लोहरदगा: एक समय था जब लोहरदगा जिले में सिर्फ धान, गेहूं, सब्जी, मक्का, दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खेती ही होती थी. बारिश नहीं हुई तो खेती को भारी नुकसान हो जाता था और किसानों की कमर टूट जाती थी लेकिन, आज खेती की नई सोच ने न सिर्फ किसानों को खुशहाल कर दिया है, बल्कि खेती की तस्वीर ही बदलने लगी है. जहां फूल मुस्कुराने लगे हैं तो किसान खिलखिलाने लगे हैं.
इसे भी पढ़ें: पीएम के मन की बात कार्यक्रम से प्रेरित होकर की बंजर भूमि पर ड्रैगन फ्रूट की खेती, 14 महीने में आया फल
कई हेक्टेयर में हो रही फूलों की खेती: दरअसल, लोहरदगा जिले में कई हेक्टेयर में फूलों की खेती (Floriculture in Lohardaga) हो रही है. जिले के कुंडू, भंडरा, सेन्हा, पेशरार, किस्को और लोहरदगा प्रखंड में भी फूलों की खेती की जा रही है. उद्यान विभाग के माध्यम से लोगों को प्रेरित किए जाने से यहां फूलों की खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है. वर्तमान समय में लगभग 25 हेक्टेयर खेत में फूलों की खेती हो रही है. जिससे लगभग 50 किसान जुड़े हुए हैं. जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में गेंदा के फूल (Marigold), जरबेरा के फूल सहित अन्य प्रकार के फूलों की खेती होती है.
फूलों के खेती से अच्छी आमदनी: अच्छी बात यह है कि फूलों की खेती के लिए काफी कम पानी की आवश्यकता होती है. वहीं फूल की खेती करने वाले किसान तो यहां तरक्की कर ही रहे हैं अन्य किसानों को भी मजदूरी और रोजगार मिल रहा है. साथ ही फूलों की खेती के लिए बाजार तलाशने की आवश्यकता नहीं पड़ती, बल्कि व्यापारी खुद ही किसान से संपर्क कर खेतों से फूल खरीद कर ले जाते हैं. किसानों को इस खेती से अच्छी-खासी आमदनी होती है. सामान्य रूप से 20 से 25 डिसमिल में भी की गई फूल की खेती से एक साल में कम से कम 50 हजार रुपये की आमदनी होती है. जबकि बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाए तो यह आमदनी कई गुणा तक बढ़ जाती है.
फूलों की खेती के लिए ज्यादा प्रशिक्षण की जरूरत नहीं: लोहरदगा जिले में एक किसान ने एक से दो एकड़ में फूल की खेती की हुई है. जिससे उन्हें लाखों रुपये की आमदनी हो रही है. किसानों को फूल की खेती के लिए बहुत ज्यादा प्रशिक्षण की आवश्यकता भी नहीं होती है. थोड़ी बहुत जानकारी उद्यान विभाग द्वारा उपलब्ध करा दी जाती है. उद्यान विभाग द्वारा ड्रिप इरिगेशन को लेकर सामान और अन्य दूसरे उपकरण भी उपलब्ध कराए जाते हैं.
आसानी से मिल जाता है बाजार: शादी विवाह के साथ-साथ पर्व त्योहार और दूसरे मौकों पर भी फूल की डिमांड हमेशा बनी रहती है. जिसकी वजह से किसानों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ती. लोहरदगा से लेकर लातेहार, गुमला, सिमडेगा, खूंटी आदि जिलों के किसान भी यहां से जुड़े हुए हैं. व्यापारी भी जिलों से आकर किसानों से फूल खरीद कर ले जाते हैं. सबसे नजदीक में रांची जिला यहां के लिए सबसे बेहतर बाजार है.