कोडरमा: जिला के तिलैया डैम से कोडरमा थर्मल पावर प्लांट (Koderma Thermal Power Plant) को बिजली उत्पादन के लिए जलापूर्ति रोके जाने को लेकर बरकट्ठा विधायक अमित यादव और डीवीसी के बीच अब आर-पार की लड़ाई दिख रही है. एक तरफ अघोषित बिजली कटौती के विरोध में विधायक अमित यादव पिछले 5 दिन से धरने पर बैठे हैं और इंटकवेल में तालाबंदी कर प्लांट के लिए पानी आपूर्ति रोक (MLA Amit Yadav interrupt water supply) दी है. वहीं डीवीसी द्वारा पानी रोके जाने के कारण विद्युत उत्पादन प्रभावित होने की बात कही जा रही है. आगामी दिनों में व्यवस्था नहीं सुधरी तो जिला में बिजली संकट (power crisis in District) उत्पन्न हो जाएगी.
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पावर प्लांट की जलापूर्ति बाधित के बाबत डीवीसी द्वारा विधायक के साथ किसी तरह की वार्ता करने की पहल नहीं कर रहा है. वहीं विधायक अमित यादव भी नियमित विद्युत आपूर्ति की मांग पर अड़े हैं और डीवीसी द्वारा निर्बाध बिजली आपूर्ति की कमिटमेंट तक पीछे हटने के मूड में नहीं है. इस पूरे मामले पर कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के मुख्य अभियंता एनके चौधरी (Chief Engineer NK Choudhary) ने कहा कि 19 अगस्त से तिलैया डैम से थर्मल पावर प्लांट की जलापूर्ति रोके जाने से अब विद्युत उत्पादन प्रभावित होने लगा है. पानी की कमी के कारण 1000 मेगावाट वाले थर्मल पावर प्लांट से महज 700 मेगा वाट ही बिजली उत्पादित की जा रही है और अगर यही स्थिति बनी रही तो प्लांट का एक यूनिट बंद भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि प्लांट अगर एक बार बंद हो गया तो उसे दोबारा शुरू करने में लाखों रुपए का खर्च आएगा.
दूसरी तरफ विधायक अमित कुमार यादव (MLA Amit Yadav) का कहना है कि डीवीसी यहां के लोगों के साथ यूज एंड थ्रो की रणनीति अपना रहा है. जंगल हमारा, जमीन हमारी, पानी हमारा और प्रदूषण भी हम ही झेलें, बावजूद इसके यहां के लोगों को अगर बिजली ना मिले तो ऐसे पावर प्लांट का रहना और ना रहना एक बराबर है.
यहां बता दें कि अघोषित बिजली कटौती को लेकर 19 अगस्त से बरकट्ठा विधायक अमित कुमार यादव अपने समर्थक और स्थानीय लोगों के साथ तिलैया डैम के नए इंटकवेल के पास धरने पर बैठे हैं और मंगलवार पांचवें दिन भी धरना जारी है. 5 दिन से तिलैया डैम से थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए जलापूर्ति ठप है. अब कोडरमा थर्मल पावर प्लांट के रिजर्व वायर में भी पानी का स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है. कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट में कोयले के साथ-साथ पानी की भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता जरूरी है.