कोडरमा: जन्म देने वाली ही मां नहीं होती हैं, बल्कि पालन-पोषण के साथ साथ अच्छे शिक्षा संस्कार देने वाली भी मां के रूप में जानी जाती है. ऐसी ही एक मां है कुसुम. कोडरमा के मरकच्चो प्रखंड के करमाटांड़ गांव में कुसुम शिक्षा की अलख जगा रही है, ताकि बच्चे पढ़ लिखकर होनहार बनें.
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पिछले दो साल से कुसुम गांव के बच्चों को प्रतिदिन 2 घंटे सुबह और 2 घंटे शाम को पढ़ा रही हैं. कोरोना काल में शिक्षण संस्थाएं बंद थी तो बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने लगी थी. इस स्थिति में कुसुम देवी ने गांव की महिलाओं से मिल कर उनके बच्चों को पढ़ाने की इच्छा जाहिर की. इसके बाद गांव के सामुदायिक केंद्र में कुसुम बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. अब स्कूल खुलने के बाद बड़े बच्चे स्कूल जाने लगे. लेकिन छोटे बच्चे को आज भी कुसुम पढ़ा रही हैं.
500 आबादी वाले इस करमाटांड गांव में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. लेकिन, कुसुम की क्लास गांव में आंगनबाड़ी की कमी को पूरा कर रही है. छोटे-छोटे नौनिहाल हर रोज कुसुम से क, ख, ग, घ ही नहीं, बल्कि वन टू और अंग्रेजी के अल्फाबेट सीख रहे हैं. इसके साथ ही बच्चों को लाड प्यार के साथ हाथ पकड़ कर लिखना सिखाती हैं. कुसुम की यह प्रयास गांव की उन महिलाओं को काफी उत्साहित करती है, जिसके बच्चे कुसुम से पढ़ाई करते हैं.
कुसुम की क्लास से करमाटांड़ के साथ साथ आसपास के बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. उपायुक्त आदित्य रंजन भी शिक्षा के क्षेत्र में कुसुम देवी की ओर से किए जा रहे प्रयासों के कायल हैं. डीसी ने मरकच्चो प्रखंड का निरीक्षण करने पहुंचे तो कुसुम की क्लास में भी पहुंचे और छोटे-छोटे बच्चे को पढ़ता देख काफी उत्साहित हुए थे. डीसी ने कुसुम की सराहना करते हुए कहा कि समाज में ऐसे ही कुछ लोग होते हैं, जिससे बदलाव आता है.