लोहरदगा: मनरेगा योजना के क्रियान्वयन का उद्देश्य मजदूरों को विकास योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना था. कोविड-19 की वजह से जब मजदूर घर वापस लौटे तो सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने की रही. ऐसे समय में मनरेगा योजना ने सरकार को राहत दी. मजदूरों को उनके गांव, उनके घर में रोजगार मिला. अब स्थानीय तौर पर रोजगार प्राप्त होने से मजदूर पलायन नहीं कर रहे हैं. काम और समय पर पैसा मिलने से मजदूरों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है.
वहीं, जिले में 1,118 ऐसे परिवार रहे. जिन्होंने 71 से लेकर 80 दिनों तक मनरेगा योजना में काम किया है. लोहरदगा जिले के अलग-अलग प्रखंडों में 2,457 ऐसे परिवारों की संख्या रही है. जिन्होंने 81 से लेकर 99 दिनों तक योजना में रोजगार पाने का काम किया. सरकार की योजनाओं के तहत 471 ऐसे मनरेगा मजदूर परिवार भी शामिल हैं, जिन्होंने 100 दिनों का रोजगार मनरेगा से प्राप्त किया है.
मनरेगा से चल रही है कई योजनाएं
मनरेगा से कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इनमें डोभा निर्माण, रिचार्ज पिट निर्माण, फ्लैंक निर्माण, कच्ची नाली निर्माण सहित कई योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है. इन योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए पलायन को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. विभागीय प्रयास से मजदूरों को उनके घर के आस-पास ही रोजगार उपलब्ध हो जा रहा है.
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मनरेगा से लोगों को मिला रोजगार
मनरेगा ने गरीब मजदूर परिवारों को रोजगार देने का काम किया है, जो लोग दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए पलायन करने को विवश रहते थे, आज उन्हें अपने गांव, अपने घर में काम मिल रहा है. महत्वपूर्ण बात यह है कि मनरेगा में मजदूरों को रोजगार देने के साथ-साथ समय पर मजदूरी भुगतान को लेकर भी राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही है. समय पर मजदूरी मिलने से मजदूर काम करने में रुचि दिखा रहे हैं. छोटी-छोटी योजनाओं के माध्यम से मजदूरों को उनके गांव उनके घर में रोजगार मिल पा रहा है. पलायन करने वाले मजदूर आज अपने गांव में मजदूरी कर परिवार के साथ समय बिता रहे हैं.