पाकुड़ : देश को प्रदूषण से मुक्त करने और बीमारियों की रोकथाम के उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई. जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया था, लेकिन पाकुड़ जिला में यह मिशन शासन प्रशासन को मुंह चिढ़ाते दिख रहा है. जिले में कई शौचालय की बदहाली ऐसी है कि लाभुक इसका नियमित उपयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
सरकारी बाबूओं की जिले को खुले में शौचमुक्त बनाने की होड़ में यहां स्वच्छ भारत मिशन पूरी तरह मजाक बन गया है. पाकुड़ में इस मिशन के तहत जितने भी शौचालय बनाए गए, उसमें से कहीं पानी की व्यवस्था नहीं है तो, कहीं शौचालय जंगलों में बनवा दिया गया है, जिसके कारण लाभुक इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. जिले में कई शौचालयों की सही देखरेख नहीं होने के कारण कहीं शौचालयों में जलावन के समान, किसी में गिट्टी-पत्थर के स्टोर रूम के रूप में लाभुक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
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अधिकांश शौचालय में दरवाजे भी नहीं लगे
लाभुकों को जागरूक नहीं किए जाने का ही नतीजा है कि अधिकांश शौचालय शोभा की वस्तु बनकर रह गये हैं. कई ऐसे शौचालय ऐसे भी हैं, जिसमें अब तक दरवाजा नहीं लगाया गया है.
लाभुक बता रहे योजना में लूट
अधिकांश लाभुकों का कहना है कि सरकारी बाबू और स्वयंसेवी संस्थान के लोगों ने शौचालय जैसे-तैसे बनवा दिये, लेकिन कहीं शौच के लिए शौचालय में बैठने की व्यवस्था नहीं की गई तो, कहीं सेप्टिक टैंक बना दिया गया. पाकुड़ जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां के लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं. लाभुकों का कहना है कि अपना चेहरा चमकाने और सरकारी राशि की बंदरबांट करने के लिए खुले में शौचमुक्त गांव घोषित कर दिया गया.
पेयजल स्वच्छता विभाग से दी गई जानकारी के अनुसार जिले को पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है. जिले में 1132 गांव को खुले में शौच मुक्त किया गया है. राज्य के पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इस योजना में सरकारी राशि की लूट की बाद कह रहे हैं. मंत्री का कहना है कि खुले में शौचमुक्त मामले की कई जगहों से शिकायत मिली है और जांच के निर्देश भी दिये गये हैं. उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होंगे उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.