पाकुड़: कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े, इसको लेकर सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की लेकिन, पाकुड़ में 75% से ज्यादा बच्चों के लिए मोबाइल और नेटवर्क एक सपना और ऑनलाइन पढ़ाई एक मजाक बन गया है. इसके पीछे मुख्य वजह है कि गरीब बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है और कुछ इलाके ऐसे हैं जहां बच्चों के पास फोन है लेकिन नेवटर्क नहीं होने के कारण वे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर लगातार पीठ थपथपा रही है लेकिन पाकुड़ में इसकी सच्चाई कुछ और ही है.
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25% बच्चों को ही मिल रहा ऑनलाइन शिक्षा का लाभ
पाकुड़ में आठवीं तक कुल 1 लाख 21 हजार बच्चों के एडमिशन स्कूल में हैं लेकिन, इसमें 27 हजार बच्चे ही ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ उठा रहे हैं. आंकड़ों के हिसाब से यह 25 प्रतिशत भी नहीं है. पाकुड़ के दुर्गम इलाकों जैसे अमड़ापाड़ा, लिट्टीपाड़ा और पाकुड़िया प्रखंड में नेटवर्क नहीं होने के चलते काफी बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
ज्यादातर बच्चों के पैरेंट्स के पास स्मार्ट फोन भी नहीं है. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अमड़ापाड़ा प्रखंड में 1,165 लिट्टीपाड़ा और पाकुड़िया प्रखंड में 2509 बच्चे ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं. विद्यालय में पठन-पाठन ऑनलाइन व्यवस्था का लाभ नहीं मिलने के कारण अधिकांश ग्रामीण इलाकों के बच्चे गाय चराने के अलावा ठेला-रिक्शा चलाकर मजदूरी कर रहे हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी दुर्गानंद झा ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई चालू रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में सरकार के निर्देश पर सभी विद्यालय बंद कर दिए गए हैं. ऐसे हालात में शिक्षकों को गांव भेजकर बच्चों को पढ़ाना संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में 27 हजार बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े हुए है. उन्हें मोबाइल में कंटेंट भेजकर पढ़ाया जा रहा है. जब तक सरकार के स्तर से कोई आदेश नहीं मिलता है तब तक कोई निर्णय ले पाना संभव नहीं है.