लोहरदगा: जिला में गर्मी के मौसम में सब्जियों की खेती भी खूब होती है. सब्जियों की खेती पूर्ण रूप से सिंचाई पर निर्भर है. यह खेती किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम करती है लेकिन, इस बार गर्मी और बिजली की खराब हालत ने टमाटर की फसल को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. पहले तो टमाटर की फसल तैयार करने में ही किसानों के पसीने छूट गए. ऊपर से फसल भी खराब होने लगी है. किसानों की परेशानी काफी ज्यादा बढ़ गई है. टमाटर की खेती करने वाले किसान परेशान नजर आ रहे हैं.
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लोहरदगा में 5102 हेक्टेयर में होती है सब्जियों की खेती: लोहरदगा कृषि प्रधान जिला है. यहां पर कुल कृषि योग्य भूमि 55070 हेक्टेयर (Cultivable land in Lohardaga) है. जिसमें से महज 7752 हेक्टेयर सिंचित भूमि है. यदि सब्जियों की खेती की बात करें तो लोहरदगा जिले में 5102 हेक्टेयर में सब्जियों की खेती की जाती है. गर्मी के मौसम में किसान बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती करते हैं. किसान टमाटर की खेती करते हुए आर्थिक मजबूती की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश करते हैं.
गर्मी ने की फसलों की दुर्गति: गर्मी में टमाटर की डिमांड भी अधिक होती है और दाम भी अच्छा मिलता है लेकिन, इस बार गर्मी और बिजली की खराब हालत ने टमाटर की खेती को काफी ज्यादा प्रभावित किया है. वर्तमान परिस्थितियों में भी किसान काफी ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं. गर्मी और बिजली की खराब हालत ने टमाटर की खेती के उत्पादन के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है. कुल मिलाकर किसान इस बार उत्पादन से खुश दिखाई नहीं दे रहे हैं.
बिजली ने दिया धोखा: ज्यादातर सब्जियों की खेती जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है. जिसमें कुडू, किस्को, सेन्हा, भंडरा और कैरो प्रखंड शामिल है. सब्जियों की खेती सिंचाई पर निर्भर करती है और सिंचाई के लिए बिजली बेहद आवश्यक है. इस बार बिजली ने भी धोखा दिया और गर्मी तो ऐसी कि किसान परेशान होकर रह गए. टमाटर की खेती गर्मी और बिजली की वजह से काफी ज्यादा प्रभावित हुई है. किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है.