लातेहार: जिले के नेतरहाट थाना क्षेत्र स्थित नैना गांव में किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है, लेकिन गांव के बाहर ओडीएफ का बोर्ड लगाकर स्वच्छ भारत का मजाक उड़ाया जा रहा है, साथ ही ओडीएफ गांव घोषित करने की फर्जी योजना पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से जोर-शोर से चलाया जा रहा है.
खुले में शौच मुक्त गांव का बोर्ड लगा
विभाग की ओर से गांव को कागज पर ओडीएफ घोषित करते हुए रातों-रात गांव के बाहर ओडीएफ का बोर्ड लगा दिया गया है. ओडीएफ गांव घोषित होने का मतलब है कि संबंधित गांव पूरी तरह से खुले में शौच मुक्त हो गया है. अर्थात गांव के सभी ग्रामीणों के घर में शौचालय का निर्माण हो चुका है, लेकिन गांव में एक भी शौचालय नहीं है. ओडीएफ विभाग ने अपनी झूठी वाहवाही बटोरने के लिए नेतरहाट के तराई में बसे नैना गांव को भी ओडीएफ घोषित करते हुए गांव के सामने खुले में शौच मुक्त गांव का बोर्ड लगा दिया, जबकि इस गांव में किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है.
गांव से 5 किलोमीटर की दूरी पर लगाया ओडीएफ का बोर्ड
गांव के सभी लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. विभाग की बेशर्मी की हद तो तब हो गई, जब अपनी झूठी रिपोर्ट को छिपाने के लिए कागज में इस गांव के प्रत्येक घर में शौचालय होने की बात बता दी और ग्रामीणों के अधिकार पर डाका डाल दिया. इतना ही नहीं गांव को फर्जी ओडीएफ घोषित कर सरकार के स्वच्छ भारत अभियान पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया. बिना शौचालय बने ही नैना गांव को खुले में शौच मुक्त गांव घोषित करने के बाद विरोध के डर से अधिकारियों ने इस गांव से 5 किलोमीटर दूर रास्ते में ओडीएफ का बोर्ड लगा दिया, ताकि बड़े अधिकारियों को आसानी से दिग्भ्रमित किया जा सके.
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खुले में शौच को मजबूर लोग
गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गांव में किसी के घर में शौचालय नहीं है. इसी कारण सभी लोग खुले में शौच करने जाते हैं. कई बार शौचालय की मांग अधिकारियों से की गई, लेकिन उनकी बात कभी नहीं सुनी गई. किसी के घर में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. गांव को ओडीएफ घोषित कर अधिकारियों ने सरकार को मूर्ख बनाया है. पूरे गांव में किसी भी ग्रामीण के घर में शौचालय का निर्माण नहीं हुआ.
कुछ भी कहने से कतराते रहे अधिकारी
बिना शौचालय बने ही गांव को ओडीएफ घोषित कर देने के संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता रंजीत कुमार ठाकुर से जानने का प्रयास किया तो वह कुछ भी बताने से परहेज करते रहे. काफी पूछने के बाद उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि मामले की जांच करवा लेंगे. उसके बाद ही कुछ कहेंगे. दरअसल फर्जी रिपोर्ट करने वाले अधिकारी अपनी पोल खुलता देख असहज हो गए थे. उनके मन में यह भी डर उत्पन्न हो गया है कि अगर उनकी सच्चाई सरकार के सामने आई तो उनकी नौकरी पर भी आफत आ सकती है.
बिना शौचालय निर्माण किए गांव को ओडीएफ घोषित कर विभागीय अधिकारी न सिर्फ सरकार को बरगलाने का काम कर रहे हैं, बल्कि स्वच्छ भारत अभियान पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं. जरूरत है ऐसे कुकर्म करने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई करने की, ताकि गरीबों के हक पर डाका डालने वाले सबक सीख सकें.