लोहरदगा: सामान्य खेती के मुकाबले अत्याधुनिक रूप से अब दूसरी खेती पर भी किसान जोर दे रहे हैं. खासकर फूलों की खेती की ओर किसानों का झुकाव बढ़ा है. फूलों की खेती ना सिर्फ सालों भर डिमांड में रहती है, बल्कि इससे होने वाली कमाई की वजह से किसानों की जिंदगी भी बदल रही है. कम पूंजी, कम मेहनत, कम जमीन और ज्यादा मुनाफा की वजह से किसान खेती की ओर मुड़ रहे हैं. लोहरदगा में फूलों की खेती (Floriculture in Lohardaga) से किसानों का जीवन बदल रहा है.
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बड़े पैमाने पर हो रही जरबेरा के फूलों की खेती: लोहरदगा जिला के अलग-अलग क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती हो रही है. जिसमें कुडू प्रखंड क्षेत्र में जरबेरा के फूलों की खेती (Gerbera flower cultivation) सबसे अधिक हो रही है. जरबेरा के फूलों की मांग विशेषकर विवाह लग्न के अलावा दूसरे अवसरों पर भी देखा जाता है. शादी विवाह में मंडप को सजाने के लिए, बुके तैयार करने और दूसरे काम के लिए भी जरबेरा के फूलों की डिमांड होती है. एक फूल की कीमत कम से कम 20 रुपये होती है. काफी कम जमीन में ग्रीन हाउस की मदद से इस फूल की खेती की जाती है.
किसानों को चार गुना ज्यादा मुनाफा: लोहरदगा के कुडू प्रखंड क्षेत्र में लगभग डेढ़ हेक्टेयर में फूलों की खेती की जा रही है. मजेदार बात यह है कि धान की खेती से होने वाले मुनाफे से लगभग चार गुना ज्यादा फूलों की खेती से होने वाला मुनाफा होता है (Profit from Floriculture). फूलों की खेती के बाद फूलों की बिक्री के लिए किसानों को बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती. किसान के खेतों तक खुद ही व्यापारी पहुंचकर फूल खरीद कर ले जाते हैं. जिससे अच्छा खासा मुनाफा किसानों को प्राप्त होता है. जिसकी वजह से किसान फूलों की खेती की ओर झुकाव दिखा रहे हैं.
लगभग 55 हेक्टेयर में फूलों की खेती: कुडू प्रखंड के अलावा अब सदर प्रखंड, किस्को प्रखंड, भंडरा प्रखंड और सेन्हा प्रखंड में भी फूलों की खेती हो रही है. कुल मिलाकर देखा जाए तो लोहरदगा जिले में लगभग 55 हेक्टेयर में फूलों की खेती की जा रही है. उद्यान विभाग किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. उद्यान विभाग की ओर से प्रशिक्षण, बाजार और ग्रीन हाउस भी उपलब्ध कराया जाता है. कुडू प्रखंड के रहने वाले बसंत उरांव सहित अन्य किसान फूलों की खेती करते हुए काफी आगे बढ़ रहे हैं.