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साइकिल से हो गई यारी, खूब कर रहे सवारी

लोगों ने सेहत बेहतर करने के लिए साइकिल की सवारी को पसंद किया है. साइकिल की मांग अचानक से दोगुनी हो चुकी है. लोहरदगा में तो मांग ज्यादा होने से दुकानदार ग्राहकों की पसंद के अनुरूप साइकल उपलब्ध नहीं करा पा रहे.

Increased demand for bicycles in jharkhand, Increased sales of bicycles in lohardaga, Demand for bicycle in lohardaga, कोरोना काल में बढ़ी साइकिल की मांग, लोहरदगा में साइकिल की बढ़ी बिक्री, लोहरदगा में साइकिल की मांग
साइकिल की सवारी
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Published : Oct 17, 2020, 5:36 PM IST

लोहरदगा: कभी ना कभी साइकिल की सवारी आपने भी जरूर की होगी. साइकिल की सवारी कभी गरीबों की पसंदीदा हुआ करती थी, आज समाज के हर वर्ग की पसंद है. बात जब सेहत पर आई तो लोगों ने कार और मोटरसाइकिल छोड़कर साइकिल की सवारी को अपना लिया. स्वास्थ्य को लेकर सजग होते लोगों ने साइकिल को अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया. साइकिल की सवारी आज हर आम-खास की पसंद हो चुकी है. यही कारण है कि साइकिल की मांग में अचानक से बढ़ोतरी आ गई है. सिर्फ कोरोना संक्रमण काल के दौरान साइकिल की मांग दोगुनी हो चुकी है.

देखें स्पेशल स्टोरी
बढ़ी मांग, आपूर्ति कमसिर्फ लोहरदगा जिले की बात करें तो साइकिल की मांग अचानक से काफी ज्यादा बढ़ गई. लोग अब साइकिल की सवारी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. बाजार में डिमांड बढ़ने से दुकानदारों के लिए साइकिल की आपूर्ति को पूरा कर पाना भी मुश्किल हो गया है. कंपनियां साइकिल दुकानदारों को समय पर साइकल उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं. ग्राहक अपनी पसंद की साइकिल भी नहीं ले पा रहे. अचानक से डिमांड काफी हाई हो चुकी है.
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साइकिल की बढ़ी मांग
दोगुनी से भी ज्यादा हो रही बिक्रीपहले लोग कम ही साइकिल लेते थे. एक छोटा दुकानदार औसतन हर दिन दो से चार साइकिल बेचता था. आज आठ से दस साइकिल की बिक्री भी आराम से हो जाती है. बाजार में साढ़े 3 हजार से लेकर 22 हजार रुपए तक की साइकिल उपलब्ध है. बच्चों की साइकिल भी 5000 तक में मिल रही है. साइकिल की मांग काफी ज्यादा बढ़ चुकी है. ग्रामीणों के अलावे अब शहर के लोग भी साइकिल की सवारी को पसंद कर रहे हैं.
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दुकान में साइकिल लेने पहुंचे ग्राहक

ये भी पढ़ें- ट्रैफिक नियम को लेकर परिवहन विभाग सख्त, 6 महीने में 80 लोगों का लाइसेंस हुआ रद्द


डॉक्टरों की सलाह आई काम
सेहत को लेकर डॉक्टर की सलाह काम आ गई. कोरोना संक्रमण के दौरान जब इम्युनिटी बढ़ाने की बात हुई तो सबसे पहले डॉक्टर की ओर से सलाह दी गई कि लोग व्यायाम, योग पर ध्यान दें. ऐसे में लोगों ने साइकिलिंग को प्राथमिकता दी. हर उम्र के लोग साइकिल की सवारी करने लगे. इसके कई फायदे नजर आए. लोग साइकिल की सवारी करने लगे. लोगों को भी लगा कि यात्री वाहन या व्यक्तिगत वाहन के बजाए क्यों न शारीरिक क्षमता का उपयोग करते हुए साइकिल चलाई जाए. इससे सेहत ही बनेगी.

लोहरदगा: कभी ना कभी साइकिल की सवारी आपने भी जरूर की होगी. साइकिल की सवारी कभी गरीबों की पसंदीदा हुआ करती थी, आज समाज के हर वर्ग की पसंद है. बात जब सेहत पर आई तो लोगों ने कार और मोटरसाइकिल छोड़कर साइकिल की सवारी को अपना लिया. स्वास्थ्य को लेकर सजग होते लोगों ने साइकिल को अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया. साइकिल की सवारी आज हर आम-खास की पसंद हो चुकी है. यही कारण है कि साइकिल की मांग में अचानक से बढ़ोतरी आ गई है. सिर्फ कोरोना संक्रमण काल के दौरान साइकिल की मांग दोगुनी हो चुकी है.

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बढ़ी मांग, आपूर्ति कमसिर्फ लोहरदगा जिले की बात करें तो साइकिल की मांग अचानक से काफी ज्यादा बढ़ गई. लोग अब साइकिल की सवारी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. बाजार में डिमांड बढ़ने से दुकानदारों के लिए साइकिल की आपूर्ति को पूरा कर पाना भी मुश्किल हो गया है. कंपनियां साइकिल दुकानदारों को समय पर साइकल उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं. ग्राहक अपनी पसंद की साइकिल भी नहीं ले पा रहे. अचानक से डिमांड काफी हाई हो चुकी है.
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साइकिल की बढ़ी मांग
दोगुनी से भी ज्यादा हो रही बिक्रीपहले लोग कम ही साइकिल लेते थे. एक छोटा दुकानदार औसतन हर दिन दो से चार साइकिल बेचता था. आज आठ से दस साइकिल की बिक्री भी आराम से हो जाती है. बाजार में साढ़े 3 हजार से लेकर 22 हजार रुपए तक की साइकिल उपलब्ध है. बच्चों की साइकिल भी 5000 तक में मिल रही है. साइकिल की मांग काफी ज्यादा बढ़ चुकी है. ग्रामीणों के अलावे अब शहर के लोग भी साइकिल की सवारी को पसंद कर रहे हैं.
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दुकान में साइकिल लेने पहुंचे ग्राहक

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डॉक्टरों की सलाह आई काम
सेहत को लेकर डॉक्टर की सलाह काम आ गई. कोरोना संक्रमण के दौरान जब इम्युनिटी बढ़ाने की बात हुई तो सबसे पहले डॉक्टर की ओर से सलाह दी गई कि लोग व्यायाम, योग पर ध्यान दें. ऐसे में लोगों ने साइकिलिंग को प्राथमिकता दी. हर उम्र के लोग साइकिल की सवारी करने लगे. इसके कई फायदे नजर आए. लोग साइकिल की सवारी करने लगे. लोगों को भी लगा कि यात्री वाहन या व्यक्तिगत वाहन के बजाए क्यों न शारीरिक क्षमता का उपयोग करते हुए साइकिल चलाई जाए. इससे सेहत ही बनेगी.

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