पाकुड़: आकांक्षी जिले में शुमार पाकुड़ के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं काफी हुनरमंद हैं. प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने और स्वावलंबी बनने के लिए बम्बू क्राफ्ट को हथियार बनाया है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की आदिवासी महिलाएं जो पहले चौका बर्तन के अलावे अपना और परिवार का भरण पोषण के लिए मजदूरी का काम किया करती थी आज बांस के सामानों को बनाकर अच्छी आमदनी कर रही हैं.
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बांस ने बदली दुनियाः गांव की इन महिलाओं को हुनरमंद बनाने में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने न केवल बड़ी भूमिका निभायी, बल्कि इन्हें एनआरटीईपी योजना के तहत ग्रामीण उ़द्यमिता विकास केंद्र से जोड़कर वित्तीय सहायता करते हुए क्रियाशील पूंजी भी उपलब्ध कराया है. अपनी मेहनत और जेएसएलपीएस की मदद का ही नतीजा है कि अनुसूचित जनजाति समाज की ये महिलाएं बेहतर आमदनी कर रही हैं. ये महिलाएं पहले सुप, डलिया और चटाई, पंखा बनाकर कुछ आमदनी कर लेती थी. आज वही महिलाएं बांस की कलाकृति शो लैंप, अशोक स्तंभ, पेन स्टैंड, पेट्रोमेक्स, हेयर क्लिप, ज्वेलरी बॉक्स बनाकर उसे हाट बाजारों के अलावे लगने वाले मेला में बेचकर अच्छी आमदनी कर रही है. जिससे उनके परिवार का आर्थिक के साथ ही सामाजिक बदलाव भी हुआ है. इन हुनरमंद महिलाओं को स्मार्ट संस्था ऑनलाइन मार्केटिंग से जोड़कर इनकी आमदनी बढ़ाने और सरल एवं सुलभ तरीके से बाजार मुहैया कराने में जुटी हुई है.
आत्मनिर्भर बन रही महिलाएंः जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के दराजमाठ, संग्रामपुर, फुलपहाड़ी, छोटा घघरी, सरसा, अमड़ापाड़ा का भिलाई आदि ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां बांस की खेती गांव के लोग वृहत पैमाने पर करते हुए इसे औने पौने दामों में साप्ताहिक हाटों में बेच दिया करते थे. उन्ही बांसों के सहारे ग्रामीण महिलाएं आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी गढ़ने में जुटी हुई हैं. जंगलों और पहाड़ों में उपजे बांस को काटकर गांव के ही पुरूष लाकर महिलाओं को न केवल उपलब्ध करा रहे हैं, बल्कि कटाई और छंटाई कर हुनरमंद महिलाओं को मुहैया करा रहे है. जिसे कि वे इससे डलिया, सुप, चटाई के अलावे बांस की कलाकृति शो लैम्प, पेट्रोमेक्स, पेंसिल बॉक्स, हेयर क्लीप आदि का निर्माण कर अच्छी आमदनी कर सके. जिससे उनका और परिवार का न केवल भोरण पोषण सही तरीके से हो बल्कि जीवन स्तर में भी बदलाव आ सके.
बाजार उपलब्ध होने से बढे़गी आमदनीः हालांकि बाजार की अनुपलब्धता की वजह से हुनरमंद बम्बू क्राफ्ट से जुड़ी महिलाओं को अपेक्षाकृत आमदनी नहीं मिल रही जिसका उन्हे मलाल है. इन ग्रामीण हुनरमंद महिलाओं का कहना है कि यदि शासन और प्रशासन ने उन्हें बाजार उपलब्ध करा दिया तो इनके उत्पादित सामानों की बिक्री भी बढ़ेगी और आज जो महिलाए 8 से 9 हजार रुपये मही ना कमा रही है वे 20 से 25 हजार रूपये महीना आमदनी कर सकती हैं.