लोहरदगाः कोरोना वायरस का खौफ लोगों में कुछ ऐसा है कि लोग कोरोना का नाम सुनते ही अपनों से भी दूरी बना लेते हैं. लोहरदगा में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. एक कोरोना संक्रमित युवक के विगत 9 जून को आत्महत्या किए जाने के बाद उसके अंतिम संस्कार में सहयोग करने वाले नगर परिषद के सफाईकर्मी को आज खानाबदोश की जिंदगी गुजारनी पड़ रही है. नगर परिषद कर्मी ना तो अपने घर के अंदर जा पा रहा है और ना ही उसे किसी सरकारी भवन में ही शरण मिला है. वह प्लास्टिक का तंबू लगाकर रहने को विवश है.
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बता दें कि कोरोना संक्रमित एक युवक ने लोहरदगा में विगत 9 जून को आत्महत्या कर लिया था. उस संक्रमित मरीज का अंतिम संस्कार करने वाले चिकित्सीय और प्रशासनिक टीम में नगर परिषद का एक सफाई कर्मचारी भी शामिल था. जिसने संक्रमित युवक के शव को फांसी के फंदे से उतारने से लेकर उसके अंतिम संस्कार तक में अपनी भूमिका निभाई थी. हालांकि इस पूरे प्रकरण में सफाई कर्मचारी ने पीपीई किट पहना था. अंतिम संस्कार के बाद सफाई कर्मचारी को होम क्वॉरेंटाइन किया गया था.
मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि सफाई कर्मचारी जब गांव पहुंचा और उसने अपने परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों को जानकारी दी तो सभी ने उसे घर से दूर रहने को कहा. इसके बाद से वह सफाई कर्मचारी गांव में एक पेड़ के नीचे प्लास्टिक का तंबू गाड़ कर रह रहा है. बारिश होने पर वह घर के करीब जा कर उसी प्रकार से रह रहा है. अभी तक वह घर के अंदर या किसी सरकारी भवन में नहीं गया है. मामले में गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें जब से जानकारी हुई है कि सफाई कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार किया है, तब से उन्हें डर लग रहा है. हालांकि घर के लोग ही उसे खाना दे रहे हैं.