लोहरदगा: स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार सजग हैं. सूबे की रघुवर सरकार अस्पतालों में मरीजों के लिए तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं. हालांकि इन अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन के लिए आपको सरकारी अनुकंपा नहीं के बराबर मिल रही है.
दरअसल, एंटी रैबीज वैक्सीन के लिए मरीज के पास अगर बीपीएल और राशन कार्ड नहीं है तो उसे वैक्सीन नहीं दी जा रही है. मरीज को मजबूरन ये वैक्सीन बाहर से खरीदनी पड़ती है. हालांकि ये वैक्सीन बाजारों में भी नहीं मिल रही है. जिससे लोगों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोहरदगा स्वास्थ्य विभाग दूसरे जिलों से वैक्सीन मंगवा रहा है. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि रांची, गुमला, लातेहार, पलामू, सिमडेगा आदि जिलों से भी मरीज एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए लोहरदगा सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं.
सदर अस्पताल प्रबंधन के पास फिलहाल 150 वाइल एआरवी हैं. सिविल सर्जन कहते हैं कि हम तो बाजार मूल्य से ज्यादा कीमत पर एंटी रेबीज वैक्सीन खरीदकर मंगा रहे हैं. मजबूरी है कि सभी मरीजों को एआरवी नहीं दी जा सकती. हमारे पास सीमित स्टॉक है. इसी वजह से हमने बीपीएल राशन कार्ड की बाध्यता को लागू किया है. इस समस्या से तमाम अधिकारियों को भी अवगत कराया गया है.
गौरतलब है कि लोहरदगा में ज्यादातर लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो जाते हैं. ताजा आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2019 से लेकर 13 अगस्त तक 1 हजार 502 लोगों को कुत्ते काट चुके हैं. कई लोगों को एआरवी लेने के लिए काफी चक्कर भी लगाने पड़े. सबसे पहले तो सदर अस्पताल उपाधीक्षक से अपनी दवा की पर्ची पर अनुशंसा करानी पड़ी. साथ में आधार कार्ड और राशन कार्ड की फोटो कॉपी भी लगानी पड़ी. उस पर भी अगर अस्पताल पहुंचने में देर हुई, तो एआरवी आज नहीं कल मिलेगी. यानी कि हर हाल में मरीज परेशान. ऐसा सिर्फ गरीब और बीपीएल के साथ नहीं हो रहा है, बल्कि आम मरीजों के साथ भी यही परेशानी पेश आ रही है.
लोहरदगा में यदि आप गरीब नहीं हुए तो फिर कुत्ता काटना किसी मुसीबत से कम नहीं है. आप कहेंगे चलो ठीक है बाजार से खरीद लेते हैं, लेकिन यहां पर भी परेशानी है. बाजार में एआरवी है ही नहीं. यह तो गनीमत है लोहरदगा स्वास्थ्य विभाग की यहां पर दूसरे जिलों से एआरबी खरीदकर मंगाया गया है. वह भी जमशेदपुर से खरीद कर मंगाना पड़ा. आसपास के जिलों में तो एआरवी है ही नहीं.