पाकुड़: आजादी के बाद से लेकर अब तक देश और प्रदेशों की गरीबी उन्मूलन को लेकर सरकारों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों का सर्वे कराया गया और उन्हें अनाज मुहैया कराने के लिए लाल कार्ड, पीला कार्ड आदि की व्यवस्था भी की गयी. इन ऐतिहातिक कदमों को उठाने के पीछे सरकार की मंशा थी गरीब और जरूरतमंद परिवारों को अनाज के अभाव में भूखे मरने से बचाने की. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी बीमारी ने सरकारी जन वितरण प्रणाली की पोल खोल दी है.
लॉकडाउन लागू होने के एक महीना बीतने के बाद भी शासन-प्रशासन जन वितरण प्रणाली की दुकानों के अलावे ग्राम पंचायत स्तर से जरूरतमंद परिवारों को अनाज मुहैया करा रहा है. इतना ही नहीं सामाजिक और स्वयंसेवी संस्थाओं के अलावे जनप्रतिनिधियों की निधि से भी वंचित और जमरूरतमंद परिवारों को सूखा और पका आहार मुहैया कराया जा रहा है.
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जिले में मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल भात योजना केंद्र और पुलिस विभाग के संचालित सामुदायिक रसोईघरों के जरिए ही प्रतिदिन जरूरतमंदों को भरपेट भोजन करा रहे हैं. बावजूद लोगों की ये शिकायतें आम हो गयीं हैं कि हमें तो अनाज और राहत सामग्री मिली ही नहीं. जब लोगों के शिकायतों की हकीकत जानने ईटीवी भारत कई गांव में पहुंचा तो पता चला कि कमोबेश हजारों वैसे लोग जो सही मायने में अनाज पाने के हकदार हैं उनके राशन कार्ड अबतक नहीं बने हैं.
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जमीनी हकीकत कुछ और ही है
हालांकि प्रशासन कार्ड विहीन परिवारों को विपदा की इस घड़ी में अनाज मुहैया कराने का दावा कर रहा है पर धरातल पर कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. जिले के श्यामपुर, चांदपुर, मालपहाड़ी, खपराजोला, सिंगड्डा, कसियाडांगा, मालीपाड़ा, चापाडांगा, आसनडीपा, महुआडांगा, तलवाडांगा और शहरकोल आदि गांवों के हजारों लोगों ने बताया कि उनका राशन कार्ड नहीं है. लॉकडाउन के दौरान भी उन्हें अनाज नहीं मिल रहा है.
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ग्रामीणों की यह भी शिकायत है कि जनप्रतिनिधि हो या मुखिया सभी चेहरा देख कर राशन बांट रहे हैं. फिलवक्त ऐसे परिवार जिनके मुखिया लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों और जिलों में फंस गए हैं और कामकाज बंद रहने की वजह से गांव के महिला और पुरुष मजदूरी भी नहीं कर पा रहे हैं उनके समक्ष अनाज की उपलब्धता को लेकर न केवल संशय बरकरार है बल्कि व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश भी है.
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16,425 लोगों के नहीं बने राशनकार्ड
यहां उल्लेखनीय है कि जिले में आपूर्ति विभाग ने 1 लाख 80 हजार 660 कार्डधारियों को जनवितरण प्रणाली की दुकानों के जरिए राशन मुहैया कराया है. इतना ही नहीं जिले के 16 हजार 425 ऐसे परिवार जिनके राशनकार्ड नहीं बने हैं और उनका नाम ऑनलाइन हुआ है उन्हें दस-दस किलो चावल मुहैया कराया है. मालूम हो कि आपूर्ति विभाग लाल कार्डधारियों को सदस्य के हिसाब से पांच-पांच किलो और पीला कार्ड धारियों को 35 किलो प्रतिमाह अनाज मुहैया करा रहा है.
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हजारों लोगों के पास राशन कार्ड नहीं रहने के कारण अनाज नहीं मिलने की शिकायत पर डीसी कुलदीप चौधरी ने बताया कि प्रशासन हर स्तर पर जरूरतमंदों को बुनियादी आवश्यकताएं मुहैया करा रहा है. डीसी ने ने बताया कि राशन दुकानों से राशन मुहैया कराया जा रहा है. जिसमें जनप्रतिनिधियों की निधि से सूखा राशन वितरण कराया जा रहा और मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र के साथ जिले के सभी थानों में सामुदायिक रसोईघर के जरिए भरपेट भोजन कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रशासन को किसी भी परिवार को अनाज नहीं मिलने की शिकायत मिल रही है तो तुरंत उन्हें राशन भी उपलब्ध कराने का काम हो रहा है.
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आंकड़ों के अनुसार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में 180 से ज्यादा दीदी किचन, लगभग 24 दाल-भात केंद्र और 7 थाना में सामूदायिक किचन भी चल रहे हैं. इसके साथ 11000 राहत पैकेट भी बांटे गये हैं. इसके बाद भी कुछ लोग सरकारी सहायतों से वंचित हैं. इसमें जरूरत है कि जल्द से जल्द प्रशासन द्वारा वंचित लोगों तक मदद पहुंचायी जाये.