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लोहरदगा में अधिकारियों की करतूत, कागजों पर पाइप बिछाकर बचा रहे पानी

भूगर्भ जलस्तर बनाए रखने और बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण योजना है रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना. जिस पर सरकार काफी खर्च भी कर रही है. लेकिन लोहरदगा में इस योजना का हाल काफी बेहाल है. यहां योजना के नाम पर खर्च तो बहुत किया गया लेकिन सब हवा हवाई.

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लोहरदगा में अधिकारियों की करतूत
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Published : Sep 10, 2021, 11:33 AM IST

लोहरदगा: भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखने और बरसात के पानी को संरक्षित करने को लेकर सरकार की ओर से महत्वपूर्ण योजना का संचालन किया गया. इस योजना का नाम है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम. यह बेहद महत्वपूर्ण योजना है. पानी बचाने की योजना है, लेकिन इस योजना को दुर्भाग्यपूर्ण रूप से भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है. योजना के नाम पर पानी में पानी का पैसा जा रहा है. इस बात से विभाग बेफिक्र है. सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा रहा है. मामला संज्ञान में आने के बाद अधिकारी कार्रवाई की बात कह रहे हैं, परंतु हालात साफ तौर पर बताते हैं कि किस तरह से सरकारी राशि की बर्बादी की जा रही है और योजना के नाम पर कागजी कोरम पूरा हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः सरकार दे रही है गरीबों को फ्लैट, लेकिन लेने वाले नहीं कर रहे आवेदन

पाइप का पता नहीं, योजना के नाम पर कागजी कार्रवाई

लोहरदगा में मनरेगा के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना का क्रियान्वयन किया गया है. योजना यूं तो बहुत छोटी है, पूरे जिले में योजना में कुल खर्च की बात करें तो 43 लाख 83000 रुपए इस योजना में खर्च किए गए हैं. इस योजना के तहत जिले में 319 योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया. धरातल पर यदि योजनाओं की पड़ताल करें तो हकीकत कुछ और ही नजर आती है. विभाग का दावा है कि 240 से ज्यादा योजनाएं पूरी हो चुकी हैं. योजनाओं की सूची के आधार पर जब जांच की जाती है तो सच्चाई सामने आ जाती है. कहीं पर योजना में पाइप का ही पता नहीं है, जबकि कहीं परियोजना के नाम पर महज कागजी कार्रवाई की गई है. कुल मिलाकर इस योजना का पैसा बर्बाद हो गया है. उदाहरण के रूप में ईटीवी भारत की टीम ने लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के बेटहठ पंचायत में योजना की पड़ताल की तो हकीकत सामने थी. योजना के नाम पर महज कागजी कार्रवाई नजर आई.

देखें पूरी खबर
क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंगरेन वाटर हार्वेस्टिंग बरसात के पानी को संरक्षित करने की योजना है. इस योजना में छत में बरसात के पानी को जमा कर एक पाइप के सहारे नीचे लाकर एक रिचार्ज पिट में डाला जाता है. जिससे कि आसपास का भूगर्भ जलस्तर बना रहे. इस योजना का उद्देश्य भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखना और बरसात के पानी की बर्बादी को रोकना है. बेहद महत्वपूर्ण योजना है. बावजूद इसके योजना के क्रियान्वयन में सिर्फ खानापूर्ति ही नजर आती है. मामले में उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा का कहना है कि योजना के नाम पर यदि महज खानापूर्ति की जा रही है तो इस योजना में गड़बड़ी करने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लोहरदगा जिले में वाटर हार्वेस्टिंग योजना के तहत महज खानापूर्ति का मामला सामने आ रहा है. योजना के नाम पर कहीं पर पाइप लगा हुआ नहीं है तो कहीं कचरे के ढेर को ही योजना बता दिया गया है. जबकि कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त पाइप के सहारे बरसात के पानी को संरक्षित करने का दावा किया जा रहा है. हालांकि मामला सामने आने के बाद अधिकारी जांच और कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

लोहरदगा: भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखने और बरसात के पानी को संरक्षित करने को लेकर सरकार की ओर से महत्वपूर्ण योजना का संचालन किया गया. इस योजना का नाम है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम. यह बेहद महत्वपूर्ण योजना है. पानी बचाने की योजना है, लेकिन इस योजना को दुर्भाग्यपूर्ण रूप से भ्रष्टाचार का दीमक लग गया है. योजना के नाम पर पानी में पानी का पैसा जा रहा है. इस बात से विभाग बेफिक्र है. सरकारी राशि का बंदरबांट किया जा रहा है. मामला संज्ञान में आने के बाद अधिकारी कार्रवाई की बात कह रहे हैं, परंतु हालात साफ तौर पर बताते हैं कि किस तरह से सरकारी राशि की बर्बादी की जा रही है और योजना के नाम पर कागजी कोरम पूरा हो रहा है.

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पाइप का पता नहीं, योजना के नाम पर कागजी कार्रवाई

लोहरदगा में मनरेगा के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना का क्रियान्वयन किया गया है. योजना यूं तो बहुत छोटी है, पूरे जिले में योजना में कुल खर्च की बात करें तो 43 लाख 83000 रुपए इस योजना में खर्च किए गए हैं. इस योजना के तहत जिले में 319 योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया. धरातल पर यदि योजनाओं की पड़ताल करें तो हकीकत कुछ और ही नजर आती है. विभाग का दावा है कि 240 से ज्यादा योजनाएं पूरी हो चुकी हैं. योजनाओं की सूची के आधार पर जब जांच की जाती है तो सच्चाई सामने आ जाती है. कहीं पर योजना में पाइप का ही पता नहीं है, जबकि कहीं परियोजना के नाम पर महज कागजी कार्रवाई की गई है. कुल मिलाकर इस योजना का पैसा बर्बाद हो गया है. उदाहरण के रूप में ईटीवी भारत की टीम ने लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के बेटहठ पंचायत में योजना की पड़ताल की तो हकीकत सामने थी. योजना के नाम पर महज कागजी कार्रवाई नजर आई.

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क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंगरेन वाटर हार्वेस्टिंग बरसात के पानी को संरक्षित करने की योजना है. इस योजना में छत में बरसात के पानी को जमा कर एक पाइप के सहारे नीचे लाकर एक रिचार्ज पिट में डाला जाता है. जिससे कि आसपास का भूगर्भ जलस्तर बना रहे. इस योजना का उद्देश्य भूगर्भ जलस्तर को बनाए रखना और बरसात के पानी की बर्बादी को रोकना है. बेहद महत्वपूर्ण योजना है. बावजूद इसके योजना के क्रियान्वयन में सिर्फ खानापूर्ति ही नजर आती है. मामले में उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा का कहना है कि योजना के नाम पर यदि महज खानापूर्ति की जा रही है तो इस योजना में गड़बड़ी करने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लोहरदगा जिले में वाटर हार्वेस्टिंग योजना के तहत महज खानापूर्ति का मामला सामने आ रहा है. योजना के नाम पर कहीं पर पाइप लगा हुआ नहीं है तो कहीं कचरे के ढेर को ही योजना बता दिया गया है. जबकि कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त पाइप के सहारे बरसात के पानी को संरक्षित करने का दावा किया जा रहा है. हालांकि मामला सामने आने के बाद अधिकारी जांच और कार्रवाई की बात कर रहे हैं.
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