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पाकुड़: दुकानों में कपड़ों और जूतों की भरमार, व्यवसायियों पर हावी हो रही कोरोना की मार - कोरोना महामारी का दुर्गा पूजा पर असर

कोरोना महामारी का असर दुर्गा पूजा पर साफ दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से व्यवसायी वर्ग को काफी मार झेलनी पड़ रही है. दुर्गा पूजा के अवसर पर दुकानों में खरीदारों के लिए ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं.

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व्यवसायियों पर कोरोना महामारी का असर
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Published : Oct 20, 2020, 4:35 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 11:54 AM IST

पाकुड़: कोरोना महामारी की मार व्यवसायियों को झेलनी पड़ रही है. हर साल त्यौहार के मौके पर कपड़ों और जूतों की कारोबार करने वाले कारोबारी यह आस लगाए रहते हैं कि उनके दुकानों में रखे गए सामानों की अच्छी बिक्री होगी. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से खासकर दुर्गा पूजा के मौके पर दुकानों में खरीदार ही नहीं आ रहे हैं. जिससे कि व्यवसायियों के सामानों की बिक्री उस हिसाब से नहीं हो पा रहा है जैसी उन्होंने पैसे लगाए हैं.

देखें पूरी खबर
व्यवसायियों को हो रही काफी परेशानीत्यौहार है और आम सहित खास लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने में जुटे हैं. त्यौहार के इस मौसम में कपड़े हों या जूते या फिर अन्य सामान बस औपचारिकता निभाने के लिए लोग खरीदारी कर रहे हैं. पहले जो ग्राहक हजारों रुपयों की सामानों की खरीदारी करते थे आज सैकड़ों में सिमट गए हैं. इस कारोबार से जुड़े व्यवसायियों के चेहरे पर पूरी तरह कोरोना की मार स्पष्ट दिख रही है.


इसे भी पढ़ें-रांचीः दुर्गा बाड़ी में नौ दिनों तक पूजा का होगा ऑनलाइन प्रसारण, वेबसाइट के जरिए भक्त करेंगे दर्शन


ग्राहकों का इंतजार कर रहे दुकानदार
ग्राहकों के इंतजार में दुकानदार घंटों समय बिता रहे हैं. लेकिन उस हिसाब से उसकी दुकानों में भीड़ नहीं उमड़ रही है. दुकानों में स्टॉक है. लेकिन ग्राहक अपेक्षाकृत कम पहुंचने की वजह से दुकानदारों के चेहरे पर वह रौनक नहीं दिख रही जो दिखनी चाहिए. दुकानदारों ने बताया कि बीते 6 माह से लॉकडाउन के कारण वे अपनी दुकान नहीं खोल पाए और जब त्यौहार आया तो ग्राहक नहीं आ रहे.


ग्राहकों के लिए कई तहर के ऑफर
दुकानदारों का कहना है कि ग्राहकों को लुभाने और अपनी ओर खींचने के लिए कई तरह के ऑफर और उपहार का भी इंतजाम किया गया है. लेकिन इसका असर इसलिए नहीं हो रहा है कि लोगों के पास पैसे नहीं है.

कोरोना के कारण नहीं हैं पैसे
चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव संजीव खत्री का कहना है कि कोरोना की मार की वजह से बड़े-बड़े कारोबार प्रभावित हैं. और ऐसे में बाजारों में रौनक की आस इसलिए बेमानी है कि लोगों के पास पर्याप्त पैसे ही नहीं है. तो वह खरीदारी कैसे करेंगे. उन्होंने बताया की पाकुड़ में लोग खासकर पत्थर उद्योग पर टिके हैं और इस पर भी जबरदस्त असर पड़ा है. जिसके चलते लोगों के पास पैसे नहीं है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 30 से 40 प्रतिशत बाजारों में बिक्री है.

पाकुड़: कोरोना महामारी की मार व्यवसायियों को झेलनी पड़ रही है. हर साल त्यौहार के मौके पर कपड़ों और जूतों की कारोबार करने वाले कारोबारी यह आस लगाए रहते हैं कि उनके दुकानों में रखे गए सामानों की अच्छी बिक्री होगी. लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से खासकर दुर्गा पूजा के मौके पर दुकानों में खरीदार ही नहीं आ रहे हैं. जिससे कि व्यवसायियों के सामानों की बिक्री उस हिसाब से नहीं हो पा रहा है जैसी उन्होंने पैसे लगाए हैं.

देखें पूरी खबर
व्यवसायियों को हो रही काफी परेशानीत्यौहार है और आम सहित खास लोग इसे अपने-अपने तरीके से मनाने में जुटे हैं. त्यौहार के इस मौसम में कपड़े हों या जूते या फिर अन्य सामान बस औपचारिकता निभाने के लिए लोग खरीदारी कर रहे हैं. पहले जो ग्राहक हजारों रुपयों की सामानों की खरीदारी करते थे आज सैकड़ों में सिमट गए हैं. इस कारोबार से जुड़े व्यवसायियों के चेहरे पर पूरी तरह कोरोना की मार स्पष्ट दिख रही है.


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ग्राहकों का इंतजार कर रहे दुकानदार
ग्राहकों के इंतजार में दुकानदार घंटों समय बिता रहे हैं. लेकिन उस हिसाब से उसकी दुकानों में भीड़ नहीं उमड़ रही है. दुकानों में स्टॉक है. लेकिन ग्राहक अपेक्षाकृत कम पहुंचने की वजह से दुकानदारों के चेहरे पर वह रौनक नहीं दिख रही जो दिखनी चाहिए. दुकानदारों ने बताया कि बीते 6 माह से लॉकडाउन के कारण वे अपनी दुकान नहीं खोल पाए और जब त्यौहार आया तो ग्राहक नहीं आ रहे.


ग्राहकों के लिए कई तहर के ऑफर
दुकानदारों का कहना है कि ग्राहकों को लुभाने और अपनी ओर खींचने के लिए कई तरह के ऑफर और उपहार का भी इंतजाम किया गया है. लेकिन इसका असर इसलिए नहीं हो रहा है कि लोगों के पास पैसे नहीं है.

कोरोना के कारण नहीं हैं पैसे
चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव संजीव खत्री का कहना है कि कोरोना की मार की वजह से बड़े-बड़े कारोबार प्रभावित हैं. और ऐसे में बाजारों में रौनक की आस इसलिए बेमानी है कि लोगों के पास पर्याप्त पैसे ही नहीं है. तो वह खरीदारी कैसे करेंगे. उन्होंने बताया की पाकुड़ में लोग खासकर पत्थर उद्योग पर टिके हैं और इस पर भी जबरदस्त असर पड़ा है. जिसके चलते लोगों के पास पैसे नहीं है. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 30 से 40 प्रतिशत बाजारों में बिक्री है.

Last Updated : Oct 21, 2020, 11:54 AM IST
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