लातेहार: इंसान अगर ठान ले तो सभी मुश्किलों का समाधान कर लेता है. इस बात को लातेहार के कटांग गांव के लोगों ने सच कर दिखाया है. ग्रामीणों ने देसी तकनीक से कटांग नदी पर लगभग 70 मीटर लंबा बांस का पुल बनाया है. जिससे उनकी कई मुश्किलें आसान हो गईं.
दरअसल, बरसात के दिनों में कटांग समेत लगभग एक दर्जन गांव के सैकड़ों ग्रामीण प्रखंड मुख्यालय से पूरी तरह से कट जाते थे. बारिश के बाद अगर नदी में बाढ़ आ जाए तो ग्रामीण गांव में ही फंसे रहते थे. ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ जाए, तो उसकी जिंदगी भगवान भरोसे ही बचती थी. इसके अलावा हेरहंज प्रखंड मुख्यालय से सटे रहने के कारण ग्रामीण रोजमर्रा की चीजों के लिए भी हेरहंज बाजार पर निर्भर रहते हैं. इस कारण उन्हें नदी पार करके रोजाना हेरहंज आना ही पड़ता है.
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जनप्रतिनिधियों से कई बार लगाई गुहार
इसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों से नदी पर पुल बनाने की मांग की, लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं के समाधान के मद्देनजर काम नहीं किया. चारों ओर से निराश होने के बाद ग्रामीणों ने खुद नदी के ऊपर बांस का पुल बनाने का संकल्प लिया. ग्रामीण बबलू उरांव और प्रभात उरांव ने बताया कि पुल नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बच्चों को स्कूल जाने से लेकर ग्रामीणों को बाजार जाने तक में परेशानी होती है. इसी कारण उन्होंने लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए बांस और लोहे के तार का पुल नदी के ऊपर बनाया.
एक सप्ताह में बना लिया पुल
इसके बाद सभी ग्रामीणों ने बैठक करके आपस में चंदा किया और सामूहिक सहयोग से नदी के ऊपर बांस का पुल बनाने की शुरुआत की. लगभग 1 हफ्ते की कड़ी मेहनत के बाद नदी के ऊपर लोहे के तार और बांस का पुल बनकर तैयार हो गया. पुल के ऊपर से आसानी से ग्रामीण नदी पार कर सकते हैं.
हजारों ग्रामीणों को मिलेगा फायदा
इस पुल के बन जाने के बाद कटांग, कुसमाही, बरखेता, मारी, पटरम, खीराखाड़, कांचा, खैरा समेत लगभग एक दर्जन गांव के हजारों ग्रामीणों को फायदा मिलेगा. ग्रामीणों ने बताया कि इसी रास्ते से दर्जनभर गांव के सैकड़ों ग्रामीण रोजाना इस नदी को पार करके प्रखंड मुख्यालय जाते हैं. नदी पर पुल बनने के बाद अब नदी में बाढ़ आने पर भी ग्रामीण कहीं भी आ जा सकते हैं.
देसी तकनीक से बना पुल
कटांग समेत आस-पास के गांव के ग्रामीणों ने देसी तकनीक से नदी पर बांस का पुल बनाने की योजना बनाई. पहले तो यह काम नामुमकिन लगा. हालांकि ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद आपस में चंदा करके लगभग ₹24 हजार रुपये जुटाए. इस पैसे से लोहे के तार और कुछ दूसरी सामग्री खरीदी गई. इसके बाद श्रमदान और सामूहिक सहयोग से पुल निर्माण का काम शुरू किया गया. 1 हफ्ते के कठिन परिश्रम के बाद पुल का निर्माण चलने योग्य हो गया. बांस के इस झूलते हुए पुल में सुरक्षा का भी खयाल रखते हुए लोहे के तार से ही रेलिंग भी बनाई गई है. ताकि लोगों को पुल पार करने में कोई परेशानी न हो.
जल्द ही परमानेंट पुल बनाने का होगा प्रयास
इस संबंध में लातेहार के अनुमंडल पदाधिकारी सागर कुमार ने कहा कि प्रशासन का प्रयास होगा कि उस नदी पर जल्द ही परमानेंट पुल का निर्माण कराया जाए. इसके लिए संबंधित विभाग को सूचित किया जा रहा है.