पाकुड़ः आदिवासी बहुल इस जिला के हजारों किसान वर्षा आधारित खेती कर रहे हैं. समय पर बारिश नहीं हुई तो वो समय पर खेती नहीं कर पाते हैं. बारिश की आस में किसी तरह खेत में फसल लगा भी दिया तो भी उनकी मेहनत बेकार चली जाती है. पर अब ऐसा नहीं होगा पाकुड़ में बंद पत्थर खदानों में जमा पानी का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है.
इसे भी पढ़ें- पाकुड़: हाथी ने एक व्यक्ति की ली जान, गांव में छाया मातम
पूरे एशिया महादेश में पाकुड़ की पहचान काला पत्थर से है. जिला में पाकुड़ के मालपहाड़ी, पीपलजोड़ी, बासमाता, हिरणपुर प्रखंड के सीतपहाड़ी, वीरग्राम, महेशपुर प्रखंड के रद्दीपुर, पाकुड़िया प्रखंड खकसा, गोलपुर, चांदपुर सहित कई ऐसे इलाके हैं, जहां दो सौ वर्षों से अधिक पत्थरों की खुदाई की जा रही है. यहां का पत्थर झारखंड के अलावा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई में जाता है. सिर्फ भारत ही नहीं पड़ोसी देश नेपाल, भूटान, बंगलादेश सहित कई देशों में ट्रक, मालगाड़ी और जलमार्ग से पाकुड़ का पत्थर भेजा जाता है.
प्रशासन ने बनाई कार्य-योजना
वर्षों से चल रही पत्थरों की खुदाई कर सैकड़ों पट्टेधारियों ने इन खदानों को मिट्टी से भरने के बजाय इसे खुला छोड़ दिया है. अब इन पत्थर खदानों में लाखों लीटर पानी जमा है. कई बार शासन-प्रशासन ने योजनाएं बनाईं कि इन खदानों में मछली पालन होगा और यहां के ग्रामीण आत्मनिर्भर होंगे. अब प्रशासन की नजर इन बंद पड़े पत्थर खदानों में पड़ी है और इसमें जमा हजारों लीटर पानी किसानों के खेती के लिए खेतों में पहुंचाने के साथ-साथ इस पानी को फिल्टर कर पीने योग्य बनाने की योजना बनाने का काम भी शुरू कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- जैप जवान ने बच्चे की हत्या कर की खुदकुशी, आम तोड़ने को लेकर हुआ था विवाद
खदान के पानी से किसान होंगे आत्मनिर्भर
किसानों का कहना है कि अगर इन पत्थर खदानों में जमा पानी खेतों में पहुंचने लगे तो यहां के किसानों को वर्षा पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. वो सालों भर खेती पर आत्मनिर्भर बन जाएंगे. डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि बंद पड़े खदानों में जमा पानी को साइफन पद्धति से फिल्टर कर पंप के माध्यम से किसानों के खेतों में पहुंचाने की दिशा में कदम उठाया गया है. आगे कार्य योजना बनाकर सभी बंद पड़े खदानों में जमा पानी को उपयोग में लाया जाएगा. डीसी ने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंताओं के साथ बैठक की गई है. इसे पीने लायक बनाने की दिशा में काम हो, इसके लिए भी दिशा-निर्देश दिया गया है.