ETV Bharat / state

डिजिटल इंडिया के जमाने में बुनियादी सुविधाओं से वंचित है यह गांव, यहां मनमर्जी से खुलता है स्कूल

लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव बुनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित है. इस गांव में बिजली और अन्य सुविधाओं की बात तो दूर है. यहां गांव तक पहुंचने के लिए एक रास्ता भी नहीं है.

लातेहार का पवही गांव
Powhi village of latehar
author img

By

Published : Feb 6, 2020, 8:09 PM IST

लातेहार: एक तरफ जहां देश में डिजिटल इंडिया की बात की जा रही है वहीं दूसरी ओर लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव बुनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित है. आदिम जनजाति बहुल इस गांव में विकास की किरण तक नहीं पहुंच पाई है.

देखें पूरी खबर

शिक्षकों की चलती है मनमानी
परहिया जनजाति के इस गांव में बिजली और अन्य सुविधाओं की बात तो दूर है. यहां गांव तक पहुंचने के लिए एक रास्ता भी नहीं है. जिला मुख्यालय से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की हालत यह है कि यहां ना तो आंगनबाड़ी केंद्र है और ना ही कोई अन्य सुविधा. गांव में एक स्कूल है, लेकिन यहां भी शिक्षकों की मनमानी चलती है और मनमर्जी से स्कूल खुलता है. गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क तक नहीं है. इस कारण अधिकारी और पदाधिकारी भी गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं.

बच्चों को नहीं मिल पोषाहार योजना का लाभ
गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले पोषाहार योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पाता है. इस कारण गांव के बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. यहां के ग्रामीण खेती के अलावा पत्थर तोड़कर अपना जीवन यापन करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से भले ही कागजों पर उनके लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि आदिम जनजातियों को धरातल पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

जल्द समस्याओं को किया जाएगा दूर
गांव की शनिचरी परहीन ने कहा कि उनके हिस्से से मिलने वाला लाभ बिचौलिया खा जा रहे हैं. गांव में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. वहीं, ग्रामीण गनौरी परहिया ने कहा कि गांव में सुविधाओं का घोर अभाव है. पानी बिजली से लेकर सड़क तक गांव में नहीं है. इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि पवही गांव की समस्याओं को जल्द दूर किया जाएगा. जल्द ही वहां पेंशन शिविर लगाकर सभी ग्रामीणों को पेंशन उपलब्ध कराया जाएगा.

लातेहार: एक तरफ जहां देश में डिजिटल इंडिया की बात की जा रही है वहीं दूसरी ओर लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव बुनियादी सुविधाओं से आज भी वंचित है. आदिम जनजाति बहुल इस गांव में विकास की किरण तक नहीं पहुंच पाई है.

देखें पूरी खबर

शिक्षकों की चलती है मनमानी
परहिया जनजाति के इस गांव में बिजली और अन्य सुविधाओं की बात तो दूर है. यहां गांव तक पहुंचने के लिए एक रास्ता भी नहीं है. जिला मुख्यालय से सिर्फ 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की हालत यह है कि यहां ना तो आंगनबाड़ी केंद्र है और ना ही कोई अन्य सुविधा. गांव में एक स्कूल है, लेकिन यहां भी शिक्षकों की मनमानी चलती है और मनमर्जी से स्कूल खुलता है. गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क तक नहीं है. इस कारण अधिकारी और पदाधिकारी भी गांव तक नहीं पहुंच पाते हैं.

बच्चों को नहीं मिल पोषाहार योजना का लाभ
गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को सरकार की ओर से उपलब्ध कराए जाने वाले पोषाहार योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पाता है. इस कारण गांव के बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. यहां के ग्रामीण खेती के अलावा पत्थर तोड़कर अपना जीवन यापन करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से भले ही कागजों पर उनके लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि आदिम जनजातियों को धरातल पर इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.

जल्द समस्याओं को किया जाएगा दूर
गांव की शनिचरी परहीन ने कहा कि उनके हिस्से से मिलने वाला लाभ बिचौलिया खा जा रहे हैं. गांव में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. वहीं, ग्रामीण गनौरी परहिया ने कहा कि गांव में सुविधाओं का घोर अभाव है. पानी बिजली से लेकर सड़क तक गांव में नहीं है. इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि पवही गांव की समस्याओं को जल्द दूर किया जाएगा. जल्द ही वहां पेंशन शिविर लगाकर सभी ग्रामीणों को पेंशन उपलब्ध कराया जाएगा.

Intro:डिजिटल इंडिया के जमाने में बुनियादी सुविधा से भी वंचित है पवही गांव

लातेहार. एक तरफ जहां देश में डिजिटल इंडिया की बात कही जा रही है. वहीं दूसरी ओर लातेहार सदर प्रखंड का पवही गांव बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है. आदिम जनजाति बहुल इस गांव में विकास की किरण आज तक नहीं पहुंच पाई.




Body:दरअसल परहिया जनजाति के इस गांव में बिजली और अन्य सुविधाओं की तो बात है दूर की है. आलम यह है कि गांव तक पहुंचने के लिए एक रास्ता भी आज तक नहीं बन पाया. जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की हालत यह है कि यहां ना तो आंगनबाड़ी केंद्र है और ना ही कोई अन्य सुविधा. गांव में एक स्कूल है परंतु यहां भी शिक्षकों की मनमानी चलती है और मनमर्जी से स्कूल खुलता है. गांव तक पहुंचने के लिए एक सड़क तक नहीं है इस कारण अधिकारी पदाधिकारी भी गांव तक नहीं पहुंच पाते.
गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को सरकार के द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले पोषाहार योजना का लाभ भी बच्चों को नहीं मिल पाता. इस कारण गांव के बच्चे भी कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. यहां के ग्रामीण खेती के अलावे पत्थर तोड़कर अपना जीवन यापन करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के द्वारा भले ही कागजों पर उनके लिए तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हो परंतु सच्चाई यह है कि आदिम जनजातियों को इसका धरातल पर लाभ नहीं मिल पा रहा है.
गांव की शनिचरी परहीन ने कहा कि उनके हिस्से से मिलने वाला लाभ बिचौलिया खा जा रहे हैं. गांव में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. वहीं ग्रामीण गनौरी परहिया ने कहा कि गांव में सुविधाओं का घोर अभाव है. पानी बिजली से लेकर सड़क तक गांव में नहीं है.
वही इस संबंध में लातेहार प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश रजक ने कहा कि पवही गांव की समस्याओं को यथाशीघ्र दूर किया जाएगा. जल्द ही वहां पेंशन शिविर लगाकर सभी ग्रामीणों को पेंशन उपलब्ध कराया जाएगा.
vo-jh_lat_01_pawahi_visual_byte_jh10010
byte- ग्रामीण महिला शनिचरी परहिन
byte- ग्रामीण गनौरी परहिया
byte- बीडीओ गणेश रजक


Conclusion:विलुप्त प्राय आदिम जनजातियों को सुविधा पहुंचाने में सरकारी तंत्र अभी तक सफल नहीं हो पाई है. जरूरत इस बात की है कि ऐसे गांव में जरूरत की सुविधाएं उपलब्ध कराएं ताकि सही मायने में आदिम जनजातियों का संरक्षण हो सके.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.