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पाकुड़ में छात्राओं ने किया पौधारोपण, पर्यावरण को बचाने का दिया संदेश

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Published : Aug 21, 2019, 11:35 AM IST

पाकुड़ में वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम के तहत कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में अधिकारियों के साथ ही छात्राओं ने पौधारोपण किया.

छात्राओं ने किया पौधारोपण

पाकुड़: वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया. जिला मुख्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में वन महोत्सव कार्यक्रम के तहत पौधारोपण किया गया. इस कार्यक्रम में वन प्रमंडल पदाधिकारी महेंद्र महालिंगा, रेंजर अनिल कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी, झारखंड शिक्षा परियोजना की एमलिन सुरीन के अलावा विद्यालय के वार्डन और छात्राओं ने हिस्सा लिया.

देखें पूरी खबर

अधिकारियों और स्कूली बच्चों ने विद्यालय परिसर में इमारती और फलदार पौधों का रोपण किया. अपने संबोधन में डीएफओ महालिंगा ने कहा कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए हमें न केवल पौधारोपण करना होगा, बल्कि इसे बचाए रखने का भी संकल्प लेना होगा.


वहीं, डीएफओ ने बताया कि जिले के सभी कस्तूरबा विद्यालयों में वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिससे कि बच्चियां वन के महत्व को समझे और आने वाले दिनों में ये बच्चियां दूसरों को भी वनों को बचाने के लिए जागरूक कर सकें.

ये भी पढ़ें- जेडीयू का रघुवर दास पर निशाना, कहा- नीतीश मॉडल के सहारे बिहार विकास को लेकर देश में अव्वल


दूसरी ओर रेंजर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिले में इस वर्ष 3 लाख 20 हजार पौधों का रोपण किया गया. यह मुहिम आगे भी जारी है. उन्होंने कहा कि 30 हजार पौधे बांसलोई नदी के किनारे लगाये गये हैं ताकि नदी के कटाव को रोका जा सके. साथ ही 1 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्रति हेक्टेयर दो सौ पौधे लगाए गए हैं. वहीं, 80 हेक्टेयर घने जंगलों में जहां ज्यादा पेड़ उजर गए हैं, उन स्थानों पर प्रति हेक्टेयर 16सौ पौधों का रोपण किया गया है.

पाकुड़: वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया. जिला मुख्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में वन महोत्सव कार्यक्रम के तहत पौधारोपण किया गया. इस कार्यक्रम में वन प्रमंडल पदाधिकारी महेंद्र महालिंगा, रेंजर अनिल कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी, झारखंड शिक्षा परियोजना की एमलिन सुरीन के अलावा विद्यालय के वार्डन और छात्राओं ने हिस्सा लिया.

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अधिकारियों और स्कूली बच्चों ने विद्यालय परिसर में इमारती और फलदार पौधों का रोपण किया. अपने संबोधन में डीएफओ महालिंगा ने कहा कि पर्यावरण को बचाए रखने के लिए हमें न केवल पौधारोपण करना होगा, बल्कि इसे बचाए रखने का भी संकल्प लेना होगा.


वहीं, डीएफओ ने बताया कि जिले के सभी कस्तूरबा विद्यालयों में वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिससे कि बच्चियां वन के महत्व को समझे और आने वाले दिनों में ये बच्चियां दूसरों को भी वनों को बचाने के लिए जागरूक कर सकें.

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दूसरी ओर रेंजर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिले में इस वर्ष 3 लाख 20 हजार पौधों का रोपण किया गया. यह मुहिम आगे भी जारी है. उन्होंने कहा कि 30 हजार पौधे बांसलोई नदी के किनारे लगाये गये हैं ताकि नदी के कटाव को रोका जा सके. साथ ही 1 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्रति हेक्टेयर दो सौ पौधे लगाए गए हैं. वहीं, 80 हेक्टेयर घने जंगलों में जहां ज्यादा पेड़ उजर गए हैं, उन स्थानों पर प्रति हेक्टेयर 16सौ पौधों का रोपण किया गया है.

Intro:बाइट 1 : महेंद्र महालिंगा, डीएफओ
बाइट 2 : अनिल कुमार सिंह, रेंजर
पाकुड़ : जिला मुख्यालय स्थित कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में मंगलवार को वन महोत्सव कार्यक्रम के तहत पौधारोपण किया गया। वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में वन प्रमंडल पदाधिकारी महेंद्र महालिंगा, रेंजर अनील कुमार सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनी देवी, झारखंड शिक्षा परियोजना की एमलिन सुरीन के अलावे विद्यालय के वार्डन एवं छात्राओ ने हिस्सा लिया।


Body:अधिकारियो एवं स्कूली बच्चों द्वारा विद्यालय परिसर में इमारती एवं फलदार पौधो का रोपण किया गया। अपने संबोधन में डीएफओ श्री महालिंगा ने कहा कि पर्यावरण को बचाये रखने के लिए हमें न केवल पौधारोपण बल्कि इसे बचाये रखने का भी संकल्प लेना होगा। डीएफओ श्री महालिंगा ने बताया कि जिले का सभी कस्तूरबा विद्यालय में वन महोत्सव मनाया जा रहा है ताकि बच्चियां वन के महत्व को समझे और आने वाले दिनों में ये बच्चियां दुसरो को भी वनों को बचाने के लिए जागरूक करे।





Conclusion:वही रेंजर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिले में इस वर्ष 3 लाख 20 हजार पौधों का रोपण किया गया और और आगे भी जारी है। श्री सिंह ने कहा कि 30 हजार पौधे बाँसलोई नदी के किनारे लगाया गया है ताकि नदी के कटाव को रोका जा सके साथ ही 1 हजार हेक्टेयर भूमि में प्रति हेक्टेयर दो सौ पौधे लगाए गए है। वही 80 हेक्टेयर घने जंगलों में जहां ज्यादा पेड़ उजर गए है वैसे स्थानों पर प्रति हेक्टेयर 16 सौ पौधों का रोपण किया गया है।
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