लोहरदगा: जिले के भंडरा प्रखंड के भौंरो गांव के बाहर लगा आदर्श गांव के बोर्ड देखकर यह लगता है कि यह निश्चित रूप से आदर्श गांव होगा. लेकिन शहीद पांडे गणपत राय का पैतृक गांव भौंरो दम तोड़ता नजर आ रहा है. शहीद के सपने और अरमान यहां पर घुट-घुट कर मरने को विवश हैं. शहीद के अरमानों को तिलांजलि दी जा रही है.
इस गांव में नया लैंपस भवन 1 साल पहले बनकर तैयार हुआ था. वहीं, आज तक उस भवन का ताला भी नहीं खुला. सड़कों की हालत उतनी ही बदतर है. जब जयंती समारोह की बात हुई तो सड़कों में डस्ट डालकर उसकी मरम्मत की गई. साथ ही यहां पानी की सुविधाएं भी नहीं है. गांव में नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहता है. किसानों के पास सिंचाई के साधन नहीं है. बच्चों के लिए जो स्कूल है, उस स्कूल की हालत यह बताती है कि यहां पर बच्चों की शिक्षा में सुधार से कहीं ज्यादा यहां की व्यवस्था में सुधार जरूरी है. समस्याएं काफी है, सालों से लोग सिर्फ वादे सुनते आ रहे हैं. इन वायदों को पूरा करने को लेकर किसी ने कोशिश ही नहीं की. गांव की बदहाली आज भी शहीद के अरमानों को दम तोड़ने पर विवश करती है.
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1857 की क्रांति के वीर शहीद पांडे गणपत राय की जन्मस्थली लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के भौंरो गांव की हालत को देखकर तरस आता है. गांव में सुविधाएं तो है नहीं, समस्याओं का अंबार जरूर लगा हुआ है. हर साल 17 जनवरी को जयंती समारोह के मौके पर यहां पर मेला लगता है. नेता यहां पर खूब वादे करते हैं, पर इन वादों की हकीकत देखनी हो तो कभी गांव में आकर देखिए. यहां पर शहीद के अरमानों को तिलांजलि दी जा रही.