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कोरोना संक्रमित का किया था अंतिम संस्कार, बितानी पड़ रही खानाबदोश की जिंदगी - लोहरदगा नगर परिषद का सफाई कर्मी

कोरोना संक्रमित युवक के आत्महत्या के बाद उसके अंतिम संस्कार में सहयोग करने वाले नगर परिषद के सफाई कर्मी को खानाबदोश की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. ना तो उसे अपने घर में शरण मिली और ना ही किसी सरकारी भवन में. प्लास्टिक का तंबू गाड़कर वह गांव के किनारे पर जिंदगी गुजार रहा है.

City council cleaner spending life of nomads in lohardaga
नगर परिषद का सफाई कर्मी
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Published : Jun 14, 2020, 4:27 PM IST

लोहरदगाः कोरोना वायरस का खौफ लोगों में कुछ ऐसा है कि लोग कोरोना का नाम सुनते ही अपनों से भी दूरी बना लेते हैं. लोहरदगा में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. एक कोरोना संक्रमित युवक के विगत 9 जून को आत्महत्या किए जाने के बाद उसके अंतिम संस्कार में सहयोग करने वाले नगर परिषद के सफाईकर्मी को आज खानाबदोश की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. नगर परिषद कर्मी ना तो अपने घर के अंदर जा पा रहा है और ना ही उसे किसी सरकारी भवन में ही शरण मिला है. वह प्लास्टिक का तंबू लगाकर रहने को विवश है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-रांचीः हटिया स्टेशन पर महिला एएसआई ने निभाया मानवता धर्म, घर से दूध लाकर बच्ची की मिटाई भूख

बता दें कि कोरोना संक्रमित एक युवक ने लोहरदगा में विगत 9 जून को आत्महत्या कर लिया था. उस संक्रमित मरीज का अंतिम संस्कार करने वाले चिकित्सीय और प्रशासनिक टीम में नगर परिषद का एक सफाई कर्मचारी भी शामिल था. जिसने संक्रमित युवक के शव को फांसी के फंदे से उतारने से लेकर उसके अंतिम संस्कार तक में अपनी भूमिका निभाई थी. हालांकि इस पूरे प्रकरण में सफाई कर्मचारी ने पीपीई किट पहना था. अंतिम संस्कार के बाद सफाई कर्मचारी को होम क्वॉरेंटाइन किया गया था.

मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि सफाई कर्मचारी जब गांव पहुंचा और उसने अपने परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों को जानकारी दी तो सभी ने उसे घर से दूर रहने को कहा. इसके बाद से वह सफाई कर्मचारी गांव में एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक का तंबू गाड़ कर रह रहा है. बारिश होने पर वह घर के करीब जा कर उसी प्रकार से रह रहा है. अभी तक वह घर के अंदर या किसी सरकारी भवन में नहीं गया है. मामले में गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें जब से जानकारी हुई है कि सफाई कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार किया है, तब से उन्हें डर लग रहा है. हालांकि घर के लोग ही उसे खाना दे रहे हैं.

लोहरदगाः कोरोना वायरस का खौफ लोगों में कुछ ऐसा है कि लोग कोरोना का नाम सुनते ही अपनों से भी दूरी बना लेते हैं. लोहरदगा में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. एक कोरोना संक्रमित युवक के विगत 9 जून को आत्महत्या किए जाने के बाद उसके अंतिम संस्कार में सहयोग करने वाले नगर परिषद के सफाईकर्मी को आज खानाबदोश की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. नगर परिषद कर्मी ना तो अपने घर के अंदर जा पा रहा है और ना ही उसे किसी सरकारी भवन में ही शरण मिला है. वह प्लास्टिक का तंबू लगाकर रहने को विवश है.

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मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि सफाई कर्मचारी जब गांव पहुंचा और उसने अपने परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों को जानकारी दी तो सभी ने उसे घर से दूर रहने को कहा. इसके बाद से वह सफाई कर्मचारी गांव में एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक का तंबू गाड़ कर रह रहा है. बारिश होने पर वह घर के करीब जा कर उसी प्रकार से रह रहा है. अभी तक वह घर के अंदर या किसी सरकारी भवन में नहीं गया है. मामले में गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें जब से जानकारी हुई है कि सफाई कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार किया है, तब से उन्हें डर लग रहा है. हालांकि घर के लोग ही उसे खाना दे रहे हैं.

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