के व्यक्तिगत प्रयासों के भरोसे है. गांवों में पहली लहर नहीं पहुंच पाई थी लेकिन दूसरी लहर से ग्रामीण चिंतित हैं. उन्हें तीसरे लहर का डर भी सता रहा है क्योंकि तब बच्चे सबसे आसान शिकार होंगे.
ये भी पढ़ें-BSF कर रही सीमा से लेकर तीमारदारों तक की 'रक्षा', हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में कराई भोजन की व्यवस्था
दुमका में कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की अपील
झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने दुमका के जरमुंडी में कहा कि डॉक्टर, नर्स और प्रशासनिक अधिकारी दिन-रात अपनी जान पर खेलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वैक्सीन को लेकर कुछ लोग अफवाह उड़ा रहे हैं. अफवाह से डरना नहीं है, वैक्सीन लगाना है और कोरोना को भगाना है.
कोरोना संक्रमण के इस दौर में ग्रामीण शासन-प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं, जिसके चलते गांवों में कोरोना का कहर अभी नहीं दिख रहा है. लेकिन समय रहते स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करना आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता है ताकि आने वाले समय में किसी भी चुनौती से निपटा जा सके.