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Pakur News: 7 महीने से 16 हजार 375 परिवारों को नहीं मिला अनाज का एक दाना, योजना पर गंभीर नहीं जिला प्रशासन - green ration card yojna flop in Pakur

पाकुड़ जिले में ग्रीन राशन कार्ड योजना पूरी तरह से बंद है. पिछले 7 महीने से 16 हजार 375 परिवारों के अनाज का एक दाना तक नहीं मिला है.

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Published : Mar 15, 2023, 1:40 PM IST

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पाकुड़: झाऱखंड में सरकार चाहे जैसी नीति बना ले, योजना के चाहे जो रूप दे दे लेकिन सरकारी हाकिमों के मनमानी का आलम यह रहता है कि जिसे उसका लाभ मिलना है वह साहेब की नजरे इनायत का इंतजार ही करता रहता है. पाकुड़ जिले में एक दो नहीं बल्कि 16 हजार 375 परिवारों को राशन का एक दाना तक नहीं मिल रहा है और जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.

ये भी पढ़ें- पीडीएस में फैले गड़बड़झाले को साफ कर रहा राज्य खाद्य आयोग! देखें चेयरमैन से एक्सक्लूसिव बातचीत

पाकुड़ जिले में ग्रीन राशन कार्ड योजना सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ गयी है. सात माह से 16 हजार 375 परिवारों को राशन नहीं मिला है. सरकार के निर्देश पर जिले में 16 हजार 375 परिवारों को ग्रीन कार्ड जरूर दे दिया गया है लेकिन अनाज मुहैया कराने में शासन और प्रशासन नाकाम रहा है.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित व्यक्तियों को ग्रीन राशन कार्ड योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया था और इसके तहत जिले के 54 हजार 632 ग्रीन सदस्यों को प्रतिमाह पांच-पांच किलो चावल मुहैया कराना था . सरकार की मंशा गरीबों की भूख मिटाने की थी लेकिन अनाज का आवंटन ही नहीं हुआ. अनाज उपलब्ध नहीं होने की वजह से इस योजना के लाभुकों बीते सात माह से राशन नहीं मिला है.

आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के पाकुड़िया प्रखंड के 3279, महेशपुर प्रखंड के 11377, अमड़ापाड़ा प्रखंड के 689, हिरणपुर प्रखंड के 4864, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 2790, पाकुड़ ग्रामीण के 27099 एवं पाकुड़ नगर परिषद क्षेत्र के 4534 ग्रीन सदस्यों को ग्रीन राशन कार्ड योजना के तहत पांच-पांच किलो अनाज मुहैया कराया जाना था. ये सभी लोग पिछले 7 माह से कार्ड लेकर घूम रहे हैं लेकिन इनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है.

जिला आपूर्ति पदाधिकारी संजय कुमार दास ने बताया कि अप्रैल माह से सभी ग्रीन कार्ड सदस्यों को पांच-पांच किलो अनाज नि शुल्क मुहैया कराए जाएंगे. उन्होने बताया कि सरकार ने सितंबर माह से अब तक देवघर राइस मिल से अनाज क्रय करने का आदेश दिया है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने बताया कि देवघर राइस मील को पाकुड़ जिले को चावल मुहैया कराने के आदेश दिया गया है. सरकार के आदेश के आने की बात कही जा रही है अब देखना है कि गरीबों के हक का राशन उनके झोली में अप्रैल में पहुंचता है या फिर मामला लालफीताशाही के लम्बरदारी की भेंट ही चढ़ी रहती है.

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पाकुड़: झाऱखंड में सरकार चाहे जैसी नीति बना ले, योजना के चाहे जो रूप दे दे लेकिन सरकारी हाकिमों के मनमानी का आलम यह रहता है कि जिसे उसका लाभ मिलना है वह साहेब की नजरे इनायत का इंतजार ही करता रहता है. पाकुड़ जिले में एक दो नहीं बल्कि 16 हजार 375 परिवारों को राशन का एक दाना तक नहीं मिल रहा है और जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है.

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पाकुड़ जिले में ग्रीन राशन कार्ड योजना सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ गयी है. सात माह से 16 हजार 375 परिवारों को राशन नहीं मिला है. सरकार के निर्देश पर जिले में 16 हजार 375 परिवारों को ग्रीन कार्ड जरूर दे दिया गया है लेकिन अनाज मुहैया कराने में शासन और प्रशासन नाकाम रहा है.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित व्यक्तियों को ग्रीन राशन कार्ड योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया था और इसके तहत जिले के 54 हजार 632 ग्रीन सदस्यों को प्रतिमाह पांच-पांच किलो चावल मुहैया कराना था . सरकार की मंशा गरीबों की भूख मिटाने की थी लेकिन अनाज का आवंटन ही नहीं हुआ. अनाज उपलब्ध नहीं होने की वजह से इस योजना के लाभुकों बीते सात माह से राशन नहीं मिला है.

आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के पाकुड़िया प्रखंड के 3279, महेशपुर प्रखंड के 11377, अमड़ापाड़ा प्रखंड के 689, हिरणपुर प्रखंड के 4864, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 2790, पाकुड़ ग्रामीण के 27099 एवं पाकुड़ नगर परिषद क्षेत्र के 4534 ग्रीन सदस्यों को ग्रीन राशन कार्ड योजना के तहत पांच-पांच किलो अनाज मुहैया कराया जाना था. ये सभी लोग पिछले 7 माह से कार्ड लेकर घूम रहे हैं लेकिन इनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है.

जिला आपूर्ति पदाधिकारी संजय कुमार दास ने बताया कि अप्रैल माह से सभी ग्रीन कार्ड सदस्यों को पांच-पांच किलो अनाज नि शुल्क मुहैया कराए जाएंगे. उन्होने बताया कि सरकार ने सितंबर माह से अब तक देवघर राइस मिल से अनाज क्रय करने का आदेश दिया है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने बताया कि देवघर राइस मील को पाकुड़ जिले को चावल मुहैया कराने के आदेश दिया गया है. सरकार के आदेश के आने की बात कही जा रही है अब देखना है कि गरीबों के हक का राशन उनके झोली में अप्रैल में पहुंचता है या फिर मामला लालफीताशाही के लम्बरदारी की भेंट ही चढ़ी रहती है.

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