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पाकुड़: कुपोषण उपचार केंद्र का भवन जर्जर, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

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Published : Jul 11, 2019, 2:19 PM IST

पाकुड़ के कुपोषण स्वास्थ्य केंद्र के भवन की हालत बेहद जर्जर हो गई है. इसके साथ ही यहां व्यवस्थाओं की भी घोर कमी है. यहां काम करने वाली एएनएम से रसोइया का काम भी कराया जा रहा है.

कुपोषण उपचार केंद्र का भवन जर्जर

पाकुड़: झारखंड सरकार ने पोषक तत्वो की कमी के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ होने वाले बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए साल 2010 में कुपोषण उपचार केंद्र चालू किया. पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र परिसर में ही कुपोषण उपचार केंद्र चालु किया गया. शुरूआती दौर में यह केंद्र ठीक रहा. हालंकि आज स्थिति यह है कि कुपोषित बच्चों का यहां इलाज तो हो रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर यह केंद्र खुद लाचार है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस कुपोषण उपचार केंद्र के भवन जर्जर हो चुके है और बरसात के मौसम में बूंद-बूद टपक रहे पानी से बच्चे और परिजन परेशान हो रहे हैं. बीच बीच में छत की टूटी परत भी गिरकर अपनी बदहाली का एहसास करा रही है. इस केंद्र में बिजली की व्यवस्था है पर पंखे नहीं हैं. इतना ही नहीं जो एएनएम कुपोषित बच्चों की देखभाल कर रही हैं उनसे रसोईया का भी काम कराया जा रहा है.

कुपोषण उपचार केंद्र की लाचारी और कुव्यवस्था की वजह से दर्जनों वैसे कुपोषित बच्चे जिन्हें उपचार के लिए यहां लाया गया उनके परिजन अधूरा इलाज कराकर भागने को मजबुर हुए. पैसे की कमी से गांव के वैसे ग्रामीण जिनके बच्चे कुपोषित हैं, उन्हें स्वस्थ्य बनाने के लिए कुपोषण उपचार केंद्र लाकर उपचार करवा रहे हैं.

मामले को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन डा. सुशील कुमार मेहरोत्रा ने बताया कि कई बार भवन को दुरूस्त करने के लिए भवन प्रमंडल विभाग के अधिकारियों को पत्राचार किया गया. उन्होंने कहा कि कुछ वैसी समस्याएं भी हैं जिसके निदान को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं.

पाकुड़: झारखंड सरकार ने पोषक तत्वो की कमी के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ होने वाले बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए साल 2010 में कुपोषण उपचार केंद्र चालू किया. पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र परिसर में ही कुपोषण उपचार केंद्र चालु किया गया. शुरूआती दौर में यह केंद्र ठीक रहा. हालंकि आज स्थिति यह है कि कुपोषित बच्चों का यहां इलाज तो हो रहा है, लेकिन सुविधा के नाम पर यह केंद्र खुद लाचार है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस कुपोषण उपचार केंद्र के भवन जर्जर हो चुके है और बरसात के मौसम में बूंद-बूद टपक रहे पानी से बच्चे और परिजन परेशान हो रहे हैं. बीच बीच में छत की टूटी परत भी गिरकर अपनी बदहाली का एहसास करा रही है. इस केंद्र में बिजली की व्यवस्था है पर पंखे नहीं हैं. इतना ही नहीं जो एएनएम कुपोषित बच्चों की देखभाल कर रही हैं उनसे रसोईया का भी काम कराया जा रहा है.

कुपोषण उपचार केंद्र की लाचारी और कुव्यवस्था की वजह से दर्जनों वैसे कुपोषित बच्चे जिन्हें उपचार के लिए यहां लाया गया उनके परिजन अधूरा इलाज कराकर भागने को मजबुर हुए. पैसे की कमी से गांव के वैसे ग्रामीण जिनके बच्चे कुपोषित हैं, उन्हें स्वस्थ्य बनाने के लिए कुपोषण उपचार केंद्र लाकर उपचार करवा रहे हैं.

मामले को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन डा. सुशील कुमार मेहरोत्रा ने बताया कि कई बार भवन को दुरूस्त करने के लिए भवन प्रमंडल विभाग के अधिकारियों को पत्राचार किया गया. उन्होंने कहा कि कुछ वैसी समस्याएं भी हैं जिसके निदान को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं.

Intro:बाइट : निरोजनी मुर्मू, ANM
बाइट : धनमुनी मुर्मू, ग्रामीण
बाइट : डॉ एस के मेहरोत्रा, प्रभारी सिविल सर्जन

पाकुड़ : शासन प्रशासन में बैठे लोगो क इच्छाशक्ति की कमी का ही नतीजा है कि झारखंड राज्य के सबसे पिछड़े अनुसूचित जनजाति बहुल प्रखंड लिट्टीपाड़ा के कुपोषित बच्चों एवं उनके परिजनो को भी व्यवस्था के लाचारी का दंश झेलने को मजबुर होना पड़ रहा है। यह सब हो रहा है सरकार द्वारा कुपोषित बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने वाले कुपोषण उपचार केंद्र में।



Body:झारखंड सरकार ने पोषक तत्वो की कमी के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ होने वाले बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए वर्ष 2010 में कुपोषण उपचार केंद्र चालु किया। पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र परिसर में ही कुपोषण उपचार केंद्र चालु किया गया। शुरूआती दौर में यह केंद्र ठीक ठाक था। यहां पहुंचने वाले कुपोषित बच्चों और उनके परिजनो को कोई परेशानी नही होती थी परंतु आज स्थिति यह है कि कुपोषित बच्चो का यहां इलाज तो हो रहा है परंतु सुविधा के नाम पर यह केंद्र खुद लाचार है।
इस कुपोषण उपचार केंद्र के भवन जर्जर हो चुके है और वर्षात के मौसम में बुंद बुंद टपक रहे पानी से बच्चे और परिजन परेशान हो रहे है। बीच बीच में छत की टुटी परत भी गिरकर अपनी बदहाली का एहसास करा रहा है। इस केंद्र में बिजली की व्यवस्था है पर पंखे नही है। इतना ही नही जो एएनएम कुपोषित बच्चों की देखभाल कर रही है उसे रसोईया का भी काम करना पड़ रहा। कुपोषण उपचार केंद्र की लाचारी और कुव्यवस्था की वजह से दर्जनो वैसे कुपोषित बच्चे जिन्हे उपचार के लिए यहां लाया गया था उनके परिजन अधुरा इलाज कराकर भागने को भी मजबुर हुए है। फिलवक्त अर्थाभाव में गांव के वैसे ग्रामीण जिनके बच्चे कुपोषित है उन्हे स्वस्थ बनाने के लिए कुपोषण उपचार केंद्र लाकर उपचार करवा रहे है और इस दौरान उन्हे दुघर्टना का भी भय सता रहा है।



Conclusion:कुपोषण उपचार केंद्र की कुव्यवस्था एवं लाचारी को लेकर प्रभारी सिविल सर्जन डा. सुशील कुमार मेहरोत्रा ने बताया कि अनेको बार भवन को दुरूस्त करने के लिए भवन प्रमंडल विभाग के अधिकारियो को पत्राचार किया गया। उन्होने कहा कि कुछ वैसी समस्याए भी है जिसके निदान को लेकर प्रयास किये जा रहे है।
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