लोहरदगा: जिले के आदिम जनजाति बहुल सेमरडीह गांव में स्वरोजगार की महत्वपूर्ण योजना दम तोड़ रही है. दोना-पत्तल उद्योग आज बंद पड़ चुका है. 8 साल पहले इस योजना के लिए यहां के आदिम जनजाति परिवारों को दोना-पत्तल तैयार करने की मशीन उपलब्ध कराई गई थी. जब बाजार में इसे बेहतर मूल्य नहीं मिलने लगा और ठीक से बाजार भी नहीं मिल पाया तो ग्रामीणों ने इस काम को बंद कर दिया.
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आदिम जनजाति परिवार के लोग फिर से बेरोजगारी की स्थिति झेल रहे हैं. इनके पास काम करने को कुछ भी नहीं है. इस मामले में जिला उद्योग केंद्र की महाप्रबंधक का कहना है कि वो फिर से उन्हें जागरुक कर रोजगार को जीवित करेंगे. इसके लिए केंद्र के अधिकारी उनसे मिलकर उनकी समस्याओं को जानेंगे. साथ ही प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा.
बता दें कि सरकार ने आदिम जनजातियों के विकास को लेकर स्वरोजगार की योजनाओं का संचालन किया था. सरकार का उद्देश्य था कि आदिम जनजाति के लोग वन उत्पाद को एक रोजगार के रूप में उपयोग में लाते हुए आर्थिक उन्नति करें. लेकिन सरकार की ये महत्वपूर्ण योजना बेहतर नेतृत्व और मार्गदर्शन के अभाव में आज बंद पड़ चुकी है.