लातेहार: जंगल के आस-पास निवास करने वाले गरीब ग्रामीणों को वन पट्टा देने की योजना लातेहार में विवाद के घेरे में आ गई है. लातेहार के बेसरा गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी कर्मियों और वन समिति के लोगों की मिलीभगत से गांव के पास स्थित जंगल के बड़े भाग का पट्टा नियम के खिलाफ दे दिया गया है. ऐसे में अन्य ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल, बेसरा गांव के पास स्थित जंगल में गांव के लोग अपने मवेशी चराया करते थे, लेकिन अचानक गांव के ही कुछ लोगों की ओर से अन्य ग्रामीणों को जंगल में मवेशी चराने से मना किया जाने लगा. मना करने वाले ग्रामीणों का दावा है कि जंगल की भूमि को सरकार ने उन्हें दे दिया है. वनाधिकार अधिनियम के तहत वन भूमि का पट्टा भी उन्हें मिल गया है. ऐसे में उक्त भूमि पर उनका अधिकार है.
नहीं है वन भूमि पर कब्जा
गांव के अन्य लोगों का आरोप है कि जिस वन भूमि का पट्टा देने का दावा कुछ लोग कर रहे हैं. उस भूमि पर आज तक किसी का कब्जा भी नहीं हुआ है. आज तक वन भूमि पर किसी ने खेती नहीं की है. ऐसे में अचानक इस वन भूमि का पट्टा किसी को मिल जाना पूरी तरह से गलत है. ग्रामीण मोहम्मद असलम और मोहम्मद रियाज ने कहा कि जंगल में वह लोग काफी पहले से ही मवेशी चराया करते थे. महुआ भी सभी लोग मिल बांटकर चुनते थे, लेकिन इस साल कुछ लोग वन भूमि का पट्टा अपने नाम होने का दावा कर गांव के अन्य ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं.
वनाधिकार का क्या है नियम
जानकारी के अनुसार, वनाधिकार अधिनियम के तहत वन भूमि का पट्टा ग्रामीणों को जीविकोपार्जन के लिए देने का प्रावधान है. हालांकि इसके लिए यह भी नियम है कि वैसे आदिवासी परिवार जो वर्ष 2005 से पहले वन भूमि पर कब्जा जमा कर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं, या अन्य जातियों के लोग 75 वर्ष पहले से वन भूमि से जीविकोपार्जन कर रहे हैं उन्हें ही ग्राम वनाधिकार समिति की अनुशंसा पर वन पट्टा दिया जाएगा. अगर निर्धारित समय के बाद कोई वन भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करेगा, तो उस पर कानूनी कार्रवाई होगी. इस नियम को लेकर बेसरा गांव के ग्रामीणों की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि जब आज तक वन भूमि पर किसी ने कब्जा ही नहीं किया, तो उन्हें वन पट्टा किस आधार पर दे दिया गया?
वनाधिकार समिति के सचिव ने जताई अनभिज्ञता
बेसरा गांव के ग्राम वनाधिकार समिति के सचिव मोहम्मद शमशेर ने वन पट्टा दिए जाने के मामले में अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि उन्हें इसकी पूरी तरह जानकारी नहीं है. उन्होंने ना तो वन पट्टे के लिए अनुशंसा की है और ना ही उनके सामने कोई मापी हुई है. विभाग से मामले की जानकारी ले रहे हैं.