लोहरदगा: एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर अधिक असर होने की आशंकाओं को खारिज करने पर भी अटकलों को विराम नहीं लग पा रहा है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग भी किसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों में जुटा है. लेकिन लोहरदगा में कोविड-19 को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अब तक किस हद तक तैयारी की है, ईटीवी भारत की टीम ने इसकी पड़ताल की है.
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बच्चों के लिए अलग आईसीयू वार्ड
लोहरदगा में स्वास्थ्य विभाग ने किसी भी परिस्थिति से निपटने को लेकर और बच्चों के लिए चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर करने की कोशिश की है. इसके लिए सदर अस्पताल में अलग आईसीयू वार्ड बनाया गया है. फिलहाल इसमें 12 बेड की सुविधा है. यहां पर बच्चों के लिए ऑक्सीजन की सुविधा के साथ-साथ रेडिएंट वार्मर, एक्सरे सहित कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गईं हैं. यह आईसीयू वार्ड लोहरदगा सदर अस्पताल के प्रथम तल पर तैयार किया गया है.
चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा रिम्स
तैयारियों और सुविधाओं की पड़ताल को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी अरविंद कुमार लाल और कोविड-19 के लोहरदगा नोडल पदाधिकारी डॉक्टर एसएन चौधरी ने भी अस्पताल का निरीक्षण किया है. इस दौरान समाज कल्याण पदाधिकारी भी मौजूद थीं. इसके अलावा अस्पताल के सभी वार्ड में बच्चों के लिए दीवार पर पेंटिंग की गई है.
पाइप लाइन की सहायता से ऑक्सीजन की आपूर्ति
पाइप लाइन की सहायता से ऑक्सीजन की आपूर्ति करने, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर के अलावा अन्य सुविधाएं भी वार्ड में मुहैया कराई गईं हैं. साथ ही सदर अस्पताल के कई चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों को गहन प्रशिक्षण के लिए रांची रिम्स भेजा गया है. जहां पर सभी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं.
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आईसीयू वार्ड में बेड कम
लोहरदगा जिले की सरकारी वेबसाइट www.lohardaga.nic.in पर 2011 की जनगणना के मुताबिक जिले की आबादी 461790 अंकित है. इसके सात प्रखंड भंडरा, किस्को, लोहरदगा, सेन्हा, कुडू, कैरो, पेशरार के आंकड़ों पर गौर करें तो किस्को में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 9194, लोहरदगा में 18,564, सेन्हा में 11,512, कुडू में 14,568, कैरो में 6,249, पेशरार में 5,969 है. इस तरह जिले के छह प्रखंड में महज 0-6 आयु वर्ग के बच्चों की ही संख्या 66056 है, अगर छह वर्ष से बड़ी आयु के बच्चों की संख्या इसमें जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा इससे कई गुना अधिक बढ़ जाएगा. ऐसे में जिले में बच्चों की इतनी बड़ी आबादी के हिसाब से सदर अस्पताल में बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए तैयार किए गए आईसीयू वार्ड में बेड कम हैं.