पाकुड़: केंद्र सरकार की कई योजनाओं में से एक एकलव्य आवासीय विद्यालय है, जिसका उद्देश्य आदिवासी समाज के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना है लेकिन, पाकुड़ में यह योजना अब तक अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल नहीं हो पाया है. दरअसल इस विद्यालय की आधारभूत संरचना तो विकसित हो गई है लेकिन अब तक यहां शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की पदस्थापन नहीं हुई है. जिसकी वजह से क्षेत्र के आदिवासी और पहाड़िया बच्चों की शिक्षा की भूख नहीं मिटाई जा सकी है.
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सरकार के वादों पर उठ रहे सवाल: पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के कुमारभांजा में 5 करोड़ 95 लाख रुपये की राशि से एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाया गया है लेकिन, इस योजना का उद्देश्य अब तक पूरा नहीं हो सका है. बनाए गए विद्यालय भवन और छात्रावास बीते तीन साल से एक उदाहरण की बाट जोह रहा है. इस आस में कि किसी रहनुमा की नजर उस पर पड़ेगी और यहां शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों की पदस्थापन होगी और फिर अनुसूचित जनजाति के बच्चों गुणवत्ता आधारित शिक्षा पाकर अपना और देश का भविष्य गढ़ पाएंगे. लेकिन अब शिक्षा प्रेमी, विद्यार्थी और उनके अभिभावक शिक्षा के गुणात्मक सुधार के सरकार के दावों प्रतिदावों पर सवाल खड़ा कर रहे हैं.
क्या कहते हैं जिला कल्याण पदाधिकारी: बता दें कि वर्ष 2019 में करोड़ों रुपए की राशि से बनाए गए एकलव्य आवासीय विद्यालय का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था. उद्घाटन के बाद लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव में रहने वाले पहाड़िया एवं आदिवासी बच्चे के अभिभावकों में आशा जगी थी कि उनके बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाकर एकलव्य की तरह अपना लक्ष्य साधने में सफल हो पाएंगे लेकिन, अब तक ऐसी नहीं हो पाया है. इस मामले में कल्याण विभाग के जिला कल्याण पदाधिकारी विजन उरांव का कहना है कि कोरोना के चलते दो साल तक सब कुछ बंद रहा और जैसे-जैसे स्थिति सामान्य हुई एकलव्य विद्यालय और छात्रावास को चालू कराने की दिशा में विभाग कदम उठाया. उन्होंने कहा कि अगले सत्र जुलाई में एनजीओ के माध्यम से विद्यालय में नामांकन शुरू कराई जाएगी.