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लोहरदगा का रणः क्या सुखदेव का 'हाथ' इस बार रोकेगा सुदर्शन का 'चक्र'

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Published : Apr 29, 2019, 12:04 AM IST

झारखंड में पहले चरण के दौरान लोहरदगा लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. इसके लिए बीजेपी प्रत्याशी और केंद्र सरकार मे मंत्री सुदर्शन भगत ने गुरुवार को नॉमिनेशन कर दिया. इस मौके पर बीजेपी का पुरा कुनबा वहां मौजूद रहा, उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस के सुखदेव भगत से है.

डिजाइन इमेज

रांची/हैदराबाद: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक है लोहरदगा सीट, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट रांची, गुमला और लोहरदगा जिले में फैली हुई है. यह पूरा इलाका 'रेड कॉरिडोर' का हिस्सा है. यहां मुकाबला हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है. पिछले दो बार से बीजेपी के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं.

देखिए पूरी रिपोर्ट

अपने समृद्ध खनिज भंडार जैसे बॉक्साइट और लेटेराइट के कारण यह इलाका प्रसिद्ध है. बावजूद इसके इलाके की गिनती आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के रूप में होती है. इस संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

लोहरदगा के अब तक के सांसद
1962 में इस सीट पर कांग्रेस के डेविड मुंजिन जीते थे. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर कार्तिक उरांव 1967 और 1971 में जीते. 1977 के चुनाव में कार्तिक उरांव की करारी हार हुई. उन्हें जनता पार्टी के लालू उरांव ने पटखनी दे दी. 1980 में कार्तिक उरांव ने फिर से सीट पर कब्जा जमाया. 1984 और 1989 में कांग्रेस के ही टिकट पर सुमति उरांव जीतीं. फिर 1991 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और उसके प्रत्याशी ललित उरांव जीते. 1996 में भी ललित ने भगवा पताका फहराया. 1998 में कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत जीतने में कामयाब हुए. 1999 में बीजेपी के दुखा भगत यहां से जीते. 2004 में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव जीते. फिर 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने बाजी मारी.

सामाजिक तानाबाना
लोहरदगा लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी करीब 2.69 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 64.04 फीसदी है. यहां की 96 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 11.19 लाख है, इसमें 5.78 लाख पुरुष और 5.40 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.

लोकसभा सीट दायरा
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें मांडर, गुमला, लोहरदगा, सिसई, बिशुनपुर आती हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने तीन मांडर, गुमला, और सिसई में जीत दर्ज की थी. तो वहीं, जेएमएम ने एक सीट बिशुनपुर और आजसू पार्टी लोहरदगा पर जीत दर्ज की थी. बाद में लोहरदगा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की.

2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को करीबी मुकाबले में हराया था. सुदर्शन भगत को 2.26 लाख और रामेश्वर उरांव को 2.20 लाख वोट मिले थे. इस सीट पर करीब 58 फीसदी मतदान हुआ था.

आमने-सामने भगत
2019 के चुनावी रण में बीजेपी ने एक बार फिर से सुदर्शन भगत को मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने इस बार अपना प्रत्याशी बदला है. पार्टी ने लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत पर दांव खेला है.

रांची/हैदराबाद: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक है लोहरदगा सीट, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट रांची, गुमला और लोहरदगा जिले में फैली हुई है. यह पूरा इलाका 'रेड कॉरिडोर' का हिस्सा है. यहां मुकाबला हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है. पिछले दो बार से बीजेपी के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं.

देखिए पूरी रिपोर्ट

अपने समृद्ध खनिज भंडार जैसे बॉक्साइट और लेटेराइट के कारण यह इलाका प्रसिद्ध है. बावजूद इसके इलाके की गिनती आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के रूप में होती है. इस संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

लोहरदगा के अब तक के सांसद
1962 में इस सीट पर कांग्रेस के डेविड मुंजिन जीते थे. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर कार्तिक उरांव 1967 और 1971 में जीते. 1977 के चुनाव में कार्तिक उरांव की करारी हार हुई. उन्हें जनता पार्टी के लालू उरांव ने पटखनी दे दी. 1980 में कार्तिक उरांव ने फिर से सीट पर कब्जा जमाया. 1984 और 1989 में कांग्रेस के ही टिकट पर सुमति उरांव जीतीं. फिर 1991 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और उसके प्रत्याशी ललित उरांव जीते. 1996 में भी ललित ने भगवा पताका फहराया. 1998 में कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत जीतने में कामयाब हुए. 1999 में बीजेपी के दुखा भगत यहां से जीते. 2004 में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव जीते. फिर 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने बाजी मारी.

सामाजिक तानाबाना
लोहरदगा लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी करीब 2.69 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 64.04 फीसदी है. यहां की 96 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. इस सीट पर मतदाताओं की संख्या 11.19 लाख है, इसमें 5.78 लाख पुरुष और 5.40 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.

लोकसभा सीट दायरा
इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें मांडर, गुमला, लोहरदगा, सिसई, बिशुनपुर आती हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने तीन मांडर, गुमला, और सिसई में जीत दर्ज की थी. तो वहीं, जेएमएम ने एक सीट बिशुनपुर और आजसू पार्टी लोहरदगा पर जीत दर्ज की थी. बाद में लोहरदगा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की.

2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के सुदर्शन भगत ने कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को करीबी मुकाबले में हराया था. सुदर्शन भगत को 2.26 लाख और रामेश्वर उरांव को 2.20 लाख वोट मिले थे. इस सीट पर करीब 58 फीसदी मतदान हुआ था.

आमने-सामने भगत
2019 के चुनावी रण में बीजेपी ने एक बार फिर से सुदर्शन भगत को मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस ने इस बार अपना प्रत्याशी बदला है. पार्टी ने लोहरदगा के विधायक सुखदेव भगत पर दांव खेला है.

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