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लोहरदगा सीट से बीजेपी-आजसू के संभावित प्रत्याशियों ने दिखाए तेवर, दोनों उम्मीदवारों ने खरीदे नामांकन पत्र

झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन का रुख साफ हो गया है, लेकिन बीजेपी-आजसू गठबंधन के बीच मामला अबतक नहीं सुलझ पाया है.

बीजेपी-आजसू में नहीं थम रहा विवाद
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Published : Nov 8, 2019, 7:23 PM IST

लोहरदगा: विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीति गरम होती जा रही है. लोहरदगा सीट को लेकर बीजेपी और आजसू पार्टी के बीच गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों ही पार्टियों के संभावित प्रत्याशियों ने अब खुले तौर पर तेवर दिखाना शुरू कर दिया है.

देखें पूरी खबर

बीजेपी के संभावित प्रत्याशी सुखदेव भगत की ओर से नामांकन पत्र खरीदा जा चुका है. इसके बाद शुक्रवार को आजसू पार्टी की ओर से भी संभावित प्रत्याशी नीरू शांति भगत के लिए नामांकन पत्र खरीदा गया है. दोनों ही दलों के बीच अब मुकाबला भी नजर आने लगा है. हालांकि, अब तक बीजेपी और आजसू दोनों ही पार्टियों का लोहरदगा सीट पर गठबंधन रहा था. इस बार के चुनाव में दोनों ही दलों ने लोहरदगा सीट पर अपना दावा ठोंक दिया है. बीजेपी-आजसू गठबंधन को लेकर अबतक कुछ भी साफ नहीं हो सका है.

इसे भी पढ़ें:- लोहरदगा सीट पर बढ़ी BJP की मुश्किलें, भारतीय ट्राइबल पार्टी से चुनाव लड़ेंगे पूर्व मंत्री

बीजेपी और आजसू ने लोहरदगा सीट पर एक विधानसभा उपचुनाव सहित 3 चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, जिसमें साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव भगत ने चुनाव जीता था. साल 2009 और 2014 में सुखदेव भगत को एनडीए प्रत्याशी आजसू के कमल किशोर भगत के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जबकि साल 2015 के विधानसभा उपचुनाव में एनडीए के प्रत्याशी आजसू की नीरू शांति भगत को सुखदेव भगत ने हराकर वापस लोहरदगा विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया था.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड में महागठबंधन के साथ कांग्रेस लड़ेगी चुनाव, 35 सीटों पर की दावेदारी

इस बार सुखदेव भगत बीजेपी के हो गए हैं. उन्होंने हाल में ही कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. सुखदेव भगत के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही लोहरदगा विधानसभा सीट से उनका टिकट फाइनल माना जा रहा था. इस सीट पर आजसू ने फिर एक बार अपना दावा ठोका है. आजसू के नेताओं ने खुले तौर पर कई मौके पर कहा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट उनकी परंपरागत सीट रही है. ऐसे में वे हर हाल में यहां से चुनाव लड़ेंगे.

लोहरदगा: विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीति गरम होती जा रही है. लोहरदगा सीट को लेकर बीजेपी और आजसू पार्टी के बीच गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों ही पार्टियों के संभावित प्रत्याशियों ने अब खुले तौर पर तेवर दिखाना शुरू कर दिया है.

देखें पूरी खबर

बीजेपी के संभावित प्रत्याशी सुखदेव भगत की ओर से नामांकन पत्र खरीदा जा चुका है. इसके बाद शुक्रवार को आजसू पार्टी की ओर से भी संभावित प्रत्याशी नीरू शांति भगत के लिए नामांकन पत्र खरीदा गया है. दोनों ही दलों के बीच अब मुकाबला भी नजर आने लगा है. हालांकि, अब तक बीजेपी और आजसू दोनों ही पार्टियों का लोहरदगा सीट पर गठबंधन रहा था. इस बार के चुनाव में दोनों ही दलों ने लोहरदगा सीट पर अपना दावा ठोंक दिया है. बीजेपी-आजसू गठबंधन को लेकर अबतक कुछ भी साफ नहीं हो सका है.

इसे भी पढ़ें:- लोहरदगा सीट पर बढ़ी BJP की मुश्किलें, भारतीय ट्राइबल पार्टी से चुनाव लड़ेंगे पूर्व मंत्री

बीजेपी और आजसू ने लोहरदगा सीट पर एक विधानसभा उपचुनाव सहित 3 चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था, जिसमें साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सुखदेव भगत ने चुनाव जीता था. साल 2009 और 2014 में सुखदेव भगत को एनडीए प्रत्याशी आजसू के कमल किशोर भगत के हाथों हार का सामना करना पड़ा था, जबकि साल 2015 के विधानसभा उपचुनाव में एनडीए के प्रत्याशी आजसू की नीरू शांति भगत को सुखदेव भगत ने हराकर वापस लोहरदगा विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया था.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड में महागठबंधन के साथ कांग्रेस लड़ेगी चुनाव, 35 सीटों पर की दावेदारी

इस बार सुखदेव भगत बीजेपी के हो गए हैं. उन्होंने हाल में ही कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. सुखदेव भगत के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही लोहरदगा विधानसभा सीट से उनका टिकट फाइनल माना जा रहा था. इस सीट पर आजसू ने फिर एक बार अपना दावा ठोका है. आजसू के नेताओं ने खुले तौर पर कई मौके पर कहा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट उनकी परंपरागत सीट रही है. ऐसे में वे हर हाल में यहां से चुनाव लड़ेंगे.

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स्टोरी- लोहरदगा सीट पर गठबंधन की घोषणा से पहले संभावित प्रत्याशियों ने दिखाए तेवर
एंकर- लोहरदगा विधानसभा सीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी और आजसू पार्टी के बीच गतिरोध या कहें कि मतभेद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. दोनों ही पार्टियों के संभावित प्रत्याशियों ने अब खुले तौर पर तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के संभावित प्रत्याशी सुखदेव भगत की ओर से नामांकन प्रपत्र खरीदा गया. इसके बाद शुक्रवार को आजसू पार्टी की ओर से संभावित प्रत्याशी नीरू शांति भगत के लिए नामांकन पत्र खरीदा गया है. दोनों ही दलों के बीच अब मुकाबला नजर आने लगा है. हालांकि अब तक भाजपा और आजसू दोनों ही पार्टियों का लोहरदगा सीट पर गठबंधन रहा था. इस बार के चुनाव में दोनों ही दलों ने लोहरदगा सीट पर अपना दावा ठोक दिया है. लोहरदगा सीट को लेकर गठबंधन से संबंधित कुछ भी तय नहीं होने की वजह से दोनों ही दलों के संभावित प्रत्याशियों ने नामांकन प्रपत्र खरीद कर एक प्रकार से इस सीट पर अपना दावा ठोक दिया है.


इंट्रो- मजेदार बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और आजसू ने लोहरदगा सीट पर एक विधानसभा उपचुनाव सहित 3 चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. जिसमें साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने सुखदेव भगत को दो बार क्रमशः साल 2009 और 2014 में एनडीए प्रत्याशी आजसू के कमल किशोर भगत के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. जबकि साल 2015 के विधानसभा उपचुनाव में एनडीए की प्रत्याशी आजसू की नीरू शांति भगत को सुखदेव भगत ने हराकर वापस लोहरदगा विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया था. इस बार सुखदेव भगत भाजपा के हो गए हैं. उन्होंने हाल में ही कांग्रेस का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है. सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही लोहरदगा विधानसभा सीट से उनका टिकट फाइनल माना जा रहा था. इस सीट पर आजसू ने फिर एक बार अपना दावा ठोका है. आजसू के नेताओं ने खुले तौर पर कई मौके पर कहा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट उनकी परंपरागत सीट रही है. ऐसे में वे हर हाल में यहां से चुनाव लड़ेंगे. लोहरदगा सीट को लेकर आजसू और भाजपा के बीच जो गति विरोध चला आ रहा था, उस पर विराम लग नहीं पाया है. इसी भी सबसे पहले विधायक सुखदेव भगत की ओर से नामांकन प्रपत्र खरीदा गया. उसके एक दिन बाद ही आजसू नेत्री नीरू शांति भगत के लिए नामांकन प्रपत्र खरीदा गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो लोहरदगा सीट को लेकर अब स्थिति काफी रोमांचक होती जा रही है.


Body:मजेदार बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और आजसू ने लोहरदगा सीट पर एक विधानसभा उपचुनाव सहित 3 चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. जिसमें साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने सुखदेव भगत को दो बार क्रमशः साल 2009 और 2014 में एनडीए प्रत्याशी आजसू के कमल किशोर भगत के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. जबकि साल 2015 के विधानसभा उपचुनाव में एनडीए की प्रत्याशी आजसू की नीरू शांति भगत को सुखदेव भगत ने हराकर वापस लोहरदगा विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में डाल दिया था. इस बार सुखदेव भगत भाजपा के हो गए हैं. उन्होंने हाल में ही कांग्रेस का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है. सुखदेव भगत के भाजपा में शामिल होने के बाद से ही लोहरदगा विधानसभा सीट से उनका टिकट फाइनल माना जा रहा था. इस सीट पर आजसू ने फिर एक बार अपना दावा ठोका है. आजसू के नेताओं ने खुले तौर पर कई मौके पर कहा है कि लोहरदगा विधानसभा सीट उनकी परंपरागत सीट रही है. ऐसे में वे हर हाल में यहां से चुनाव लड़ेंगे. लोहरदगा सीट को लेकर आजसू और भाजपा के बीच जो गति विरोध चला आ रहा था, उस पर विराम लग नहीं पाया है. इसी भी सबसे पहले विधायक सुखदेव भगत की ओर से नामांकन प्रपत्र खरीदा गया. उसके एक दिन बाद ही आजसू नेत्री नीरू शांति भगत के लिए नामांकन प्रपत्र खरीदा गया है. कुल मिलाकर कहा जाए तो लोहरदगा सीट को लेकर अब स्थिति काफी रोमांचक होती जा रही है.


Conclusion:लोहरदगा विधानसभा सीट को लेकर भाजपा और आजसू के बीच तकरार बढ़ती ही जा रही है. दोनों दलों के संभावित प्रत्याशियों की ओर से नामांकन प्रपत्र खरीदा गया है.
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