लातेहार: सरकार भले ही सभी गरीबों के लिए गांव-गांव तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था कर दी हो, लेकिन आज भी राशन लेने के लिए कई लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लातेहार के गारू प्रखंड के डबरी, सरजू समेत कई गांव के लोगों को राशन के लिए अंगूठा लगाने के लिए पहाड़ पर जाना पड़ता है. दरअसल, राशन वितरण के लिए सरकार की ओर से ऑनलाइन व्यवस्था की गई है. इसमें लाभुक को पहले मशीन में अंगूठा लगाना पड़ता है. ऑनलाइन यह पता चल जाता है कि किन लाभुकों को राशन मिला है. इस व्यवस्था से राशन वितरण में भले ही पारदर्शिता बनी है लेकिन कई गांव में लोगों के लिए यह व्यवस्था सिर दर्द बन गई है.
कनेक्टिविटी नहीं रहने से परेशान होते हैं लाभुक
लातेहार के गारू प्रखंड के डबरी, सरयू समेत कई ऐसे गांव हैं जहां कनेक्टिविटी की सुविधा बिल्कुल नहीं है. इसके बावजूद यहां राशन वितरण के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है. ऐसे में लाभुकों को राशन वितरण मशीन में अंगूठा लगाने के लिए कनेक्टिविटी एरिया में जाना पड़ता है. चूंकि, इस गांव के आसपास कोई कनेक्टिविटी एरिया नहीं है. ऐसे में राशन डीलर को इंटरनेट के लिए सरयू घाटी जाना पड़ता है. लाभुक भी घाटी में ही जाकर अंगूठा लगाते हैं. जिसके बाद उन्हें वापस गांव में आकर राशन मिल पाता है.
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खेती करें या राशन के लिए दौड़ें ?
लाभुक सुखवा देवी, नीलम देवी और लुकस मिंज ने बताया कि अंगूठा लगाने के लिए उन्हें हर महीने कई बार घाटी में आना पड़ता है क्योंकि 1 दिन में 10 से 20 लाभुकों का ही अंगूठा लग पाता है. बाकी लाभुकों को अगले दिन आना पड़ता है. इस कारण उन लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. लाभुकों का कहना है कि अभी बरसात का दिन है और ऐसे में वे लोग खेती करें कि राशन के लिए भागदौड़ करें. राशन डीलर लक्ष्मी देवी ने भी कहा कि उनके साथ-साथ लाभुक भी काफी परेशान हैं. अधिकारियों का साफ कहना है कि बिना ऑनलाइन अंगूठा लगे राशन वितरण नहीं करने का आदेश है.
ऑफलाइन की जाएगी व्यवस्था
लातेहार जिला आपूर्ति पदाधिकारी संजय कुमार दास ने बताया कि अगर किसी स्थान पर कनेक्टिविटी की समस्या हो तो संबंधित डीलर और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी आवेदन दें. आवेदन के आधार पर उस क्षेत्र के लाभुकों को ऑफलाइन राशन देने की व्यवस्था की जाएगी. राशन लाभुकों को आसानी से राशन मिल सके इसके लिए सरकार और जिले के अधिकारियों को बेहतर मॉनिटरिंग की जरूरत है ताकि सरकारी तंत्र की खामियों का खामियाजा लाभुकों को न उठाना पड़े.