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कोडरमा में वर्चुअल मासिक लोक अदालत का आयोजन, 46 मामलों का निष्पादन - सत्र न्यायाधीश विरेन्द्र कुमार

कोडरमा में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से व्यवहार न्यायालय परिसर में वर्चुअल मासिक लोक अदालत का आयोजन हुआ. जिसमें 46 वादों का निष्पादन किया गया. कई विभागों से 42,00 रुपये राजस्व की वसूली की गई.

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कोडरमा में वर्चुअल मासिक लोक अदालत का आयोजन, 46 वादों का निष्पादन
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Published : Apr 25, 2021, 7:23 AM IST

कोडरमा: व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में वर्चुअल मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसमें दो बेंच का गठन कर 46 वादों का निपटारा किया गया.

इसे भी पढ़ें- कपिलो मुखिया इंदु देवी को पीएम ने किया सम्मानित, मिला नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा का पुरस्कार

इस मौके पर प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश विरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि लोक अदालत शीघ्र, सस्ता और सुलभ न्याय प्रदान करने का सशक्त माध्यम है. लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत में बढ़ रही भीड़ इस बात की परिचायक है कि लोक अदालत आम लोगों के बीच कितना लोकप्रिय होता जा रहा है. यह आम लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस फैसले में दोनों पक्षों की जीत होती है और फैसला दोनों पक्षों को संतुष्ट करता है. कोई पक्ष इसे थोपा हुआ महसूस नहीं करता है.

46 वादों का निष्पादन

उन्होंने ये भी कहा कि लोक अदालत में दिए गए निर्णय के खिलाफ कहीं भी कोई अपील नहीं होती. लोक अदालत का निर्णय अंतिम निर्णय होता है. जहां एक ओर लोगों के समय और पैसे की बचत होती है, वहीं दूसरी ओर न्यायालय से मुकदमों का बोझ कम होता है. इस लोक अदालत में कुल दो बेंचों का गठन किया गया. बेंच संख्या-1 में जिला जज द्वितीय संजय कुमार सिंह और स्थायी लोक अदालत के सदस्य ब्रज मोहन साह, बेंच संख्या दो में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शेखर कुमार और स्थायी लोक अदालत के सदस्य बालेश्वर राम ने मामले की सुनवाई की. लोक अदालत में कुल 46 वादों का निष्पादन किया गया. जबकि कई विभागों से कुल 42,00 रुपये राजस्व की वसूली की गई.

कोडरमा: व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वाधान में वर्चुअल मासिक लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसमें दो बेंच का गठन कर 46 वादों का निपटारा किया गया.

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इस मौके पर प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश विरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि लोक अदालत शीघ्र, सस्ता और सुलभ न्याय प्रदान करने का सशक्त माध्यम है. लोक अदालत का फैसला अंतिम होता है. उन्होंने कहा कि लोक अदालत में बढ़ रही भीड़ इस बात की परिचायक है कि लोक अदालत आम लोगों के बीच कितना लोकप्रिय होता जा रहा है. यह आम लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस फैसले में दोनों पक्षों की जीत होती है और फैसला दोनों पक्षों को संतुष्ट करता है. कोई पक्ष इसे थोपा हुआ महसूस नहीं करता है.

46 वादों का निष्पादन

उन्होंने ये भी कहा कि लोक अदालत में दिए गए निर्णय के खिलाफ कहीं भी कोई अपील नहीं होती. लोक अदालत का निर्णय अंतिम निर्णय होता है. जहां एक ओर लोगों के समय और पैसे की बचत होती है, वहीं दूसरी ओर न्यायालय से मुकदमों का बोझ कम होता है. इस लोक अदालत में कुल दो बेंचों का गठन किया गया. बेंच संख्या-1 में जिला जज द्वितीय संजय कुमार सिंह और स्थायी लोक अदालत के सदस्य ब्रज मोहन साह, बेंच संख्या दो में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी शेखर कुमार और स्थायी लोक अदालत के सदस्य बालेश्वर राम ने मामले की सुनवाई की. लोक अदालत में कुल 46 वादों का निष्पादन किया गया. जबकि कई विभागों से कुल 42,00 रुपये राजस्व की वसूली की गई.

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