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कोडरमा: दर्जनों गांव के विस्थापितों ने दिया धरना, कहा- सही मुआवजा मिलने पर ही देंगे जमीन

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Published : Jul 28, 2019, 5:17 PM IST

बरही से कोडरमा तक सड़क को फोरलेन करने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. लेकिन अधिग्रहण की प्रक्रिया के विरोध में ग्रामीणों आंदोलन शुरू कर दिया है. लोगों ने कहा कि वो अधिग्रहण का विरोध नहीं कर रहे हैं. बल्कि सरकार जिस तरह से मुआवजा तय कर रही है वो गलत है.

र्जनों गांव के विस्थापितों ने दिया धरना

कोडरमा: बरही से कोडरमा तक फोरलेन निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है. जिसके बाद जिले के उरमा में 13 गांवों के सैकड़ों विस्थापितों ने सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे का विरोध करना शुरू कर दिया है. विस्थापितों का कहना है कि सरकार जो मुआवजा दे रही है, वो बहुत कम है.

देखें पूरी खबर

विस्थापितों द्वारा आयोजित धरना की अगुवाई बरही विधायक मनोज यादव ने किया. इस मौके पर अलग-अलग गांव से आए विस्थापितों ने सरकार की ओर से मिले नोटिस को लेकर चर्चा की. उनका कहना है कि एनएच के फोरलेन निर्माण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई हैं, वो कही से भी उचित नहीं है. उनका यह भी कहना है कि कॉमर्सियल लैंड का मुआवजा भी कृषि योग्य जमीन के आधार पर तय किया गया है, जो उन्हें मंजूर नहीं है.

ये भी पढ़ें-नक्सली और आपराधिक संगठनों पर लगेगा लगाम, पुलिस ने बनाई खास रणनीति

बरही विधायक मनोज कुमार यादव ने कहा कि जो प्रक्रिया मुआवजा के लिए सरकार ने बनाई है, वह गलत है. सभी किस्म की जमीन की कीमत एक ही लगाना किसी तरह से तर्क संगत नहीं है. उन्होंने कहा कि आज उनके आंदोलन का आगाज है और आगे आंदोलन उग्र होगा.

वहीं, दूसरी तरफ विस्थापितों का कहना है कि फोरलेन विस्तारीकरण के विरोध में उनका आंदोलन नहीं है, लेकिन अगर उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो वो जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे.

कोडरमा: बरही से कोडरमा तक फोरलेन निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है. जिसके बाद जिले के उरमा में 13 गांवों के सैकड़ों विस्थापितों ने सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे का विरोध करना शुरू कर दिया है. विस्थापितों का कहना है कि सरकार जो मुआवजा दे रही है, वो बहुत कम है.

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विस्थापितों द्वारा आयोजित धरना की अगुवाई बरही विधायक मनोज यादव ने किया. इस मौके पर अलग-अलग गांव से आए विस्थापितों ने सरकार की ओर से मिले नोटिस को लेकर चर्चा की. उनका कहना है कि एनएच के फोरलेन निर्माण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई हैं, वो कही से भी उचित नहीं है. उनका यह भी कहना है कि कॉमर्सियल लैंड का मुआवजा भी कृषि योग्य जमीन के आधार पर तय किया गया है, जो उन्हें मंजूर नहीं है.

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बरही विधायक मनोज कुमार यादव ने कहा कि जो प्रक्रिया मुआवजा के लिए सरकार ने बनाई है, वह गलत है. सभी किस्म की जमीन की कीमत एक ही लगाना किसी तरह से तर्क संगत नहीं है. उन्होंने कहा कि आज उनके आंदोलन का आगाज है और आगे आंदोलन उग्र होगा.

वहीं, दूसरी तरफ विस्थापितों का कहना है कि फोरलेन विस्तारीकरण के विरोध में उनका आंदोलन नहीं है, लेकिन अगर उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो वो जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे.

Intro:बरही से कोडरमा एनएच 31 के विस्तारीकरण को लेकर विस्थापितों का आंदोलन शुरू हो गया है । कोडरमा के उरमा में आज चंदवारा प्रखंड के 13 गांवो के सैकड़ो विस्थापितों ने सरकार द्वारा दिये जा रहे मुआबजे का विरोध करना शुरू कर दिया हैं । विस्थापितों का कहना है कि सरकार द्वारा जो मुआबजा दिया जा रहा हैं वह बहुत कम हैं , कॉमर्सियल भूमि का मुआबजा भी कृषि योग्य जमीन के आधार पर तय किया गया हैं ।


Body:उरमा में आज चंदवारा प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोगों ने एनएच के विस्तारीकरण के एवज में मिलने वाली मुआबजा राशि का विरोध किया और अपनी आवाज बुलंद की । विस्थापितों द्वारा आयोजित धरने की अगुवाई बरही विधायक मनोज यादव ने किया , इस मौके पर अलग-अलग गांव से आए विस्थापितों ने सरकार की ओर से मिले नोटिस को लेकर चर्चा की और कहा की एनएच के फोरलेन निर्माण के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई हैं वे कही से भी उचित नहीं हैं ।इसके निर्माण में छात्रों से ली जा रही है उसका मंजूर नहीं है क्योंकि खेती योग्य भूमि बंजर भूमि और कॉमर्सियल भूमि सभी का मुआबजा एक ही तय किया गया हैं जो उन्हें मंजूर नहीं है ।
बाईट:-मनोज यादव ,बरही विधायक ।


Conclusion:गौरतलब है कि हाल ही में बरही से कोडरमा तक फोर लाइन निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है और विस्थापितों को जमीन के एवज में मुआवजा देने के लिए नोटिस दिया गया है ।धरने की अगुवाई कर रहे बरही विधायक मनोज कुमार यादव ने कहा कि जो प्रक्रिया मुआबजा के लिए सरकार द्वारा बनाई गई है वह गलत और सभी किस्म की जमीन की कीमत एक ही लगाना किसी तरह से तर्क संगत नहीं है । उन्होंने कहा कि आज उनके आंदोलन का आगाज है और आगे भी आंदोलन उग्र होगा वहीं दूसरी तरफ विस्थापितों का कहना है कि फोरलेन विस्तारीकरण के विरोध में उनका आंदोलन नहीं है लेकिन अगर उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिला तो जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे । वहीं एक विस्थापित होटल देसाई का कहना है कि एनएच कुमार 1 सालों से उनका होटल का पैसा है चल रहा है और अगर उनकी जमीन के एवज में महज ₹52000 मुआवजा का भुगतान किया जाएगा तो बर्बाद हो जाएंगे बाहर हाल एनएच के चौड़ीकरण का काम अभी शुरू ही नहीं हुआ है लेकिन अधिकरण के नाम पर विरोध होना शुरू हो गया है ।
बाईट:-विस्थापित
बाईट:-गौरीशंकर ,होटल व्यवसायी विस्थापित ।
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