लातेहारः लातेहार सदर प्रखंड के तरवाडीह पंचायत में जब लोग बीमार पड़ते हैं तो वे राधा-राधा पुकारते हैं. उनकी पुकार सुनकर राधा दौड़ी चली आती हैं और उन्हें पूरी मदद करती हैं. ये राधा कृष्ण की राधा नहीं बल्कि तरवाडीह पंचायत की सहिया दीदी राधा देवी हैं. खास बात ये है कि कुछ साल पहले राधा अपनी जिंदगी से इतनी परेशान थीं कि उन्होंने मिट्टी तेल उड़ेल कर खुद को आग के हवाले कर दिया था.
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कभी जिंदगी से हार कर खुद को मिटाने का प्रयास करने वाली राधा आज समाज के लिए एक मिसाल बन गई हैं. उन्होंने सहिया बनकर तरवाडीह और उसके आस पास के गांवों के सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी दी है. राधा के लगन को देखते हुए उसे मुख्यमंत्री तक से सम्मान मिल चुका है. इसके अलावा लातेहार जिले में उपायुक्त स्तर से वे कई बार सम्मानित हो चुकी हैं.
संघर्ष के संकल्प तक
राधा देवी का अतीत काफी दर्दनाक रहा है. वे मजदूरी कर अपने बच्चों का पालन-पोषण करती थीं और नशेड़ी पति आएदिन बेरहमी से मारपीट करता था. करीब 15 साल पहले राधा अपने पति की प्रताड़ना से इतनी परेशान हो गईं कि उन्होंने अपने शरीर पर मिट्टी तेल डाला और आग लगा ली. इस घटना में राधा का चेहरा बुरी तरह झुलस गया लेकिन किस्मत ने उन्हें दोबारा जिंदगी बख्श दी.
आग से झुलसी राधा ने दर्द से गुजरते हुए समाज के लिए कुछ करने का संकल्प लिया. इसके बाद जख्म भरे तो राधा एक बार फिर जिंदगी की पटरी पर दौड़ लगाने के लिए निकल पड़ीं. इसी दौरान गांव में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को रखा जा रहा था. राधा को भी सहिया चुन लिया गया. इसके बाद राधा सहिया दीदी कहलाने लगी और उनके अरमानों को परवाज का मौका मिल गया.
हर मरीज की जुबान पर राधा का नाम
जागरूकता की कमी के चलते पहले घरों में ही प्रसव कराने का प्रचलन था, इसका खामियाजा अक्सर जच्चा-बच्चा को भुगतना पड़ता था. अपने गांव को इस स्थिति से उबारने के लिए राधा ने महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल जाने के लिए जागरूक किया. वह खुद महिलाओं को लेकर अस्पताल जाने लगी और उनका सुरक्षित प्रसव कराने लगी. इसके बाद ग्रामीण महिलाएं अपनी सेहत की परेशानियों के लिए राधा को याद करने लगीं.
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फिलहाल राधा के पास गांव की हर गर्भवती महिलाओं के साथ टीबी और कुष्ठ सहित दूसरी बीमारियों के मरीजों की पूरी सूची है. वह रोज गांव में घूमती हैं और जरूरतमंदों को लाभ दिलवाती हैं. इसके अलावा सप्ताह में कम से कम 4 दिन अपने गांव तरवाडीह से 12 किलोमीटर दूर लातेहार सदर अस्पताल भी जरूर पहुंचती हैं और अपने गांव तथा आसपास के गांव के मरीजों का हालचाल लेती हैं. सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भी राधा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं.
काम का सम्मान
राधा की लगन और समर्पण को देखकर गांव के लोग उनका बहुत आदर करते हैं. लातेहार जिला के उपायुक्त भी राधा को कई बार सम्मानित कर चुके हैं. इसके साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री तक से सम्मान मिल चुका है. तरवाडीह उपस्वास्थ्य केंद्र की नर्स पूनम कुमारी के अनुसार राधा जैसी सहिया यदि दूसरे गांवों में भी हो तो सरकार की योजनाएं पूरी तरह सफल हो जाएंगी. वहीं मुखिया जुलेश्वर लोहरा ने बताया कि राधा न सिर्फ अपने गांव की बल्कि दूसरे गांव की भी महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने और उनकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाती हैं. लातेहार सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी शर्मा ने कहा कि राधा एक आदर्श सहिया हैं और उन्हें सरकार के सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पूरी जानकारी है.
राधा लोगों से मिल रहे प्यार से अभिभूत हैं. संघर्ष और प्रताड़ना के दिनों को भूल चुकीं राधा अब अपने दुखों का हिसाब नहीं रखना चाहतीं. राधा इस बात से खुश हैं कि उनकी जिंदगी दूसरों के काम आ रही है.कभी जिंदगी से हार कर खुद को मिटाने का प्रयास करने वाली राधा, आज समाज के लिए एक मिसाल बन गई हैं. राधा की ये दास्तां उन लोगों के लिए सीख है जो मुश्किलों से हार मान लेते हैं.