लातेहारः राज्य सरकार आदिम जनजातियों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध करा कर उन्हें संरक्षित करने की बात कहती है. लेकिन लातेहार जिले में आदिम जनजातियों की स्थिति नारकीय है. जिले में कई ऐसे आदिम जनजाति परिवार हैं, जिन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाई हैं. स्थिति यह है कि जर्जर मकान में रहने को मजबूर हैं. इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
यह भी पढ़ेंः आदिम जनजाति के लोगों ने दिया धरना, पत्थर कारोबारियों की जब्त रकम समुदाय में बांटने की मांग
लातेहार सदर प्रखंड (Latehar Sadar Block) के बेंदी पंचायत के कोदाग गांव (Kodag Village). इस गांव में पहारिया आदिम जनजाति के कई परिवारों को अब तक सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया है. इन्हें नहीं राशन कार्ड की सुविधा मिली है और ना ही आवास की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. इतना ही नहीं, आदिम जनजातियों को पेंशन भी नहीं मिल रहा है. आदिम जनजातियों को बिरसा आवास योजना के तहत आवास मुहैया कराने की बात कही जाती है. लेकिन कोदाग गांव के फुलदेव पहारिया, परदेसी पहारिया, सोहबतिया पहारिया सहित कई परिवार हैं, जिन्हें आवास मुहैया नहीं कराई गई है.
परदेसी हो या फिर फुल देव मकान के अभाव में जर्जर घर में रहने को मजबूर हैं. यह घर कभी भी ध्वस्त हो सकता है और इनकी जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. फुल देव और परदेसी कहते हैं कि पूरे परिवार के साथ इसी जर्जर आवास में रहने को विवश हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी आवास की सुविधा नहीं मिली है तो जो घर है उसी में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में मुश्किलें काफी बढ़ जाती है. सोहबतिया कहती है कि मेरे पति दिव्यांग है. इसके बावजूद बिरसा आवास की सुविधा नहीं मिल पाई है.
सरकारी प्रावधान है कि आदिम जनजातियों के परिवार के मुखिया या विवाहित महिला को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन देना है. लेकिन कोदाग गांव में कई लोग हैं, जिन्हें पेंशन नसीब नहीं है. गांव की महिला बालती देवी, सरिता देवी, फुल कुमारी देवी आदि महिलायें कहती है कि नहीं राशन मिलता है और ना ही पेंशन की सुविधा है.
सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलने से आदिम जनजाति के लोग अधिकारियों से नाराज रहते हैं. सोहबतिया देवी कहती है कि उन्हें आज तक आवास नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि सरकार से मिलने वाली सुविधा कौन खा जाता है. नवनिर्वाचित प्रखंड प्रमुख परशुराम लोहरा कहते हैं कि इसकी जानकारी उन्हें भी मिली है. आदिम जनजातियों को सभी प्रकार की सुविधा मिलनी चाहिए. इसके लिए वे अधिकारियों से बात करेंगे और शीघ्र सभी लाभुकों को योजना का लाभ दिलवाएंगे.