लातेहार: जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर तापा पहाड़ी की तलहटी में अवस्थित झरिया डैम का निर्माण वर्ष 1967 में किया गया था. जिस समय डैम का निर्माण हुआ था, उस समय लगभग 2000 एकड़ भूमि में सिंचाई की सुविधा बहाल हो गई थी. इससे किसान भी काफी खुशहाल हो गए थे. कालांतर में रखरखाव के अभाव में यह डैम बदहाल होता गया. वर्तमान में स्थिति यह हो गई है कि डैम के डूब क्षेत्र सिमट गए हैं.
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डैम के कैनाल जगह-जगह टूट गए हैं. डैम में मिट्टी का भराव हो गया, जिससे बरसात के दिनों में भी इस डैम में पानी जमा नहीं हो रहा है. किसान भोला पासवान ने कहा कि इस डैम से किसानों के खेत हमेशा सिंचित होते थे, जिससे किसान खुशहाल थे. लेकिन अब यह डेम खुद ही बदहाल हो गया है.
8 किलोमीटर लंबी थी कैनाल
झरिया डैम से निकली नहर की लंबाई लगभग 8 किलोमीटर लंबी थी. डैम के नैहर से लातेहार जिला मुख्यालय का बड़ा क्षेत्र सिंचाई सुविधा से युक्त हो गया था. ऐसे में किसान सालों भर अपने खेतों में खेती करते थे और उनका जीवन खुशहाल था.
पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह डेम है महत्वपूर्ण
पर्यटन के दृष्टिकोण से देखा जाए तो भी यह डैम काफी महत्वपूर्ण है. पहाड़ी की तलहटी में स्थित रहने के कारण डैम के आसपास काफी खुशनुमा वातावरण होता है. कुछ साल पहले तक इस डैम के आसपास पिकनिक मनाने वालों की भी भीड़ लगी रहती थी. लेकिन सरकारी उदासीनता और रखरखाव के अभाव में डैम की सूरत बिगड़ने लगी और धीरे-धीरे पर्यटकों ने भी यहां आना बंद कर दिया. स्थानीय युवक सीपी कुमार ने कहा कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह स्थान काफी प्रमुख बन सकता है. इससे स्थानीय बेरोजगार युवकों को रोजगार भी मिल सकता है.
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डैम के जीर्णोद्धार के लिए बनी है योजना
इस संबंध में पूछने पर लातेहार उपायुक्त अबु इमरान ने कहा कि जल स्रोतों का संरक्षण जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए योजना बनाई गई है. जल्द ही झरिया डैम का जीर्णोद्धार कार्य किया जाएगा.