पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और उसकी रोकथाम को लेकर जारी लॉकडाउन के दौरान शासन और प्रशासन प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने को लेकर जिस तरह योजनाओं को धरातल पर उतारने और तय समय सीमा के अंदर कार्यों को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है, उसके मंसूबे पर आने वाले दिनों में पानी फिरने से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा इस लिए कि अनुबंध पर बहाल मनरेगाकर्मी अपनी मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
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कार्य प्रभावित
बता दें कि जिले में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 723, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत 3,185 और वीर शहीद हो खेल विकास योजना के तहत 80 योजनाओं पर काम शुरू किया. इन योजनाओं को समय पर पूरा कराने के साथ-साथ उन्हें मजदूरी मुहैया कराने का दारोमदार अनुबंध पर बहाल मनरेगा प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, सहायक और जूनियर इंजीनियर, रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक पर था, जो बीते 2 दिन पहले अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. अनुबंध पर बहाल कर्मियों की हड़ताल पर चले जाने की वजह से मनरेगा की योजनाएं चाहे वह धरातल पर हो या कागजी कार्य प्रभावित हो रही हैं.
योजनाओं को पूरा करने के लिए डेडलाइन तय की गई है
यदि मनरेगाकर्मियों की हड़ताल आगे भी जारी रही तो उक्त योजनाएं न केवल बंद हो जाएंगी, बल्कि मजदूरों के समक्ष इस राष्ट्रव्यापी कोरोना वायरस के समय रोजी रोटी की समस्या भी खड़ी हो जाएगी. जिले के 123 अनुबंध पर बहाल मनरेगाकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी कर रही है, लेकिन यहां यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जिस काम के लिए अनुबंध पर मनरेगाकर्मियों को बहाल किया गया था, उनके जैसा काम वैकल्पिक व्यवस्था में लगाए जाने वाले कर्मी कर पाएंगे. क्या वह भी उस वक्त जब सरकार ने उक्त महत्वपूर्ण तीनों प्रमुख योजनाओं को पूरा करने के लिए डेडलाइन तय की है.
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जिले में मनरेगा के तहत 9 हजार मजदूर काम से जुड़े हुए हैं
बता दें कि जिले में मनरेगा के तहत 9 हजार मजदूर काम से जुड़े हुए हैं और काम करने वाले मजदूरों का एमआईएस इंट्री हो या उनके बैंक खातों में मजदूरी भुगतान के अलावे योजनाओं के लेखा-जोखा करने वाले कर्मी भी हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल आगे भी जारी रहने की वजह से समय पर मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं मिल पाएगा.
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की गई है वैकल्पिक व्यवस्था
हालांकि, जिले के अधिकारियों का दावा है कि मनरेगाकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चल रही मजदूर आधारित योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि इससे पहले वैकल्पिक व्यवस्था की गई है. साथ ही उन्हें निर्देशित किया गया है.