लोहरदगा: तिलकुट का स्वाद भला किसे पसंद नहीं है. कोई गुड़ वाला तिलकुट पसंद करता है तो कोई चीनी वाला. किसी को खोवा का तिलकुट पसंद है तो कोई तिल का लड्डू पसंद करता है. लोहरदगा के लोग भी इससे अछूते नहीं है. जब मकर संक्रांति आती है, तब तिलकुट के बिना भला मकर संक्रांति का त्यौहार पूरा नहीं होता. लोहरदगा में बिहार से आए कारीगर तिलकुट बनाते हैं. जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. जिले में दो दर्जन से भी ज्यादा बिहार के गया से आए कारीगरों की दुकान सजे हैं.
शुगर फ्री और खोवा के तिलकुट की सबसे अधिक मांगः लोहरदगा जिले में अक्टूबर महीने से ही तिलकुट की दुकान सज जाती है. शहर के अलग-अलग क्षेत्र में गया बिहार के कारीगर और दुकानदार तिलकुट की दुकान लगानी शुरू कर देते हैं. अगले 3 महीने तक इनकी दुकान सजी रहती है. तिलकुट कूटे जाने की ठक-ठक की आवाज, तिलकुट भूने जाने का सुगंध, गुड़ और चीनी की सुगंध, खोवे की मिठास हर ओर महकती रहती है. तिलकुट का स्वाद लोगों को काफी आकर्षित करता है. यही कारण है कि लोहरदगा में लोग कम से कम 3 महीने तो तिलकुट का आनंद जरूर लेते हैं.
एक दुकानदार कम से कम आठ से नौ कारीगरों के साथ अपनी दुकान सजाकर बैठता है. यहां पर हर तरह के तिलकुट लोगों का स्वागत करते हैं. सबसे अधिक मांग खोआ और शुगर फ्री तिलकुट की है. तिलकुट की कीमत डेढ़ सौ रुपये प्रति किलो से लेकर 800 रुपये प्रति किलो तक है. लोग अपने स्वाद के अनुसार, अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार तिलकुट की खरीदारी करते हैं. सबसे अधिक डिमांड गुड़, खोआ और शुगर फ्री तिलकुट की है.