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पटसन की खेती करने वाले किसानों का हौसला पस्त, सरकार से मदद की अपील

पाकुड़, झारखंड का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां बड़े पैमाने पर किसान पटसन की खेती कर जीवन यापन करते हैं. इन किसानों को सरकार ना तो आर्थिक रूप से कोई सहयोग करती और ना ही इन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिलता है. इस साल कोरोना वायरस महामारी और जिले में हुई तेज बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है.

jute farmers pathetic condition in pakur, पाकुड़ में पटसन की खेती करने वाले किसानों का पस्त पड़ा हौसला
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Published : Sep 3, 2020, 7:08 PM IST

पाकुड़: झारखंड का पाकुड़ जिला राज्य का एकमात्र ऐसा जिला हैं जहां पटसन की खेती की जाती है. मगर राज्य सरकार पटसन की खेती करने वाले किसानों के साथ बेईमानी कर रही है. एक और सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर पटसन की खेती से जुड़े किसानों पर मेहरबानी नहीं कर रही है. अगर सरकार ने अपनी लक्ष्य आय दोगुनी के साथ पटसन की खेती करने वाले किसानों पर मेहरबानी कर दी होती तो इन किसानों की फसल बर्बाद नहीं होती और इन्हें सरकार को कोसने का मौका नहीं मिलता.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मंत्री महोदय का जिला

यह सब उस जिले में हो रहा है जहां के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम है जो खुद एक किसान है और चुनाव के पहले इनकी पार्टी और खुद उन्होंने घोषणा किया था कि अगर राज्य में हमारी सरकार बनी तो हम किसानों की दशा और दिशा बदल देंगे. लेकिन दुर्भाग्य से झारखंड में आठ महीने से चल रही सरकार ने पटसन की खेती करने वाले पाकुड़ के हजारों किसानों की ओर अपनी नजरें इनायत नहीं की है.

jute farmers pathetic condition in pakur, पाकुड़ में पटसन की खेती करने वाले किसानों का पस्त पड़ा हौसला
किसान

जल जमाव की समस्या

पटसन की खेती करने वाले किसानों को अल्प और अतिवृष्टि के कारण ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. अधिकांश किसान निचले स्तर के खेतों में पटसन उपजाया करते हैं. जहां अधिक बारिश होने पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसका खामियाजा इन किसानों को ही भुगतना पड़ता है क्योंकि शासन और प्रशासन के स्तर से बरसात के मौसम में जल जमाव की समस्या को दूर करने को लेकर एहतियात कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं. लिहाजा पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के जांच की चांचकी, चांदपुर, गंधाईपुर, फरसा, किस्मत कदमसार सहित दर्जनों गांव में पटसन की खेती में शामिल किसान फसल बर्बाद होने से काफी परेशान हैं.

पश्चिम बंगाल में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर

पटसन की खेती करने वाले किसानों के प्रति सरकार की गंभीरता जरूर दिखाई. दो साल पहले 2 करोड़ 72 लाख रुपए से जूट उद्योग का प्रस्ताव गया था ताकि किसानों की उत्पादित को जूट बाजार मिले, उनकी आय दोगुनी हो और जूट का समर्थन मूल्य मिले. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है. बता दें कि एकमात्र सदर प्रखंड के लगभग 800 हेक्टेयर भूमि में पटसन की खेती की जाती है. किसान निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर होते हैं क्योंकि झारखंड सरकार ने अबतक पटसन का ना तो समर्थन मूल्य निर्धारित किया है और ना ही उन्हें बाजार मुहैया कराया है.

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पानी में पटसन

जूट उद्योग लगाने की मांग

किसानों का कहना है कि अगर पाकुड़ में जूट उद्योग लगा दिया जाए तो उन्हें पश्चिम बंगाल के भरोसे रहना नहीं पड़ेगा और हमें इसका उचित दाम भी मिलेगा. किसानों का कहना है कि पाकुड़ सदर प्रखंड के दर्जनों ऐसे गांव है जहां बरसात के समय लोग धान की खेती इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में पानी का जमाव होता है और निकासी का कोई रास्ता नहीं है जिसके चलते हैं यहां के हजारों किसान मजबूरन पटसन की खेती करते हैं और बारिश कम हो जाए या ज्यादा हो जाए तो भी नुकसान उठाना पड़ता है.

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सड़क पर पड़ा पटसन

और पढें- पलामू में चार घंटे से खड़ी है राजधानी एक्सप्रेस, टाना भगतों ने कर रखा है ट्रैक जाम

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जूट उद्योग लगाने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. अधिकारियों का कहना है कि पटसन की खेती करने वाले किसानों को उन्नत किस्म का पटसन की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिलाया गया है. जहां तक इन किसानों को अन्य फायदा दिलाने की बात है इसके लिए विभाग के वरीय अधिकारियों को पत्राचार किया गया है आदेश निर्देश मिलते ही इन किसानों को फायदा पहुंचाया जाएगा.

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पटसन ले जाता किसान

पाकुड़: झारखंड का पाकुड़ जिला राज्य का एकमात्र ऐसा जिला हैं जहां पटसन की खेती की जाती है. मगर राज्य सरकार पटसन की खेती करने वाले किसानों के साथ बेईमानी कर रही है. एक और सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है तो दूसरी ओर पटसन की खेती से जुड़े किसानों पर मेहरबानी नहीं कर रही है. अगर सरकार ने अपनी लक्ष्य आय दोगुनी के साथ पटसन की खेती करने वाले किसानों पर मेहरबानी कर दी होती तो इन किसानों की फसल बर्बाद नहीं होती और इन्हें सरकार को कोसने का मौका नहीं मिलता.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मंत्री महोदय का जिला

यह सब उस जिले में हो रहा है जहां के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम है जो खुद एक किसान है और चुनाव के पहले इनकी पार्टी और खुद उन्होंने घोषणा किया था कि अगर राज्य में हमारी सरकार बनी तो हम किसानों की दशा और दिशा बदल देंगे. लेकिन दुर्भाग्य से झारखंड में आठ महीने से चल रही सरकार ने पटसन की खेती करने वाले पाकुड़ के हजारों किसानों की ओर अपनी नजरें इनायत नहीं की है.

jute farmers pathetic condition in pakur, पाकुड़ में पटसन की खेती करने वाले किसानों का पस्त पड़ा हौसला
किसान

जल जमाव की समस्या

पटसन की खेती करने वाले किसानों को अल्प और अतिवृष्टि के कारण ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है. अधिकांश किसान निचले स्तर के खेतों में पटसन उपजाया करते हैं. जहां अधिक बारिश होने पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसका खामियाजा इन किसानों को ही भुगतना पड़ता है क्योंकि शासन और प्रशासन के स्तर से बरसात के मौसम में जल जमाव की समस्या को दूर करने को लेकर एहतियात कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं. लिहाजा पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड के जांच की चांचकी, चांदपुर, गंधाईपुर, फरसा, किस्मत कदमसार सहित दर्जनों गांव में पटसन की खेती में शामिल किसान फसल बर्बाद होने से काफी परेशान हैं.

पश्चिम बंगाल में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर

पटसन की खेती करने वाले किसानों के प्रति सरकार की गंभीरता जरूर दिखाई. दो साल पहले 2 करोड़ 72 लाख रुपए से जूट उद्योग का प्रस्ताव गया था ताकि किसानों की उत्पादित को जूट बाजार मिले, उनकी आय दोगुनी हो और जूट का समर्थन मूल्य मिले. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है. बता दें कि एकमात्र सदर प्रखंड के लगभग 800 हेक्टेयर भूमि में पटसन की खेती की जाती है. किसान निकटवर्ती पश्चिम बंगाल में औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर होते हैं क्योंकि झारखंड सरकार ने अबतक पटसन का ना तो समर्थन मूल्य निर्धारित किया है और ना ही उन्हें बाजार मुहैया कराया है.

jute farmers pathetic condition in pakur, पाकुड़ में पटसन की खेती करने वाले किसानों का पस्त पड़ा हौसला
पानी में पटसन

जूट उद्योग लगाने की मांग

किसानों का कहना है कि अगर पाकुड़ में जूट उद्योग लगा दिया जाए तो उन्हें पश्चिम बंगाल के भरोसे रहना नहीं पड़ेगा और हमें इसका उचित दाम भी मिलेगा. किसानों का कहना है कि पाकुड़ सदर प्रखंड के दर्जनों ऐसे गांव है जहां बरसात के समय लोग धान की खेती इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में पानी का जमाव होता है और निकासी का कोई रास्ता नहीं है जिसके चलते हैं यहां के हजारों किसान मजबूरन पटसन की खेती करते हैं और बारिश कम हो जाए या ज्यादा हो जाए तो भी नुकसान उठाना पड़ता है.

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सड़क पर पड़ा पटसन

और पढें- पलामू में चार घंटे से खड़ी है राजधानी एक्सप्रेस, टाना भगतों ने कर रखा है ट्रैक जाम

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जूट उद्योग लगाने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है. अधिकारियों का कहना है कि पटसन की खेती करने वाले किसानों को उन्नत किस्म का पटसन की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिलाया गया है. जहां तक इन किसानों को अन्य फायदा दिलाने की बात है इसके लिए विभाग के वरीय अधिकारियों को पत्राचार किया गया है आदेश निर्देश मिलते ही इन किसानों को फायदा पहुंचाया जाएगा.

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पटसन ले जाता किसान
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