लातेहारः महुआ चुनने के लिए जंगल में आग लगाने वाले शरारती ग्रामीणों की अब खैर नहीं. वन विभाग ऐसे लोगों पर अब एक्शन लेने के मूड में है. मामले को लेकर लातेहार डीएफओ रौशन कुमार खुद गांव में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि अब जंगल में आग लगाने वालों को जुर्माना भरने के साथ-साथ जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है.
दरअसल महुआ का सीजन आते ही लातेहार के जंगलों में आग धधकने लगती है. ग्रामीण महुआ के पेड़ के आसपास जमा हुए सूखे पत्तों को हटाने के बदले उसे जला देते हैं. इसके बाद ही लापरवाही के कारण यह आग पूरे जंगल में फैल जाती है. विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष लोगों से अपील की जाती है कि जंगल में आग ना लगाएं, परंतु विभाग के अपील का असर ज्यादा हो नहीं पाता.
ऐसे में इस बार विभाग ने अपना रुख कड़ा किया है और जंगल में आग लगाने वाले दोषी ग्रामीणों को दंडित भी करने की योजना बनाई है. इसी बात को लेकर डीएफओ रौशन कुमार के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने गांव में जाकर ग्रामीणों के साथ बैठक की और जंगल में आग नहीं लगाने की अपील की है. इस दौरान डीएफओ ने ग्रामीणों को यह भी बताया कि जो भी ग्रामीण अपने स्वार्थ के लिए जंगल में आग लगाएंगे उन पर विभाग अब कड़ी कार्रवाई भी करेगी. डीएफओ ने बताया कि आग लगाने वाले दोषी ग्रामीण पर दो लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने के साथ-साथ 2 वर्ष कारावास की सजा भी हो सकती है. उन्होंने ग्रामीणों को यह भी कहा कि जो भी लोग जंगल में आग लगाते हैं, उनकी सूचना तत्काल वन विभाग को उपलब्ध कराएं.
जिसके पेड़ के नीचे लगेगी आग, वह भी माना जाएगा दोषीः डीएफओ ने ग्रामीणों को यह भी बताया कि जिस ग्रामीण के महुआ के पेड़ के नीचे आग लगी पाई जाएगी, उस ग्रामीण को भी दोषी समझा जाएगा. इसलिए प्रत्येक ग्रामीण सजग रहें कि किसी भी सूरत में आग ना लगने दें. डीएफओ ने ग्रामीणों को यह भी कहा कि यदि कोई बाहरी लोग गांव में आकर जंगल में आग लगाते हैं तो ऐसे लोगों को चिन्हित करें और इसकी सूचना वन विभाग को दें. दोषी पर निश्चित रूप से कड़ी कार्रवाई की जाएगी. डीएफओ ने ग्रामीणों को यह भी कहा कि कोई भी ग्रामीण कभी भी कानून को हाथ में लेने का प्रयास ना करें.
आग लगने से क्या होता है नुकसानः डीएफओ ने ग्रामीणों को बताया कि कुछ लोग अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए जंगल में आग लगा देते हैं. परंतु इससे बहुत बड़ा नुकसान होता है. जंगल में आग लगने से जहां कई प्रकार की औषधीय पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं. वहींं नए पौधे भी पूरी तरह खत्म हो जाते हैं. जंगल में आग लगने के कारण जमीन का भूगर्भ जल स्तर भी धीरे-धीरे नीचे जा रहा है. धरती की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है. आग लगने के कारण भूमि के ऊपरी सतह सख्त हो जाते हैं, जिससे बारिश का पानी जमीन के अंदर समाहित नहीं हो पाता. ऐसे में जल संकट की समस्या उत्पन्न होती जाती है.
जंगल में लगी आग को बुझाने वाली महिलाओं को किया सम्मानितः इस दौरान डीएफओ रोशन कुमार ने जंगल में लगी आग को बुझाने में अहम भूमिका निभाने वाली महिलाओं को भी सम्मानित किया. डीएफओ ने कहा कि यदि ग्रामीण चाह जाए तो कोई भी बाहरी व्यक्ति जंगल को नुकसान नहीं पहुंचा सकता. उन्होंने कहा कि जंगल से ग्रामीणों की सभी जरूरतें पूरी होती हैं. ऐसे में जंगल की रक्षा करना भी प्रत्येक ग्रामीण का कर्तव्य है. जो लोग जंगल की सुरक्षा करते हैं, उनके साथ वन विभाग कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है. इस दौरान कई ग्रामीण वन विभाग के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का भी संकल्प ले रहे हैं. चिरो गांव के अखिलेश सिंह ने कहा कि विभाग के द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान का असर गांव में पड़ रहा है. हम लोग भी संकल्प ले रहे हैं कि अब गांव के आसपास के जंगल में आग नहीं लगने देंगे.
महुआ चुनने वाले ग्रामीणों को जागरूक कर जंगल को बचाने का वन विभाग का अभियान कितना सफल होगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा. परंतु जंगल में आग लगाने की परंपरा का त्याग ग्रामीण नहीं करेंगे तो जंगल के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियां भी बर्बाद हो जाएंगी.