लोहरदगा: चारों ओर जंगलों से घिरे इस जिले में ग्रामीण दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए जंगल पर निर्भर हैं. हीरालाल भगत और उसका 8 सदस्यीय परिवार भी जंगल की मछली और साग को बेचकर गुजर बसर कर रहा था. रविवार को भी ये परिवार मछली और साग के लिए जंगल गया हुआ था, जहां नक्सलियों के बिछाए लैंडमाइंस की चपेट में आकर हीरा लाल भगत की मौत हो गई.
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कैसे हुआ हादसा?
पेशरार थाना क्षेत्र के केरार गांव निवासी हीरालाल भगत उनकी पत्नी सोनामती टाना भगत और उनके परिवार के आठ सदस्य रविवार को बुलबुल जंगल में जंगली मछली और साग लाने के लिए गए हुए थे. जहां पर नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए लैंडमाइंस बिछाकर रखा था. सभी सदस्य आगे पीछे एक साथ चल रहे थे. सबसे पीछे चल रहे हीरालाल भगत का पैर लैंडमाइंस पर पड़ गया. जिसके बाद हुए विस्फोट में वो गंभीर रूप से घायल हो गया. उन्हें किसी तरह जंगल से निकालकर गांव पहुंचाया गया और उनके बेटे को पूरी घटना की जानकारी दी गई. घटना के थोड़ी देर बाद ही हीरालाल भगत की मौत हो गई.
जंगल में पुलिस का सर्च अभियान
घटना के बाद सूचना मिलने पर पेशरार गांव पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. फिलहाल पुलिस पूरे इलाके में सर्च अभियान चला रही है. हालांकि पुलिस को अब तक सफलता हाथ नहीं लगी है.
क्या होता है लैंडमाइंस?
दरअसल लैंडमाइंस भी एक प्रकार का विस्फोटक होता है. जिसे किसी खास इलाके में दुश्मन को टारगेट करने के लिए जमीन के नीचे दबा दिया जाता है. माइंस को उस इलाके में जमीन के नीचे दबाया जाता है जहां से टारगेट के गुजरने का शक या सूचना होती है. यह इस तरह का बम होता है कि जब भी कोई इसके ऊपर से चलता है या उसके ऊपर दबाव पड़ता है तो ये खुद फट जाता है. झारखंड के जंगलों में अब तक कई बार लैंडमाइंस विस्फोट हो चुका है, जिसमें सुरक्षाबलों के कई जवान भी शहीद हो चुके हैं.