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ये हैं लातेहार के जंगलों के रक्षकः जानिए, पेड़ों को बचाने के लिए क्या हैं गांव के नियम

लातेहार में जंगल की सुरक्षा में ग्रामीण हमेशा तत्पर हैं. सिर्फ इतना ही नहीं यहां वृक्षों को नुकसान पहुंचाने वाले को दंडित भी किया जाता है. लातेहार का खैरा गांव में यह नियम है कि ग्रामीण अलग अलग बंटकर 24 घंटे पेड़ों की हिफाजत करते (Villagers protect forests) हैं.

Villagers protect forests and punish those who damage trees in Latehar
लातेहार
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Published : Sep 8, 2022, 1:28 PM IST

Updated : Sep 8, 2022, 1:34 PM IST

लातेहारः एक तरफ पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में है. मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए लगातार जंगलों को नुकसान पहुंचा रहा है. इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन इस समाज में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो जंगलों की रखवाली करने में जुटे हुए हैं. लातेहार सदर प्रखंड (Latehar Sadar Block) के खैरा गांव के ग्रामीण समाज को सीख देते हुए जंगलों की सुरक्षा अपने परिवार के सदस्यों की तरह करते (Villagers protect forests) हैं.


इसे भी पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवसः जल, जंगल और जमीन के रक्षक सिमोन उरांव, 87 साल की उम्र में भी हौसला बरकरार


लातेहार का खैरा गांव (Khaira village of Latehar) पूरी तरह आदिवासी बहुल इलाका है. इस गांव के ठीक बगल में लगभग 4 किलोमीटर की परिधि में जंगल फैला हुआ है. गांव के लोग इस जंगल को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. ग्रामीणों की तत्परता और जंगल बचाने के प्रति लगन का परिणाम है कि आज इस गांव के आसपास चारों ओर हरियाली छाई हुई है. ग्रामीण इस जंगल की सुरक्षा के लिए 24 घंटे चौकस रहते हैं. ग्रामीण छोटन उरांव बताते हैं कि गांव के लोग टीम बनाकर लगातार पेड़ों की रखवाली करते हैं.

देखें पूरी खबर

पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले को किया जाता है दंडितः यहां के ग्रामीणों ने नियम बना रखा है कि जो भी लोग जंगल की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगे उन्हें पहले तो समझाया जाएगा, पर दूसरी बार उन्हें दंडित किया जाएगा. ग्रामीण विनोद उरांव बताते हैं कि गांव में यह परंपरा है कि जो भी लोग जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें सबसे पहले समझाया जाता है. उसके बावजूद भी अगर वो व्यक्ति ग्रामीणों की बात नहीं समझता है तो उसे दंडित भी करने का नियम इस गांव में बना हुआ (punish those who damage trees) है. यही कारण है कि गांव के बगल में स्थित जंगल आज तक सुरक्षित बचा हुआ है.

Villagers protect forests and punish those who damage trees in Latehar
पेड़ों की रखवाली करते ग्रामीण

जंगल सुरक्षित था इसीलिए वहीं बढ़ा कोरोना का प्रकोपः ग्रामीण विनोद उरांव बताते हैं कि गांव के बगल में स्थित जंगल को सुरक्षित रखने पर ग्रामीणों को कई फायदे होते हैं. एक तो ग्रामीणों को हमेशा शुद्ध हवा और बेहतर मौसम का फायदा मिलता है. इतना ही नहीं बल्कि जब कोरोना काल में पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ था, हवा विषैली हो गई थी इसके बावजूद इस गांव के सुरक्षित जंगल के कारण यहां कोरोना का प्रकोप देखने को नहीं मिला.

Villagers protect forests and punish those who damage trees in Latehar
जंगल की सुरक्षा में तत्पर ग्रामीण

वन विभाग के अधिकारी करते हैं तारीफः खैरा गांव के ग्रामीणों के जज्बे और जंगल के प्रति लगाव की तारीफ लातेहार वन विभाग (Latehar Forest Department) के अधिकारी भी करते हैं. वन विभाग के रेंजर संजय कुमार (Ranger Sanjay Kumar) ने बताया कि खैरा गांव के लोग सचमुच में समाज के लिए एक मिसाल हैं. यहां के लोग जंगल को सुरक्षित रखने में वन विभाग को पूरा सहयोग देते हैं. इस गांव के लोगों के जज्बे से अन्य लोगों को भी सीख लेने की जरूरत है ताकि जंगल सुरक्षित रहे और उसके साथ साथ समाज भी सुरक्षित रह सके. लातेहार के खैरा गांव के लोग समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत (latehar forest protection) हैं. जंगल बचाने और उसे सुरक्षित रखने के प्रति यहां के ग्रामीण जितने गंभीर हैं अगर उतनी संजीदगी अन्य गांवों में भी आ जाए तो तमाम जंगल सुरक्षित हो जाएंगे.

लातेहारः एक तरफ पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में है. मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए लगातार जंगलों को नुकसान पहुंचा रहा है. इसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन इस समाज में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो जंगलों की रखवाली करने में जुटे हुए हैं. लातेहार सदर प्रखंड (Latehar Sadar Block) के खैरा गांव के ग्रामीण समाज को सीख देते हुए जंगलों की सुरक्षा अपने परिवार के सदस्यों की तरह करते (Villagers protect forests) हैं.


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लातेहार का खैरा गांव (Khaira village of Latehar) पूरी तरह आदिवासी बहुल इलाका है. इस गांव के ठीक बगल में लगभग 4 किलोमीटर की परिधि में जंगल फैला हुआ है. गांव के लोग इस जंगल को बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. ग्रामीणों की तत्परता और जंगल बचाने के प्रति लगन का परिणाम है कि आज इस गांव के आसपास चारों ओर हरियाली छाई हुई है. ग्रामीण इस जंगल की सुरक्षा के लिए 24 घंटे चौकस रहते हैं. ग्रामीण छोटन उरांव बताते हैं कि गांव के लोग टीम बनाकर लगातार पेड़ों की रखवाली करते हैं.

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पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले को किया जाता है दंडितः यहां के ग्रामीणों ने नियम बना रखा है कि जो भी लोग जंगल की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगे उन्हें पहले तो समझाया जाएगा, पर दूसरी बार उन्हें दंडित किया जाएगा. ग्रामीण विनोद उरांव बताते हैं कि गांव में यह परंपरा है कि जो भी लोग जंगल को नुकसान पहुंचाते हैं, उन्हें सबसे पहले समझाया जाता है. उसके बावजूद भी अगर वो व्यक्ति ग्रामीणों की बात नहीं समझता है तो उसे दंडित भी करने का नियम इस गांव में बना हुआ (punish those who damage trees) है. यही कारण है कि गांव के बगल में स्थित जंगल आज तक सुरक्षित बचा हुआ है.

Villagers protect forests and punish those who damage trees in Latehar
पेड़ों की रखवाली करते ग्रामीण

जंगल सुरक्षित था इसीलिए वहीं बढ़ा कोरोना का प्रकोपः ग्रामीण विनोद उरांव बताते हैं कि गांव के बगल में स्थित जंगल को सुरक्षित रखने पर ग्रामीणों को कई फायदे होते हैं. एक तो ग्रामीणों को हमेशा शुद्ध हवा और बेहतर मौसम का फायदा मिलता है. इतना ही नहीं बल्कि जब कोरोना काल में पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ था, हवा विषैली हो गई थी इसके बावजूद इस गांव के सुरक्षित जंगल के कारण यहां कोरोना का प्रकोप देखने को नहीं मिला.

Villagers protect forests and punish those who damage trees in Latehar
जंगल की सुरक्षा में तत्पर ग्रामीण

वन विभाग के अधिकारी करते हैं तारीफः खैरा गांव के ग्रामीणों के जज्बे और जंगल के प्रति लगाव की तारीफ लातेहार वन विभाग (Latehar Forest Department) के अधिकारी भी करते हैं. वन विभाग के रेंजर संजय कुमार (Ranger Sanjay Kumar) ने बताया कि खैरा गांव के लोग सचमुच में समाज के लिए एक मिसाल हैं. यहां के लोग जंगल को सुरक्षित रखने में वन विभाग को पूरा सहयोग देते हैं. इस गांव के लोगों के जज्बे से अन्य लोगों को भी सीख लेने की जरूरत है ताकि जंगल सुरक्षित रहे और उसके साथ साथ समाज भी सुरक्षित रह सके. लातेहार के खैरा गांव के लोग समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत (latehar forest protection) हैं. जंगल बचाने और उसे सुरक्षित रखने के प्रति यहां के ग्रामीण जितने गंभीर हैं अगर उतनी संजीदगी अन्य गांवों में भी आ जाए तो तमाम जंगल सुरक्षित हो जाएंगे.

Last Updated : Sep 8, 2022, 1:34 PM IST
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