जामताड़ा: जिले के नाला प्रखंड अंतर्गत पालास्थली रेलवे स्टेशन सालों से बंद पड़ा है. यहां से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर कई सालों से परिचालन ठप है. इस स्टेशन पर दोबारा रेल का परिचालन कब शुरु होगा, यह नालावासियों के लिए एक एक सपना बनकर रह गया है.
कभी यात्रियों से गुलजार रहने वाला जामताड़ा के नाला स्थित पालास्थली रेलवे स्टेशन आज वीरान पड़ा हुआ है. हाल ये है कि रेलवे स्टेशन बना शेड जंगल-झाड़ से ठक चुका है, साथ ही भवन बिल्कुल जर्जर हो चुका है. रेलवे पटरी भी उजड़ चुका है, रेलवे इंजन की आवाज से पालास्थली स्टेशन और इसके आसपास के क्षेत्र गुलजार रहते थे, लेकिन अब स्टेशन ही गुमनाम होते जा रही है. पालास्थली रेलवे स्टेशन बंद हो जाने से नालावासियों को रेल यात्रा सफर करने के लिए जामताड़ा मिहिजाम जाना पड़ता है. इसके लिए लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि नाला से रेलवे लाइन शुरू करने को लेकर मंत्री और नेता सिर्फ आश्वासन देते रहे हैं, लेकिन अब तक कुछ होता नहीं दिख रहा है.
साल 2000 के लगभग नाला पालास्थली से अंडाल तक रेलवे परिचालन शुरू किया गया था. जिसके बाद यहां से काफी संख्या में लोग रेल से आना-जाना करते थे. बताया जाता है कि रेलवे स्टेशन के पास ईसीएल के बंद पड़ा कोयला खदान है. अवैध उत्खनन के कारण इस स्टेशन के पास रेलवे लाइन के किनारे सुरंग बना दिया गया है. माफियाओं के अवैध खनन के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से रेलवे प्रशासन ने रेल परिचालन को बंद कर दिया. जिससे क्षेत्र का विकास पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए अलग से रेलवे पटरी बिछाने की मांग की जा रही है. ग्रामीणों ने बताया कि रेलवे स्टेशन उनके लिए एक धरोहर से कम नहीं है, लेकिन कोयला माफियाओं ने रेलवे लाइन के पास से सुरंग बना दिया है, जिससे रेल का परिचालन ठप है.
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बहरहाल, बंद पड़ा पालास्थली रेलवे स्टेशन कब चालू होगा, इसका जबाब किसी भी जनप्रतिनिधि और अधिकारी के पास नहीं है. इसको लेकर बस इतना जरूर कहा जा सकता है कि नाला का पालास्थली रेलवे स्टेशन अवैध कोयला उत्खनन और माफियाओं का भेट चढ़ गया है. अब नाला को रेलवे लाइन से जोड़ने की अलग से मांग की जा रही है. ग्रामीणों की इस मांग पर सरकार और रेल प्रशासन कब संज्ञान लेगी, यह नालावासियों के लिए अब सपना बन चुका है.