खूंटीः जिला के पुलिस मुख्यालय सभागार (Police Headquarters Auditorium) में सोमवार को पॉक्सो एक्ट और जेजे एक्ट को लेकर कार्यशाला का आयोजन (workshop in Khunti) किया गया. इस कार्यशाला में बाल मित्र थाना, सीडब्ल्यूसी, पुलिस पदाधिकारी तथा बाल अधिकार और बाल मुद्दों पर कार्यरत सरकारी और गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित रहे. इस वर्कशॉप में पॉक्सो एक्ट, बाल और मानव तस्करी को लेकर कानूनी बिंदुओं पर चर्चा की गयी.
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खूंटी में विशेष कार्यशाला में जिला विधिक सेवा प्राधिकार (District Legal Services Authority) के सचिव मनोरंजन कुमार ने जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट (workshop on POCSO Act) के संबंध में बताया. उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट के धारा 19 के तहत जिला का कोई भी व्यक्ति सूचना दे सकता है कि अमुक बच्चे के साथ अपराध हो सकता है या अपराध हुआ है. अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे का पीछा कर रहा है और कुछ गलत होने की आशंका प्रतीत हो तो तुरंत अपनी पहचान छुपाकर संबंधित विभाग, थाना या जुवेनाइल कोर्ट में सूचना दे सकते हैं.
जिला के हेडक्वार्टर डीएसपी सह बाल तस्करी मामलों से जुड़े जयदीप लकड़ा ने बताया कि बच्चों की तस्करी (stop human trafficking) और अधिकारों से जुड़े मामलों की छानबीन में पुलिस को सतर्कता बरतते हुए कानूनी कार्रवाई करती है. जिसमें महत्वपूर्ण पहलुओं की बारीकी से अनुसंधान करने की आवश्यकता है ताकि बच्चों से संबंधित मामलों में अपराधियों या बाल तस्करों को कानून के हवाले किया जा सके. जिला के पुलिस अधीक्षक अमन कुमार (Khunti SP Aman Kumar) ने बताया कि बाल संरक्षण और बाल अधिकारों के प्रति पुलिस की जिम्मेदारी अधिक है, बाल तस्करी और बच्चों से जुड़े अपराधों के मामले में कानूनी प्रावधानों के तहत अपराध की गहनता से पड़ताल करते हुए अपराधियों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में विशेष सतर्कता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि बच्चों से जुड़े जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत अनुसंधान में कोई महत्वपूर्ण कड़ी छूट ना जाये इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए. जिससे अपराधियों को कानूनी प्रावधान के तहत सजा दिलायी जा सके. बाल अधिकारों और संरक्षण से जुड़े सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं को भी बच्चों से जुड़े आपराधिक मामलों में कानूनी दायरे में रहकर ही अनुसंधानात्मक कार्रवाई की दिशा में भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी. बच्चों के अधिकार से जुड़े मामलों में साक्ष्य जुटाने में किसी तरह की कोताही नहीं करनी चाहिए ताकि बच्चों के मामलों में त्वरित, निष्पक्ष और ससमय अपराधियों को कानूनी सजा दिलवायी जा सके. जिससे समाज में बाल अधिकार और संरक्षण की दिशा में पुलिस प्रशासन और न्यायालय की जवाबदेही पूर्ण होगी.